फ्लैक्सी किराए से रेलवे को ज्यादा फायदा नहीं, यात्री होंगे परेशान
प्रमुख ट्रेनों में मांग बढ़ने के साथ किराये में वृद्धि की योजना से रेलवे की आय में कोई खास फर्क पड़ने की संभावना नहीं है पर इससे इससे यात्रियों का खर्च बढने के साथ समस्या जरूर बढ़ेगी। यह बात...

प्रमुख ट्रेनों में मांग बढ़ने के साथ किराये में वृद्धि की योजना से रेलवे की आय में कोई खास फर्क पड़ने की संभावना नहीं है पर इससे इससे यात्रियों का खर्च बढने के साथ समस्या जरूर बढ़ेगी। यह बात रेल-यात्रियों को ऐप आधारित विभिन्न सेवाएं देने वाली कंपनी रेलयात्रीइन ने अपने एक विश्लेषण में कही है।
इस बीच, रेल टिकट एजेंसी चलाने वाले लाइसेंसधारकों ने नई प्रणाली के पहले दिन टिकट की दरों में बार बार परिवर्तन के कारण ग्राहकों के साथ विवाद खड़ा होने की शिकायत की है। रेलयात्रीइन सह-संस्थापक कपिल रायजादा ने एक विश्लेषण में कहा कि सर्ज प्राइसिंग जिन गाड़ियों में लागू की जा रही है उनकी संख्या सीमित है लिहाजा उससे रेलवे की आय में कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ने वाला। उन्होंने विशेषकर त्यौहरी सीजन में इस प्रकार के कदम उठाये जाने पर भी सवाल उठाए।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने राजधानी, दुरंतों और शताब्दी में मांग के हिसाब से किराये में वृद्धि (सर्ज प्राइसिंग मॉडल) की घोषणा की है जो आज से प्रभावी हो गई है। इसमें दस प्रतिशत सीटों की बुकिंग के बाद टिकट खरीदने वालों को प्रारंभ में 10 प्रतिशत से लेकर अंत में 50 प्रतिशत तक अधिक किराया देना पड़ सकता है।
रेलयात्रीइन के विश्लेषण में कहा गया है, सिर्फ इन तीन प्रकार की गाड़ियों पर गतिशील किराये की पेशकश से रेलवे को राजस्व के लिहाज से कोई अधिक फायदा नहीं होने वाला क्योंकि इन प्रीमियम गाड़ियों की संख्या लगभग 300 ही है।
रेलवे से लाइसेंस लेकर आरक्षित टिकटों का कारोबार करने वाली निजी एजेंसियों के संगठन यात्री टिकट सुविधा केंद्र एसोसिशन- के दिल्ली क्षेत्र के महासचिव आरके बंसल ने इस योजना की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें अभी किराया कुछ है और थोड़ी देर बाद कुछ हो जाता है जिससे ग्राहक और बुकिंग करने वाले दोनों परेशान हैं।
रेल ट्रेवलर सर्विस एजेंटस एसोसिएशन- के सचिव (दिल्ली) दयाशंकर भटनागर ने कहा कि हम टिकट बुकिंग कराने वालों को पक्का किराया नहीं बता पा रहे हैं, बुकिंग के दौरान किराया बढ जाने पर यात्रियों से विवाद उत्पन्न हो रहा है। इसके अलावा वेटिंग टिकट को लेकर अभी भ्रम है कि उसके कन्फर्म होने पर उस पर क्या कोई अतिरिक्त किराया लगेगा या नहीं।
रेलयात्रीइन के विश्लेषण में कहा गया है, किसी भी तरह 90 प्रतिशत यात्रियों को टिकट के लिए अधिक भुगतान करना पड़ेगा। कैंसिलेशन को भी साथ लें तो ऊंचा किराया देने वालों का अनुपात 100 प्रतिशत के करीब पहुंच जाएगा। इससे अच्छा होता सरकार किराये में 25 प्रतिशत की एक समान वृद्धि कर देती। इससे यात्रियों पर एक समान बोझ पड़ता और यात्रियों को जल्दी टिकट बुक कराने की चिंता से गुजरना नहीं पड़ता।
रायजादा ने कहा कि सर्ज प्राइसिंग से स्लीपर क्लास के टिकट की कीमतों पर भी असर पड़ेगा जबकि फर्स्ट एसी और एक्जीक्यूटिव क्लास को इससे छूट दी गई है, फिर इन प्रीमियम गाड़ियों में कुछ ही स्लीपर कोच हैं।
रायजादा ने कहा कि यह बढ़ोतरी ऐसे समय की गई है जब त्यौहरों के लिए टिकट की बुकिंग हो रही हैं इससे लोगों की जेब पर असर पड़ेगा। रायजादा ने यह भी कहा कि अक्सर देखा गया है कि अधिक मांग वाले समय में शुरुआती 10 प्रतिशत टिकट दलालों द्वारा बुक कराए जाते हैं। क्या इसके जरिये हम उन्हें जल्दी टिकट बुक कराने और उनकी मांग को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रहे।
