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तेजाब पीड़ितों को अब भी राहत का इंतजार

तेजाब पीड़ितों ने तेजाब फेंके जाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है,...

तेजाब पीड़ितों को अब भी राहत का इंतजार
Sun, 21 Jul 2013 12:06 PM
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तेजाब पीड़ितों ने तेजाब फेंके जाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन उनका कहना है कि इसमें उनके लिए राहत वाली वह बात नहीं है जिसका उन्हें अपने लिए इंतजार है।

राजधानी में शाहदरा के अशोक नगर में रहने वाली तेजाब पीड़ित रेणु ने कहा कि न्यायालय के फैसले में भविष्य वाली बात है। पर हमें क्या मिलेगा, इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं है। मेरी 8 सर्जरी हो चुकी हैं और अभी यह सिलसिला जारी रहेगा। मुझ पर 15 फरवरी 2006 को तेजाब फेंका गया था। तब मैं 19 साल की थी। मेरे लिए समय ठहर सा गया है। कह नहीं सकती कि आगे के इलाज के लिए पैसा कहां से आएगा। आगे मेरी जिम्मेदारी कौन उठाएगा।

गैर सरकारी संगठन स्टॉप एसिड अटैक के कैम्पेन कोऑर्डिनेटर आशीष शुक्ला ने कहा कि न्यायालय के फैसले में 3 लाख रुपये के मुआवजे का प्रावधान है, लेकिन यह भावी मामलों के लिए है। जो पीड़ित हैं, जिनका जीवन तेजाब के कारण तहसनहस हो चुका है, उनके लिए फैसले में अभी कुछ नहीं कहा गया है। सर्जरी पर हुआ खर्च, भविष्य की योजना और काउंसलिंग आदि वह जरूरी बातें हैं जो पीड़ितों के जीवन से जुड़ी हैं।

कॉस्मेटिक विशेषज्ञ डॉ. सुरुचि पुरी ने कहा कि ऐसे लोगों की सर्जरी का सिलसिला लंबा चलता है और अगर तेजाब अंदर तक जा चुका हो तब तो घाव भरने में ही काफी समय लग जाता है। एंटीबॉयोटिक्स की हाई डोज से लेकर लेजर से उपचार तक की प्रक्रिया बहुत खर्चीली होती है।

उन्होंने बताया कि तेजाब डलने के बाद त्वचा पूरी तरह विकृत हो जाती है और पीड़ित अपना चेहरा देख ही कर दहल जाता है। इसके अलावा नाक, कान, होंठ, पलकें आदि की नाजुक त्वचा तेजाब से बहुत कस जाती है जिसे सामान्य करना जरूरी होता है। तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाएं तो काम करना बंद कर देती हैं।

रेणु के कान और आंख की तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। वह कहती हैं डॉक्टरों के अनुसार, शायद मेरी एक आंख की रोशनी ठीक हो जाए, लेकिन इसकी उम्मीद 50 फीसदी ही है। अभी मेरे लिए बाहर निकलना मुश्किल है, क्योंकि मामूली सी धूप में भी त्वचा में जलन होने लगती है। पहले तो गर्दन भी नहीं घुमा सकती थी, अभी भी कड़ापन महसूस होता है।

रेणु को याद है कि उसके मकान में किराये पर रहने वाले व्यक्ति ने तीन माह का किराया नहीं दिया था। पिता के किराया मांगने पर उस व्यक्ति ने कहा कि वह 15 फरवरी को किराया दे देगा। पिता ड्यूटी पर चले गए और मैं आंगन में भैंस को नहला रही थी। अचानक वह व्यक्ति एक मग ले कर पास आया और मुझ पर तेजाब फेंक कर भाग गया। मैं भी जली और भैंस भी जल गई।

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