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हार्ड वर्क या स्मार्ट वर्क

कठोर परिश्रम के लिए ‘स्मार्ट’ होना जरूरी है, लेकिन मेहनत हमेशा रंग लाती है। केवल स्मार्ट होना या वर्किंग स्मार्ट होना आधी बात है। इसलिए हमेशा सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयत्न करना चाहिए और...

हार्ड वर्क या स्मार्ट वर्क
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 16 Jul 2013 01:26 PM
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कठोर परिश्रम के लिए ‘स्मार्ट’ होना जरूरी है, लेकिन मेहनत हमेशा रंग लाती है। केवल स्मार्ट होना या वर्किंग स्मार्ट होना आधी बात है। इसलिए हमेशा सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयत्न करना चाहिए और नतीजे आपके सामने होंगे। बता रही हैं चित्रा झा

आजकल हमें वर्किंग स्मार्ट जुमला अक्सर सुनने को मिलता है। लोग अक्सर कहते हैं, ‘आप केवल कड़ी मेहनत के दम पर कहीं नहीं पहुंच सकते। इसके लिए किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहे लोगों को देखें। वह कड़ी मेहनत करते हैं, परंतु अपने जीवन में क्या वह कहीं पहुंचते हैं? यदि आप सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको ‘स्मार्ट’ वर्क करना होगा।’ ऐसी सलाह हमें अक्सर पसोपेश में डाल देती है। हम सोचते हैं,‘जितनी मेहनत करोगे, उतना फल मिलेगा’ जैसी पुरानी कहावतों का क्या हुआ या सफलता के बारे में दी जाने वाली पुरानी सलाह, ‘मेहनत करो और सफलता तुम्हारे कदमों में होगी।’ तो कड़ी मेहनत करना जरूरी है या नहीं? कड़ी मेहनत बिल्कुल जरूरी होती है। बेशक आपको कड़ी मेहनत के दौरान ‘स्मार्ट’ रहना जरूरी है, परंतु मेहनत रंग लाती है। वहीं केवल स्मार्ट या केवल वर्किंग स्मार्ट होना भी पूरी कहानी नहीं होता।

सच यही है कि सफलता के लिए हार्ड वर्क व स्मार्ट वर्क एक साथ चलते हैं। स्मार्ट वर्क का मतलब सही रणनीति बनाना और एक अनुशासित कार्यशैली का पालन करना है। हार्ड वर्क विचारों व कल्पनाओं को मूर्तरूप देता है। स्मार्ट वर्क बताता है कि समय का सदुपयोग कैसे करें। यदि आप सफलता के मौजूदा स्तर से संतुष्ट हैं तो संभवत: उतना कठोर श्रम न करना पड़े, जितना कि विपरीत परिस्थितियों में करना पड़ता। यह सुविधा आपको स्मार्ट वर्क देता है। वहीं यदि आप अपने पेशे में सफलता के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचना चाहते हैं तो केवल स्मार्ट वर्क ही काफी नहीं रहेगा। कई लोग सोचते हैं कि उनकी कड़ी मेहनत अनदेखी, अनसुनी रह जाती है। उनका मानना है कि जब तक आप अन्य लोगों को दिखाने के लिए ‘स्मार्ट’ नहीं बनेंगे, तब तक सफलता कोसों दूर रहेगी, इसलिए वह अपने बॉस को यह बताने में अधिक रुचि रखते हैं कि वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में उनका फोकस गलत दिशा में होता है।

उनका यह भी मानना होता है कि कड़ी मेहनत हमेशा अधिकारियों की नजर में आती है, बेशक बहुत जल्दी ऐसा नहीं होता, परंतु अंतत: उस पर नजर पड़ती जरूर है और उससे जुड़े पुरस्कार भी उन्हें बिना मांगे मिलते हैं।

अनुभव की बात यही है कि ‘हार्ड वर्क’ या ‘स्मार्ट वर्क’ की उलझन में न पडम् कर केवल अपने प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए। काम करते हुए प्राथमिक लक्ष्य ही दिमाग में होना चाहिए, उसके अतिरिक्त और कुछ नहीं। पुरस्कारों व नतीजों पर ध्यान केंद्रित करना केवल आपके अंदर ‘और अधिक की जरूरत’ को ही बढ़ाएगा।

सम्मान तभी मिलते हैं, जब आप उनकी उम्मीद नहीं करते। उन्हीं सम्मानों को प्राप्त करते हुए सबसे अधिक खुशी भी होती है, जो बिना बताए आपके मार्ग में आते हैं। जब आप पूरे उत्साह के साथ किसी कार्य में जुटते हैं तो केवल अपने ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों के प्रदर्शन को सुधारने में भी भूमिका निभाते हैं। यह अपने आप में कम बड़ा सम्मान नहीं होता। और अंतत: आपको लगातार अपने कार्य में नवीनता व सुधार लाना चाहिए यानी कड़ी मेहनत के साथ स्मार्ट मेहनत भी।

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