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दस्त आपको ना कर दे पस्त

डायरिया यानी दस्त गर्मी में होने वाली आम बीमारी है। आजकल एक डॉंक्टर के क्लीनिक पर रोज 8-10 दस्त के मरीज पहुंच रहे हैं। ऐसे में इस समस्या को और बचाव के तरीके को जानना जरूरी है, बता रहे हैं मूलचंद...

दस्त आपको ना कर दे पस्त
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 29 May 2013 10:39 AM
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डायरिया यानी दस्त गर्मी में होने वाली आम बीमारी है। आजकल एक डॉंक्टर के क्लीनिक पर रोज 8-10 दस्त के मरीज पहुंच रहे हैं। ऐसे में इस समस्या को और बचाव के तरीके को जानना जरूरी है, बता रहे हैं मूलचंद मेडिसिटी के सलाहकार (गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) डॉं. एस. के. ठाकुर

दिल्ली समेत पूरे उत्तर में तापमान 45 डिग्री के आसपास बना हुआ है। ऐसे मौसम में मक्खी और मच्छरों की अधिकता होनी तय है और इन्हीं से पैदा होने वाले बैक्टीरिया दस्त का मुख्य कारण बनते हैं। इनसे आंतों में संक्रमण होता है, जो दस्त जैसे रोग को उत्पन्न करता है। इसे डॉंक्टरी भाषा में कोलाइटिस भी कहते हैं। हैजा जैसे रोग भी इसी समय होते हैं। पेट से उत्पन्न ज्यादातर तकलीफों की शुरुआत उल्टी-दस्त से ही होती है। डॉंक्टरों के अनुसार पिछले 4 हफ्तों में दस्त के मरीजों में इजाफा हुआ है। अगर हम रोज की बात करें तो औसतन 8 से 10 मरीज दस्त की समस्या के कारण हर क्लीनिक में पहुंचते हैं। इनकी संख्या और बढ़ने की आशंका है।

डायरिया के लक्षण
पतले दस्त, जिसमें जल की मात्रा ज्यादा होती है, थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर आते हैं। खाने में बरती गई असावधानी इसका प्रमुख कारण होता है। दस्त के तीव्र प्रकोप से पेट के निचले हिस्से में पीड़ा या बेचैनी महसूस होती है। पेट मरोड़ना, उल्टी आना, बुखार होना, कमजोरी महसूस करना दस्त के लक्षण हैं। दस्त देर तक रहने पर आदमी को कमजोरी और निर्जलीकरण की समस्या पैदा हो जाती है। एक दिन में 5 या उससे ज्यादा बार मल त्याग करने पर स्थिति चिंताजनक होती है। दस्त आमतौर पर अगर एक हफ्ते में ठीक न हो तो इसे क्रॉनिक दस्त कहा जाता है। दस्त की स्थिति देर तक बनी रहने पर आदमी बेहोश हो जाता है और समय से इलाज न होने पर मृत्यु हो सकती है।

ये भी हैं लक्षण
डायरिया का सबसे प्रमुख लक्षण है पतले दस्त का आना।
आमतौर पर मरीज को चौबीस घंटे में चार से पांच पतले दस्त होते हैं। इसके साथ पेट के निचले हिस्से में बहुत तेज दर्द होता है। दर्द हल्के या तेज मरोड़ के रूप में हो सकता है।
बुखार और कमजोरी से शरीर बेजान लगने लगता है।
यह दर्द हल्के या तेज मरोड़ के रूप में हो सकता है। कुछ रोगियों को दस्त के साथ उल्टियां भी हो सकती हैं। रोगी को कमजोरी के कारण चक्कर और आंखों के आगे अंधेरा भी छा जाता है।
शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाने पर रोगी की त्वचा ढीली और कांतिहीन हो जाती है।

छोटे बच्चों में लक्षण
छोटे बच्चों को दस्त होने पर वह दूध पीना बंद कर देते हैं। बच्चों में चिड़चिड़ापन आ जाता है और वह सुस्त हो जाते हैं।

क्या है उपचार
दस्त रोग से निपटने के लिए जरूरी है कि शरीर में हुई पानी व नमक की कमी को पूरा किया जाए। सामान्य रूप में दस्त रोगियों की घर पर ही देखभाल की जाती है, परन्तु जरूरत पड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी होता है। आजकल सभी दवा दुकानों पर ओआरएस के पैकेट आसानी से उपलब्ध होते हैं। इस घोल को पानी में मिलाकर समय-समय पर लेने से शरीर में आई पानी की कमी को पूरा किया जा सकता हैं। यदि दो दिन में हालत में सुधार न हो तो जल्द से जल्द किसी डॉंक्टर को दिखाना चाहिए।

कैसे बचें
बाहर खुले में बिकने वाली चीजें न खाएं।
इस मौसम में ज्यादा मात्रा में दही का सेवन करें। इससे ठंडक मिलेगी और त्वचा को भी लाभ होगा।
पानी के साथ तरल पदार्थों का सेवन बढाएं। ऐसे व्यक्ति को छाछ, नींबू की शिंकजी, चावल का मांड दें।
भारी और मिर्च-मसाले का तला-भुना खाना खाने से बचें। इसकी जगह जल्दी पचने वाला हल्का व सादा, कम कैलोरी वाला भोजन करें।
इस मौसम में चीनी और नमक का घोल लेते रहें, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो पाए।
पानी खूब पिएं, जिससे शरीर को डिटॉक्सीफाई होने में मदद मिले।
खाना खाने से पहले अच्छी तरह हाथ साफ करना न भूलें।
पानी की अधिक मात्रा वाले फलों का ज्यादा सेवन करें।

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