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सपनों को पंख लगाए एजुकेशन लोन

उच्च शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन की जरूरत आज लगभग सभी छात्रों को पड़ रही है। कुछ छात्र इस सुविधा को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं, परंतु निम्न मध्यवर्ग के अधिकांश छात्रों को यह सुविधा प्राप्त करने में...

सपनों को पंख लगाए एजुकेशन लोन
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 14 May 2013 12:56 PM
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उच्च शिक्षा के लिए एजुकेशन लोन की जरूरत आज लगभग सभी छात्रों को पड़ रही है। कुछ छात्र इस सुविधा को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं, परंतु निम्न मध्यवर्ग के अधिकांश छात्रों को यह सुविधा प्राप्त करने में दिक्कत होती है। इसके लिए जरूरी है सही जानकारी की, जिसके आधार पर बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की योजनाओं को जान कर अपनी सुविधानुसार लोन लिया जा सकता है। एजुकेशन लोन कब और किस समय लिया जाए और उसे चुकाने में क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, इस बारे में जानकारी दे रही हैं प्रियंका कुमारी

भारत के पास युवा शक्ति के रूप में एक बड़ी आबादी है। एक ऐसी आबादी, जिसके अलग-अलग सपने हैं, अपनी ख्वाहिशें हैं। कोई मैनेजर बनना चाहता है, कोई प्रशासनिक अधिकारी तो कोई इंजीनियर या फिर डॉक्टर, लेकिन यह सब इतना आसान नहीं है। इसके लिए किसी को एमबीए करने की जरूरत पड़ती है तो किसी को एमबीबीएस या इंजीनियरिंग की डिग्री लेनी होती है। प्रोफेशनल डिग्री के लिए फीस, किताबें, छात्रावास आदि के रूप में अच्छी-खासी कीमत भी चुकानी पड़ती है, लेकिन ज्यादातर युवाओं या उनके अभिभावकों के पास इतना सामर्थ्य नहीं होता। उन्हें इसके लिए वित्तीय सहायता की सख्त जरूरत महसूस होती है।

शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक इन युवाओं के लिए वित्तीय सहायता आज एक बड़ी जरूरत बन गई है। देश में कई संस्थान और विश्वविद्यालय इसके लिए छात्रवृत्ति मुहैया कराते हैं। मसलन, आदित्य बिड़ला समूह, आईआईएम, आईआईटी और बिट्स पिलानी जैसे संस्थानों में पढ़ने वाले काबिल छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है। फिर भी इतनी बड़ी आबादी में छात्रवृत्ति चंद ही लोगों को नसीब होती है। बहुत से छात्र इन स्कॉलरशिप की पहुंच से बाहर ही रहते हैं।

ऐसे में उनके सपनों को साकार करने के लिए एक बड़ा विकल्प शिक्षा ऋण के रूप में उपलब्ध है। आज देश में बहुत से बैंक स्नातक, स्नातकोत्तर, प्रोफेशनल, टेक्निकल और वोकेशनल प्रोग्राम्स के लिए शिक्षा ऋण  देते हैं। इस ऋण के अंतर्गत ट्यूशन, परीक्षा, लैब फीस, लाइब्रेरी और हॉस्टल फीस, आने-जाने का खर्च, किताबें तथा अन्य जरूरी उपकरऋणों जैसे कंप्यूटर आदि की खरीद में वित्तीय सहायता मिलती है। इसमें कुछ अड़चनें भी हैं, क्योंकि ऋण देते समय बैंक इस बात की भी परख करते हैं कि आप में कर्ज चुकाने की क्षमता है या नहीं, आप जो कोर्स कर रहे हैं, उसमें नौकरी की क्या संभावनाएं हैं तथा जो कोर्स चुना है, वह किस प्रतिष्ठित संस्थान का है। उदाहरण ऋण के तौर पर देखें तो एमबीए के उम्मीदवार को ऋण आसानी से मिल जाता है, क्योंकि रोजगार के बाजार में एमबीए ग्रेजुएट्स की मांग काफी है। ऊंची तनख्वाह पाने वाला किसी प्रतिष्ठित संस्थान का एमबीए डिग्रीधारक यह ऋण आसानी से चुका सकता है। एक और जरूरी बात यह कि देश में कर्ज देने लेने की नीति रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित नियमों के तहत चलती है। इसके बावजूद विभिन्न बैंकों की नीतियां इस मामले में एक-दूसरे से कुछ अलग होती हैं।

ऋण की शर्तें
ऋण के लिए सबसे पहली बात यह है कि छात्र अपने निवास स्थान की निकटतम शाखा से संपर्क करें और ऐसा तभी करें, जब प्रवेश परीक्षा/चयन प्रक्रिया के आधार पर व्यावसायिक/ तकनीकी पाठ्यक्रम में प्रवेश मिल गया हो, विदेशी विश्वविद्यालय/ संस्थान में प्रवेश मिल गया हो या फिर स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए छात्र ने अहर्ता परीक्षा में पास अंक प्राप्त कर लिये हों।

ऋण की राशि
अगर आप भारत में पढ़ना चाहते हैं तो उसके लिए अधिकतम ऋण की राशि 7.5 लाख है, जबकि देश से बाहर पढ़ने के लिए यह राशि 20 लाख या इससे ऊपर भी है। अगर आप इससे ज्यादा लोन लेते हैं तो भारत के लिए 5 प्रतिशत और विदेश के लिए 15 प्रतिशत अतिरिक्त सरचार्ज देना होगा। ऋण पर ब्याज दर विभिन्न बैंकों में 11.75 से लेकर 16 फीसदी तक है। मसलन, एक्सिस बैंक 16 फीसदी ब्याज पर ऋण मुहैया कराता है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया या बैंक ऑफ बड़ोदा देश के लिए सबसे अधिक 10 लाख तथा बाहर के लिए 20 लाख रुपये तक ऋण मुहैया कराते हैं। इस क्रम में 4 लाख रुपये ऋण लेने के लिए किसी तरह की गारंटी की मांग नहीं की जाती। इससे अधिक ऋण लेने पर गारंटी जरूरी हो जाती है। कोर्स करने और फिर तुरंत नौकरी मिलने के छह माह बाद ऋण वसूली की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। ऐसा नहीं हो, तब भी कोर्स करने के एक साल बाद ऋण पांच साल के अंदर किस्तों में आपको लौटाना होता है।

कई बैंकों में यह सीमा, मॉरीटोरियम पीरियड सहित 7 साल तक है। ऐसा नहीं करने पर बैंक आगे की कार्रवाई करता है। अगर आप तय समय से पहले ऋण लौटाना चाहें तो अच्छा है, क्योंकि ऐसी सूरत में ब्याज का प्रतिशत कम हो जाएगा। कोई पेनल्टी भी नहीं लगेगी।

एक और बात यह कि ऋण की राशि पर सरकार की ओर से आयकर की भी छूट मिलती है। ऋण की राशि बैंक सीधे शैक्षिक संस्थान को या फिर फीस के रूप में भी दे सकता है।

बैंक ऑफ बड़ोदा और इलाहाबाद बैंक की कुछ स्कीम्स हैं, जिनमें छात्राओं के लिए ब्याज दर में एक फीसदी छूट दी जाती है, जबकि ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स 0.5 फीसदी रियायत लड़कियों के लिए व एससी, एसटी और विकलांग छात्रों के लिए प्रदान करता रहा है। पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, देना बैंक, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई बैंक, सिंडिकेट बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक, विजया बैंक, एक्सिस बैंक तथा अन्य बैंकों ने भी छात्रों पर वित्तीय बोझ कम करने के लिए अपनी-अपनी योजनाएं तैयार की हैं। शिक्षा ऋण के मामले में जब तक एक छात्र नौकरी शुरू न कर दे, तब तक के लिए ऋण स्थगन की एक अवधि होती है। इस अवधि के दौरान ऋणी छात्र को केवल ब्याज जमा कराना होगा। कुछ बैंक पढ़ाई पूरी होने की एक निश्चित अवधि के बाद कर्ज अदायगी की तिथि पहले से तय कर लेते हैं। हालांकि यह पूरी तरह से उचित समाधान नहीं है। ऋण के आधार  के रूप में भूमि, भवन, सरकारी जमानत/ पब्लिक सेक्टर बांड्स/ यूनिट्स ऑफ यूटीआई, केवीपी, एनएससी, एलआईसी पॉलिसी, गोल्ड, शेयर/ ऋण पत्र, छात्र या अभिभावक के नाम पर बैंक में जमा राशि या व्यावसायिक संपत्ति या किसी दूसरे पक्ष की गारंटी बैंक में स्वीकार्य है, बशर्ते वह कर्ज की राशि के बराबर हो।

बैंक दिए गए ऋण के आधार पर अब बीमा भी करा रहे हैं। इसके तहत अचानक कोई हादसा होने पर उसे बीमा की तरह कवर दिया जाता है। कई बैंकों ने इस बारे में बीमा कंपनियों के साथ समझौते किए हुए हैं।

इस तरह के प्रावधानों के बीच एक कड़वा सच यह भी है कि कर्ज केवल संपत्ति धारकों को ही दिया जाता है। गरीब या निर्धन छात्र इस तरह की सुविधाओं से अभी भी कोसों दूर हैं। ऐसे में जरूरी है कि बैंक अपनी शर्तों व नियम को आसान बनाएं, ताकि निचले स्तर के जरूरतमंद छात्रों को ऋण का फायदा पहुंच सके। एक ऐसी पहल पंजाब नेशनल बैंक ने की थी, जिसने राजस्थान में शिक्षा ऋण के मद में कुछ साल पहले 45 करोड़ रुपये आवंटित किये थे। इसके तहत बैंक बिना जमानती या गारंटी राशि के जरूरतमंद छात्रों को भारत व विदेश में शिक्षा के लिए ऋण उपलब्ध करा सकेगा। एसबीआई के दिशानिर्देश के मुताबिक 4 लाख रुपए तक की राशि के लिए गारंटी की जरूरत नहीं है, पर इससे अधिक ऋण के लिए कोई गारंटी लेने वाला जरूर होना चाहिए। 15 या 20 लाख रुपए के लिए भी ठोस ऋणाधार, कॉलेटरल सिक्योरिटी देनी होगी। एचडीएफसी बैंक 4 लाख रुपए या उससे ऊपर की राशि के शिक्षा ऋण के लिए ऋणाधार की मांग करता है।

ऊपर जितनी भी जानकारी दी गई है, उन्हें जानते हुए छात्रों को अपनी शैक्षिक आकांक्षा नहीं छोड़ देनी चाहिए,क्योंकि कोई भी सपना पूरा करना असंभव नहीं है।

दस्तावेज कौन-कौन से
ऋण देने से पहले बैंक छात्र और साथ में ऋण चुकाने की गारंटी लेने वाले, दोनों के पहचान पत्र और आवास प्रमाऋणपत्र लेता है। दाखिला पत्र, फीस की रूपरेखा, रसीद, फोटो व शैक्षिक प्रमाऋणपत्र भी दिखाना होता है। ऋण के लिए छात्र को अपने आवेदन के साथ सहायक आवेदक, गारंटी लेने वाले का आय प्रमाऋणपत्र भी दिखाना होता है, क्योंकि उनकी आय के आधार पर ही कर्ज की राशि तय की जाती है। विदेश में पढ़ने वाले छात्रों को संबंधित विश्वविद्यालय के विभाग प्रमुख का लेटर, वीजा पेपर, ट्रैवल पेपर और जीमैट, जीआरई या सैट का स्कोर आदि दिखाने पड़ते हैं। कुछ बैंक आयु भी देखते हैं। लोन 16 से 30 वर्ष की आयु वाले छात्र को दिया जाता है। लोन से पहले बैंक मुख्य तौर पर यह भी देखते हैं कि आप जिस कोर्स में दाखिला ले रहे हैं, विश्वविद्यालय का वह कोर्स सरकारी या नियामक संस्था जैसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, एआईसीटीई या इस तरह की किसी अन्य संस्था से मान्यताप्राप्त है या नहीं।

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