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चूहों का मजेदार मायाजाल

तुमने फ्रेंडशिप डे, रिपब्लिक डे, मदर्स डे के बारे में तो जरुर सुना होगा। पर क्या कभी तुमने वर्ल्ड रैट के बारे में सुना है? जरुर तुम्हें यह सोच कर हंसी आ रही होगी कि रैट यानी चूहे जैसे पिद्दी से जानवर...

चूहों का मजेदार मायाजाल
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 01 Apr 2013 01:42 PM
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तुमने फ्रेंडशिप डे, रिपब्लिक डे, मदर्स डे के बारे में तो जरुर सुना होगा। पर क्या कभी तुमने वर्ल्ड रैट के बारे में सुना है? जरुर तुम्हें यह सोच कर हंसी आ रही होगी कि रैट यानी चूहे जैसे पिद्दी से जानवर के लिए भी क्या कोई खास दिन हो सकता है? लेकिन यह सच है और हर साल 4 अप्रैल को दुनियाभर में वर्ल्ड रैट डे मनाया जाता है। इसी बहाने तुम्हें चूहों की दुनिया की सैर करा रहे हैं आमिर शकील

हमारे देश में भले ही इस तरह का कोई दिन नहीं मनाया जाता, पर बाकी दुनिया में इस दिन को खास पालतू चूहों को समर्पित किया गया है। इस दिन के महत्व को इस बात से जोड़ कर देखा जाता है कि किस तरह पालतू चूहे हर उम्र और वर्ग के लोगों कें लिए मजेदार साथी साबित होते हैं। ये चूहे कई तरह के होते हैं।  वर्ल्ड रैट डे के अवसर पर जानते हैं इन चूहों की इस मजेदार दुनिया के बारे में। 

फैंसी रैट
फैंसी रैट वही भूरे रंग के चूहे होते हैं, जिन्हें तुम आमतौर पर अपने घर में देखते हो। पालतू चूहों को ही आमतौर पर फैंसी रैट कहा जाता है। पहली बार ये 19वीं सदी के आसपास यूरोप में पाए गए थे। फैंसी रेट कई तरह से बाकी के चूहों से अलग होते हैं। तुम्हें जानकर आश्चर्य होगा कि फैंसी चूहों के बारे में जानकारी देने और इनके रख-रखाव के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए अमेरिकन फैंसी रैट एंड माउस एसोसिएशन नामक संस्था भी है। यह संस्था हर साल कैलिफोर्निया में फैंसी चूहों की एक प्रदर्शनी का भी आयोजन करती है।

ब्राउन रैट
ब्राउन रैट सबसे ज्यादा पाए जाने वाले चूहे होते हैं। स्ट्रीट रैट, सीवर रैट, ब्राउन नॉरवे रैट ब्राउन रैट की ही सबसे ज्यादा पाई जाने वाली ब्रीड्स हैं। ब्राउन रैट को हैनओवर रैट के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, माना जाता है कि 18वीं सदी में इंग्लैंड की हाउस ऑफ हैनओवर में यह पहली बार पाए गए थे। इन चूहों की सुनने की क्षमता काफी अच्छी होती है और ये अल्ट्रासोनिक साउंड के प्रति काफी संवेदनशील भी होते हैं। इनसे जुड़ी एक खास बात यह भी है कि ये चूहे बेहतरीन तैराक होते हैं।

लैबोरेटरी रैट
लैबोरेटरी रैट, ब्राउन रैट की ही एक प्रजाति होती है, जिसका इस्तेमाल लैब में वैज्ञानिक अनुसंधानों में किया जाता है। लैबोरेटरी रैट को एक्सपेरिमेंट के लिए एक उपयुक्त मॉडल माना जाता है। सबसे पहली बार लैबोरेटरी चूहों का प्रयोग 1828 में यूरोप में किया गया था। रिसर्च के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ये चूहे केवल 17 से 20 दिन ही जीवित रहते हैं।

गैम्बियन पाउच्ड रैट
गैम्बियन पाउच्ड रैट को कई बार अफ्रीकन जायंट पाउच्ड रैट भी कहा जाता है। इन चूहों की लंबाई कई बार 3 फीट तक हो जाती है। ये चूहे आमतौर पर सब सहारन अफ्रीकन रेगिस्तान के इलाकों में पाए जाते हैं। इन चूहों की आंखें बेहद कमजोर होती हैं और खाने के लिए ये सूंघने और सुनने की क्षमता पर ही निर्भर रहते हैं। अफ्रीका के कुछ इलाकों में इन्हें बुशमीट के तौर पर खाया भी जाता है। कई देशों में इन चूहों को खास तौर पर ट्रेन किया जा रहा है। ट्रेनिंग के बाद ये बारूदी सुरंगों को पहचान सकते हैं। तब इन्हें हीरो रैट का नाम दे दिया जाता है।

पॉलिनेशियन रैट
पॉलीनेशियन रैट चूहों की तीसरी सबसे ज्यादा पाई जाने वाली प्रजाति है। पॉलीनेशियन रैट सबसे पहले साउथ-ईस्ट एशिया में पाए गए थे। इन्हें पैसिफिक रैट भी कहा जाता है। इनसे जुड़ी सबसे खास बात यह है कि ये किसी भी वातावरण में बेहद आसानी से ढल जाते हैं। पॉलीनेशियन चूहों से जुड़ी एक और रोचक बात यह भी है कि ये चढ़ने में माहिर होते हैं, इसीलिए कई बार ये पेडमें पर घोंसला बनाकर भी रहते हैं।

चूहों के लिए खास मंदिर
यह तो तुम जानते ही होंगे कि चूहा गणेश भगवान की सवारी है। लेकिन क्या तुम जानते हो कि हमारे देश में एक ऐसा मंदिर है, जहां लोग चूहों के साथ एक ही थाली में बैठकर खाते हैं। राजस्थान के देशनोक इलाके में कर्णी माता का मंदिर है। इस मंदिर में बहुत से चूहे आपको मिल जाएंगे। इन चूहों को खासतौर पर इस मंदिर में शरण दी गई है। मंदिर में इन चूहों की पूजा भी होती है। इस मंदिर में कई सफेद चूहे भी हैं। इन सफेद चूहों को दुर्गा माता का अवतार माना जाता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार कर्णी माता के मंदिर में पाए जाने वाले चूहों को उनके भक्तों का अवतार माना जाता है।

क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड रैट डे?
वर्ल्ड रैट डे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का चलन करीब 11 साल पहले शुरू हुआ। रैटलिस्ट नामक एक ग्रुप है, जिससे जुड़े लोग इंटरनेट के माध्यम से पालतू चूहों पर बातचीत करते रहते हैं। 2002 में इस ग्रुप के सदस्यों को लगा कि क्यों न कोई ऐसा खास दिन तय किया जाए जो पालतू चूहों का दिन कहा जा सके। इस दिन के जरिए इस बात को भी बढ़ावा मिलेगा कि पालतू चूहे मनुष्य के कितने अच्छे दोस्त साबित हो सकते हैं। यूं तो अप्रैल का कोई भी दिन चुना जा सकता था, मगर 4 तारीख को इसलिए चुना गया, क्योंकि इसी दिन रैटलिस्ट की शुरुआत हुई थी। रैट डे पर कई तरह के खास आयोजन किए जाते हैं। लोग अपने पालतू चूहों को सजा-धजाकर पार्टियों में लाते हैं। मजेदार बात यह है कि इन विशेष पार्टियों में लोग अपने-अपने चूहों की बढ़ाई करते हैं और उन पर लिखी गई खास कविताएं भी पढ़ते हैं।

चूहों से जुड़ी कुछ रोचक बातें
भले ही अचानक तुम इन्हें देख कर डर जाते हों और कुछ चीखते भी हों, मगर यह छोटा-सा जानवर है बड़ा मजेदार। इनके बारे में ऐसी बहुत सी बाते हैं, जिन्हें जानकर तुम्हें हैरत होगी और साथ ही हंसी भी आएगी।

चूहे अक्‍सर समूह में ही रहते हैं। अकेला होने पर ये उदास हो जाते हैं।
चूहों की एक बड़ी विशेषता यह है कि इनकी याददाश्त बहुत तेज होती है। जो रास्ता ये एक बार याद कर लेते हैं, उसे कभी नहीं भूलते।
चूहे जब खुश होते हैं तो अपने दांतों को पीस कर एक अजीब तरह की आवाज निकालते हैं, साथ ही आंखें भी
मिचकाते हैं।
पानी की एक बूंद पिए बिना भी चूहे एक ऊंट से ज्यादा जी सकते हैं।
चीनी राशिफल में चूहे का खास स्थान है। चीनी राशिफल में शामिल कुल बारह जानवरों में चूहे को पहले स्थान पर रखा गया है। चीनी मान्यता के हिसाब से चूहे को रचनात्मकता, ईमानदारी, महत्वाकांक्षा, उदारता, इंटेलिजेंस से जोडम जाता है।
रोमन लोग चूहों को गुड लक का प्रतीक मानते थे।
चूहों की देखने की क्षमता बहुत अच्छी नहीं होती और वे रंग भी नहीं पहचान पाते।

रुपहले पर्दे के रंग-बिरंगे चूहे
चूहों ने फिल्मों और कार्टूनों में भी तुम्हें खूब हंसाया और गुदगुदाया है। फिर चाहे वो टॉम एंड जेरी का जेरी हो या फिर हम सबका फेवरेट मिकी माउस।

जेरी
टॉम एंड जेरी ज्यादातर बच्चों का फेवरेट कार्टून होता है। बच्चे तो बच्चे, बड़े भी टॉम एंड जेरी के कारनामों से हंस-हंस कर लोट-पोट हो जाते हैं। जेरी द माउस की शरारतों के तो कहने ही क्या। जेरी के किरदार को पहली बार विलियम हेन्ना और जोसेफ बारबरा ने बनाया था। 1940 में पहली बार तुम्हारा प्यारा और नटखट जेरी पस गेट्स द बूट्स नाम की शॉर्ट फिल्म में नजर आया था।

मिकी माउस
मिकी माउस को दुनिया का सबसे पॉपुलर कार्टून कैरेक्टर कहना गलत नहीं होगा। वॉल्ट डिज्नी और अब इवकस ने मिलकर 1928 में मिकी माउस को जन्म दिया था। दुनियाभर में मिकी माउस की लोकप्रियता के चलते ही इसे वॉल्ट डिज्नी कंपनी ने अपना मैस्कट बनाया है। पहली बार नवंबर 1928 में मिकी माउस स्टीमबोट विले नाम के कार्टून में नजर आया था। मिकी माउस स्टारर फिल्म लेंड ए पा को 1942 में बेस्ट एनिमेटेड शॉर्ट फिल्म के ऑस्कर से भी सम्मानित किया जा चुका है। हॉलीवुड वॉक ऑफ फेम में शामिल मिकी माउस अकेला कार्टून किरदार है।

माइटी माउस
भले ही माइटी माउस को मिकी और जेरी जैसी लोकप्रियता न मिली हो, लेकिन इस चूहे ने भी कॉमिक्स की दुनिया में खूब नाम कमाया। पहले इसका नाम सुपरफ्लाई था और इसे सुपरमैन का मजाक उड़ाने के लिए बनाया गया था। लेकिन बाद में इसका नाम माइटी माउस रख दिया गया। अगली बार जब कॉमिक्स खरीदने जाओ तो माइटी माउस जरूर खरीदना। यह भी तुम्हे खूब हंसाएगा।

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