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हम हैं नये तो सुबह का नाश्ता क्यों हो पुराना

शुरू-शुरू में फटाफट कुछ हल्का खाने के लिए या फिर खाने का स्वाद बदलने के लिए ही फास्टफूड को अपनाया जाता था, पर आज यही फास्टफूड घरों की जरूरत बनता जा रहा है। इतना ही नहीं, ठेठ देसी स्वाद पसंद करने वाले...

हम हैं नये तो सुबह का नाश्ता क्यों हो पुराना
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 15 Mar 2013 10:45 AM
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शुरू-शुरू में फटाफट कुछ हल्का खाने के लिए या फिर खाने का स्वाद बदलने के लिए ही फास्टफूड को अपनाया जाता था, पर आज यही फास्टफूड घरों की जरूरत बनता जा रहा है। इतना ही नहीं, ठेठ देसी स्वाद पसंद करने वाले घरों में भी युवा पसंद के चलते सुबह के नाश्ते में फास्टफूड ने अपनी जगह बना ली है। जहां पहले दही-परांठे का साम्राज्य था वहीं आज सुबह के नाश्ते में स्पैगिटीज, नूडल्स, कंट्री कोटेज चीज सेंडविच, हॉट डॉग, ग्रिल्ड चीज सेंडविच, कॉफी या मिल्क शेक नई-पुरानी दोनों पीढियों को पसंद आ रहा है। समय के साथ-साथ लंच और डिनर ने जिस तरह से अपना स्वरूप बदला है उसी तरह ब्रेकफास्ट का भी जायका बदल गया है। इटैलियन, चाइनीज से लेकर थाई और मैक्सिकन व्यंजन भी घरों में बनने लगे हैं।

पीढ़ी तीन हैं, तो स्वाद एक कैसे!   
विविधता आज का मूल मंत्र है और इसका सबसे ज्यादा असर हमारे भोजन पर भी दिखाई देता है। जिस घर में तीन पीढियां साथ रहती हैं, वहां इस विविधता को सहज देखा जा सकता है। पहली पीढ़ी को दिल का ध्यान रखना है, इसलिए वो दही, फ्रूट, दलिया, कॉर्नफ्लैक्स, अंकुरित चने व दाल यानी स्प्राउट्स लेना पसंद करते हैं। दूसरी पीढ़ी पारंपरिक नाश्ता पसंद करती है इसलिए घर में परांठे, पकौड़ों, ब्रेड मक्खन जैसी चीजों का होना भी जरूरी है और रही बात तीसरी यानी ग्लोबल पीढ़ी की, तो उसकी फेहरिस्त में तरह-तरह के सूप, नूडल्ड, पास्ता और ग्रिल्ड सेंडविच तो प्लेट में शामिल हैं ही, पर साथ में फल-सब्जियों के जूस और सलाद से फिटनेस साधना मूल मंत्र बन गया है। 

विदेशी तड़के के साथ हो देसी स्वाद
नई पीढ़ी को दूध से परहेज नहीं है, पर उसके रंग, फ्लेवर और स्वाद को लेकर उसके अपने टेस्ट हैं। नई पीढ़ी  के लिए खाने की चीजों को परोसने के ढंग भी मायने रखते हैं। यही कारण है कि कटलेट ब्रेकफास्ट टेबल पर अकेला नहीं होता, बल्कि उसके ऊपर कैबेज की बारीक कतरनें, टमाटर के पतले कटे स्लाइस और चिप्स सेंडविच को कंपनी दे रहे होते हैं। धनिए और पुदीने की चटनी नहीं, सॉस की अनेक वैरायटी डायनिंग टेबल पर हाजिर रहती हैं। सेंडविच यदि ग्रिल नहीं किया गया या उस पर मियोनीज की परत नहीं चढ़ी हो तो उसे दकियानूसी करार दे दिया जाता है।

नूडल्स ने लुभाया सबको
2 मिनट नूडल्स न केवल बच्चों के लंच पैक्स में बल्कि हर डायनिंग टेबल पर देखे जा सकते हैं। सुबह, दिन और रात किसी भी समय इन्हें खाने से गुरेज नहीं। खासतौर पर ऐसे लोग जो सुबह के समय रसोई में अधिक समय नहीं बिताना चाहते, उनके लिए 2 मिनट में तैयार होने वाले नूडल्स से बेहतर क्या हो सकता है। जिन्हें इसका ये रूप नहीं भाता वो इसमें सब्जियां, पनीर और टमाटर मिलाकर उसका भारतीयकरण कर देते हैं।
स्पैगिटी नूडल्स का जुड़वा भाई है और ये भी ब्रेकफास्ट में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं। पास्ता जैसी डिश बनाना हर किसी के बस की बात नहीं और भला हो पैक्ड फूड का जिन्होंने सब कुछ संभव कर दिया है। यही हाल साउथ इंडियन व्यंजनों का भी है। पहले जहां केवल दक्षिण भारतीयों के घरों में इन व्यंजनों की खुशबू आती थी, वहीं अब दोसा, उत्पम, इडली, वडा, उपमा विभिन्न कंपनियों के रेडीमेड मिक्सचर की बदौलत घर-घर पहुंच चुका है। स्प्राउट्स बीन्स भी रेडीमेड उपलब्ध हैं। जो ऐगेटेरियन हैं, अंडा उनके ब्रेकफास्ट का राजा है।

ब्रेकफास्ट करना जरूरी है
पुराने समय से कहावत है कि सुबह का नाश्ता राजा की तरह, दोपहर का राजकुमार की तरह और रात का खाना भिखारी की तरह करना चाहिए। इसका मतलब है कि सुबह के समय कुछ खा लेना ही काफी नहीं है, बल्कि सेहत और दिन भर ऊर्जा से भरपूर रहने के लिए पूरी मात्रा में संतुलित भोजन करना चाहिए। यहां तक कि गरिष्ठ खाद्य पदार्थों को भी पचने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।

इस ब्रेक फास्ट में ब्रेक न आने के सिद्धांत को किसी अपनाया हो या न अपनाया हो, पर उसके फास्ट वाले चलन को नई पीढ़ी पूरी तरह अपना चुकी है। ऐसे में जरूरी है कि फास्ट फूड का चुनाव करते समय सेहत का भी ध्यान रखा जाए।

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