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पाकिस्तानी-तालिबान ने शांति वार्ता के लिए सिफारिश का स्वागत किया

पाकिस्तानी तालिबान ने उग्रवादियों के साथ बातचीत करने के लिए बड़े राजनीतिक दलों की सिफारिशों का स्वागत किया, लेकिन कहा कि कोई भी बातचीत सेना के समर्थन या उसकी भागीदारी के बिना अधूरी...

पाकिस्तानी-तालिबान ने शांति वार्ता के लिए सिफारिश का स्वागत किया
Sat, 02 Mar 2013 03:45 PM
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पाकिस्तानी तालिबान ने उग्रवादियों के साथ बातचीत करने के लिए बड़े राजनीतिक दलों की सिफारिशों का स्वागत किया, लेकिन कहा कि कोई भी बातचीत सेना के समर्थन या उसकी भागीदारी के बिना अधूरी रहेगी।
   
उग्रवादियों के साथ बातचीत के लिए गुरुवार को राजनीतिक दलों की बैठक में रखे गए प्रस्ताव का हकीमुल्ला मेहसूद की अगुवाई वाले प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने स्वागत किया है। लेकिन टीटीपी ने यह भी कहा कि वह सेना की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने का इंतजार कर रहा है।
  
तालिबान के प्रवक्ता एहसानुल्ला एहसन ने कहा कि हमारी राजनीतिक शूरा (परिषद) की बैठक हुई और तालिबान के साथ बातचीत के बारे में राजनीतिक दलों की सिफारिश का स्वागत किया गया। संयुक्त बयान में राजनीतिक दलों ने आतंकवाद शब्द के उपयोग से बचते हुए सकारात्मक संकेत दिया।
   
उन्होंने कहा लेकिन वास्तविक शक्ति पाकिस्तानी सेना के पास है तो हम सैन्य प्राधिकारियों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने का इंतजार कर रहे हैं। दैनिक द न्यूज में एहसन को यह कहते हुए उद्धत किया गया है कि सेना की भागीदारी के बिना बातचीत अधूरी रहेगी।
   
मौलाना फजलुर रहमान की अगुवाई वाली जमायत उलेमा ए इस्लाम द्वारा आयोजित राजनीतिक दलों की बैठक में तालिबान के साथ बातचीत का आहवान किया गया ताकि देश के कबायली हिस्से और अन्य भागों में शांति और स्थिरता का माहौल रहे।
   
राजनीतिक दलों ने उस सिफारिश का भी समर्थन किया कि बातचीत कबायली वरिष्ठ नेताओं की ग्रांड जिरगा द्वारा संचालित की जानी चाहिए। एक माह में राजनीतिक दलों की यह दूसरी बैठक थी जिसमें तालिबान के साथ बातचीत का समर्थन किया गया।
   
अवामी नेशनल पार्टी द्वारा 14 फरवरी को आयोजित बैठक में शांति स्थापित करने के लिए तालिबान के साथ बातचीत को प्राथमिकता देने की जरूरत पर जोर दिया गया। इस साल के शुरू से पाकिस्तानी तालिबान ने सरकार के साथ बातचीत के लिए कई बार पेशकश की।
   
सरकार ने कहा है कि उग्रवादियों को बातचीत से पहले हथियार त्यागना चाहिए और एक माह के संघर्ष विराम की घोषणा करनी चाहिए। बहरहाल, तालिबान ने बातचीत से पहले हथियार त्यागने से इंकार कर दिया है।
   
एहसन ने दावा किया हम देश में शरीया के कार्यान्वयन के लिए जिहाद कर रहे हैं और इस संघर्ष में पाकिस्तानी जनता हमारे साथ है। एक संबंधित घटनाक्रम में खबर पख्तूनख्वा प्रांत के गर्वनर शौकतुल्ला ने तालिबान और सरकार सहित अन्य पक्षों के साथ बातचीत के लिए ग्रांड जिरगा को मंजूरी दे दी है।

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