अपना भी रखें खास खयाल
छोटे-से बच्चे की किलकारी घर में गूंज रही है तो आपके और पूरे घर के आकर्षण का केंद्र भी वही होगा। उसकी हर छोटी-से-छोटी जरूरत का ध्यान आप रख रही हैं, पर क्या उतना ही ध्यान आप अपना भी रख रही हैं? बच्चे...
छोटे-से बच्चे की किलकारी घर में गूंज रही है तो आपके और पूरे घर के आकर्षण का केंद्र भी वही होगा। उसकी हर छोटी-से-छोटी जरूरत का ध्यान आप रख रही हैं, पर क्या उतना ही ध्यान आप अपना भी रख रही हैं? बच्चे के साथ-साथ नई मां को भी क्यों चाहिए देखभाल, बता रही हैं शाश्वती
प्रेग्नेंसी से लेकर बच्चे के जन्म तक की पूरी प्रक्रिया एक मां के लिए न सिर्फ रोचक होती है, बल्कि चुनौती भरी भी। पर उससे भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है बच्चे को सही पालन-पोषण देना। अपनी जिम्मेदारी निभाने और बच्चे की हर जरूरत का ध्यान रखने की प्रक्रिया में नई मां अपनी सेहत को कब और कितना ज्यादा अनदेखा कर जाती हैं, उन्हें खुद भी नहीं पता चलता। यह बात समझ में तब आती है, जब शरीर साथ नहीं देता। ऊर्जा कम महसूस होने लगती है। थकान हावी होने लगती है। चुनौती शारीरिक ही नहीं, मानसिक भी होती है। चिड़चिड़ापन हावी होने लगता है। मां के रूप में अपनी नई भूमिका से सामंजस्य बैठाना कोई आसान काम नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि आप शारीरिक और मानसिक, दोनों रूप से मजबूत बनें और इसके लिए जरूरी है ढेर सारा आराम, सही पोषण और हल्का-फुल्का व्यायाम।
कैसे करें आराम
मां बनने के कुछ दिनों के भीतर ही आपको इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि आपके बच्चे के सोने, जगने और दूध पीने का वक्त आपके रुटीन से बिल्कुल अलग या फिर उल्टा है। नवजात शिशु अमूमन हर तीन घंटे पर दूध पीने के लिए जगता है। ऐसे में अपने बच्चे की जरूरतों को पूरा करने के क्रम में अकसर थकावट से मां
की हालत भी खराब हो जाती है। वैसे तो आठ घंटे की नींद आने वाले कई महीने तक आपको नसीब नहीं होने वाली, पर फिर भी कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप कुछ ज्यादा आराम कर सकती हैं:
परिवार के सदस्य यह सुनिश्चित करें कि बच्चे के जन्म के बाद पहले कुछ सप्ताह तक मां के ऊपर बच्चे और अपनी देखभाल के अलावा कुछ और जिम्मेदारी न हो।
जब बच्चा सो रहा हो, उस वक्त आप भी सो जाएं। यह नींद कुछ-कुछ वक्त की होगी। पर इससे आपके शरीर को आराम जरूर मिलेगा।
बच्चे को अपने साथ बेड पर सुलाएं या फिर उसका पालना अपने बेड के पास रखें। इससे आप अतिरिक्त भागदौड़ से बच सकेंगी।
बच्चे के जन्म के बाद दोस्तों और रिश्तेदारों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है, पर जरूरी नहीं है कि आप हर मेहमान की आवभगत करें। अगर आपको सोना है या फिर बच्चे को दूध पिलाना है तो वो सब काम आप करें।
हर दिन कुछ मिनट के लिए घर से बाहर निकलें और टहलें।
दो या तीन सप्ताह बाद बच्चे को एकाध बार बोतल से भी दूध पिलाना शुरू कर दें। इस तरह कोई और भी बच्चे को दूध पिला पाएगा और आप कुछ घंटे की अच्छी नींद ले सकेंगी।
कैसा हो आहार
आराम के साथ-साथ हर नई मां को संतुलित आहार की भी जरूरत होती है। गर्भावस्था के दौरान बढ़ा वजन मां को ठीक होने और बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करवाने में मदद करता है। आप बच्चे को अपना दूध पिला रही हैं या फिर बोतल का दूध, दोनों ही स्थिति में संतुलित आहार की जरूरत है। गाइनेकोलॉजिस्ट व इंफर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. शिवानी सचदेव गौड़ के मुताबिक, मां बनने के बाद महिला को हर दिन 600 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होती है। अपना खाना सोच-समझकर चुनें ताकि अतिरिक्त कैलोरी तो मिले, पर शरीर में वसा की मात्रा न बढ़े। ऐसा आहार चुनें, जिससे कब्ज की शिकायत न हो। अगर इस वक्त आपको कब्जियत होगी तो स्टिच पर जोर पड़ेगा। ऐसा खाना खाएं, जो आसानी से पचे, जिसमें मसाला कम हो और ज्यादा तला-भुना न हो। शुरुआत के कुछ दिनों में सेमी-सॉलिड और घर में बना हुआ ताजा खाना ही खाएं। पोहा, खिचड़ी, उपमा, दलिया, कस्टर्ड, खीर और इडली जैसी चीजें बेहतर विकल्प हैं। पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ पिएं। अपने खाने में फाइबरयुक्त खाद्य पदार्थ भी शामिल करें। प्रोटीन युक्त खाना जैसे दूध और दूध से बनी खाद्य सामग्री, अंडा, पनीर, सूखे मेवे और दाल आदि खाएं। दाल से प्रोटीन तो मिलती है, पर इससे मां और बच्चे दोनों को गैस की समस्या हो सकती है। इसलिए आसानी से पचने वाली मूंग और अरहर की दाल खाएं। दूध ज्यादा बने, इसके लिए ढेर सारा तरल पदार्थ पिएं। इसके अलावा अजवाइन, सौंठ, तिल, मेथी और सौंफ आदि से भी दूध ज्यादा बनता है। जंक फूड से दूर रहें।
कितना करें व्यायाम
बच्चे के जन्म के दो माह बाद तक भारी-भरकम व्यायाम की सलाह नहीं दी जाती, पर आप इस दौरान प्राणायाम शुरू कर सकती हैं। प्राणायाम एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार ही करें। इससे न सिर्फ तनाव कम होगा, बल्कि पेट की मांसपेशियों को फिर से पुराने आकार में लाने और वसा की मात्रा कम करने में मदद मिलेगी। बच्चे के जन्म के बाद व्यायाम की शुरुआत हल्के व्यायाम से करें। शुरुआत हल्की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज, एरोबिक्स और प्राणायाम से करें। हल्की साइकलिंग व तैराकी भी फायदेमंद होगी। विशेषज्ञ की सलाह के अनुरूप ही व्यायाम करें।
गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. मणिका खन्ना के पांच टिप्स
बच्चे के जन्म के बाद छह माह तक अपनी डाइट का खास खयाल रखें। चूंकि बच्चा इस दौरान मां के दूध पर निर्भर होता है, इसलिए शरीर में प्रोटीन की खपत बढ़ जाती है। प्रोटीन युक्त आहार प्रचुर मात्रा में खाएं।
मां बनने के बाद कम-से-कम तीन माह तक कैल्शियम, आयरन और मल्टी विटामिन सप्लीमेंट जरूर खाएं।
बच्चे के जन्म के बाद से पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज शुरू कर दें। इससे 40 वर्ष की उम्र के बाद यूरिनरी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।
मां बनने के एक साल के भीतर गर्भावस्था के दौरान बढ़े वजन को कम करने की कोशिश करें। वजन कम करने में हड़बड़ी न करें, पर इस बढ़े हुए वजन को पूरी तरह से अनदेखा न करें। वजन कम करने के लिए अपनी डाइट प्लान करें। मसाज की अनदेखी न करें। मसाज से शरीर को गर्भावस्था से पहले वाले आकार में आने में मदद मिलती है।
बच्चे के जन्म के बाद सर्विकल कैंसर का टेस्ट अवश्य करवाएं। जैसे ही मां के दूध पर बच्चे की निर्भरता खत्म हो, एंटी कैंसर टीका जरूर लगवाएं।