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भारत ही नहीं, सभी पड़ोसियों से है चीन का सीमा विवाद

विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले देश चीन की दुनिया मे सबसे ज्यादा देशों के साथ सीमाएं जुड़ी हैं और सीमा को लेकर लगभग सभी पड़ोसियों के साथ उसकी तनातनी है, लेकिन भारत से जमीनी तथा जापान-वियतनाम और फिलीपींस...

भारत ही नहीं, सभी पड़ोसियों से है चीन का सीमा विवाद
एजेंसीMon, 21 Jan 2013 11:36 AM
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विश्व की सर्वाधिक आबादी वाले देश चीन की दुनिया मे सबसे ज्यादा देशों के साथ सीमाएं जुड़ी हैं और सीमा को लेकर लगभग सभी पड़ोसियों के साथ उसकी तनातनी है, लेकिन भारत से जमीनी तथा जापान-वियतनाम और फिलीपींस के साथ समुद्री सीमा को लेकर उसका गहरा विवाद है।

पिछले सप्ताह चीन ने जापान के साथ विवादित समुद्री सीमा पर अपने दो लड़ाकू विमान भेजे, जिनके पीछे जापान ने तुरंत अपने लडाकू विमान लगा दिए। यह विवाद अभी थमा भी नहीं था कि चीन ने अपना नया सरकारी नक्शा जारी कर दिया, जिसमें दक्षिण चीन सागर के 130 से अधिक द्वीपो को उसने अपना हिस्सा बताया है।

चीन की इस हरकत से पूरे दक्षिण पूर्वी एशिया में तनाव का माहौल पैदा हो गया है। दुनिया के 14 देशों के साथ चीन की जमीनी सीमाएं लगती हैं, जबकि चार देशों जापान, फिलीपींस, वियतनाम और दक्षिण कोरिया के साथ उसकी जल सीमाएं हैं। पूर्वी चीन सागर में समुद्री सीमा को लेकर चीन का विवाद जापान तथा दक्षिण कोरिया और दक्षिणी चीन सागर में फिलीपींस, वियतनाम और लाओस से है।

चीन की विवादित जमीनी सीमाएं करीब 22 हजार किलोमीटर हैं। उत्तर में ए सीमाएं कोरिया रुसी गणराज्य से अलग हुए कजाकिस्तान, किर्गीजस्तान और ताजिकिस्तान के साथ ही अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान, म्यांमार, लाओस, वियतनाम तथा उत्तर कोरिया से जुडी है। इनमें सेज्यादातर देशों के साथ उसने सीमा विवाद पर समझौता कर लिया है लेकिन ए समझौते लगभग उसी की शर्तों पर हुए हैं, जिसमें एक तरह से उसी की जीत है।

भारत के साथ चीन का जमीनी सीमा को लेकर गहरा विवाद है। जम्मू-कश्मीर के लद्दाख से अक्साई चिन तक तथा पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश को वह अपना हिस्सा मानता है। उसने 1957 मे अक्साई चिन में निर्माण कार्य भी किया, जिसका पता भारत को करीब एक साल बाद चीन का नक्शा देखकर चला। अरुणाचल प्रदेश को उसने अपने कब्जे वाले तिब्बत का हिस्सा माना है।

तिब्बत के साथ अंग्रेजों के शासनकाल में 1913-14 में सर हेनरी मेकमाहोन के नेतृत्व भारत का समझौता हुआ था। सर मेकमाहोन ने भारत और तिब्बत के बीच 890 किलो मीटर लंबी सीमा रेखा खींची, जिसे मेकमाहोन लाइन नाम दिया गया था। इस समझौते के बाद यह विवाद सुलझा दिया गया था।

तिब्बत से 1959 मे दलाई लामा के निर्वासन के बाद चीन तथा भारत के बीच तनाव बढा और जिस चीन को 1951 में सबसे पहले भारत ने विश्व मंच पर राजनयिक मान्यता दी थी, उसी ने 1962 में भारत के पंचशील जैसे शांति सिद्धांत को ठुकराते हुए भारत पर आक्रमण कर दिया।

भारत और चीन आज विश्व के आर्थिक मंच पर तेजी से आगे बढती अर्थव्यवस्थाएं हैं। विकासशील देशों के आर्थिक संगठन ब्रिक्स में दोनों देशों ने धमाकेदार मौजूदगी दर्ज कराई है और दुनिया को अपनी आर्थिक शक्ति होने का एहसास दिलाया है।

ब्रिक्स में इन दोनों देशों के अलावा ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। बदलते वैश्विक परिदृश्य में सीमा पर शांति रहे, यह दोनों परमाणु सम्पन्न देश समझते हैं। उन्हें एक दूसरे की आर्थिक और सामरिक ताकत का भी एहसास है। चीन भी समझता है कि भारत आज 1965 का उसका पडोसी नहीं है।

इन सब स्थितियों के बीच दोनों ओर से सीमा विवाद को सुलझाने के प्रयास जारी हैं। दोनों देशों के रक्षा सचिवों के बीच इसी माह सोमवार को बीजिंग में बैठक हुई, जिसमें भारतीय रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा तथा चीन के केन्द्रीय सैन्य आयोग के उपाध्यक्ष झी किलियांग के बीच रक्षा सहयोग पर समझौता हुआ।

दोनों पडोसियों ने कहा कि पारस्परिक हितों तथा जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह समझौता किया जा रहा है। परस्पर विश्वास बढाने के लिए संयुक्त युद्ध अभ्यास कराने का भी फैसला किया गया।

इधर, पूर्वी चीन सागर मे दायोयु द्वीप पर चीन और जापान के बीच जबरदस्त टकराहट हो रही है। यह द्वीप जापान के सेकाकु क्षेत्र मे पडता है लेकिन पिछले सप्ताह चीन ने इस विवादित द्वीप पर अपने दो लडाकू विमान भेजे और आरोप लगाया कि जापानी इस क्षेत्र में तेजी से घुसपैठ कर रहे हैं, जिसे रोकने के लिए उसने यह कार्रवाई की।

चीन का कहना है कि यह द्वीप उसका हिस्सा है और अपने क्षेत्र की हिफाजत के लिए वह विवादित समुद्री सीमा के आसमान पर हवाई गश्त जारी रखेगा। उसने यह भी कहा कि वह जापान ही नहीं अन्य देशों से लगी अपनी समुद्री सीमाओं पर कडी नजर रखे है।

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने चीन को अपनी सीमा मे रहने की चेतावनी दी है और कहा है कि उसे अंतर्राष्ट्रीय सीमा कानून का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने चीन को यह हिदायत भी दी है कि वह उसके हवाई कब्जे वाले क्षेत्र में अपने लडाकू विमान न भेजे। जापान के तेवर का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन के जेट विमान जैसे ही विवादित समुद्री क्षेत्र के आसमान पर पहुंचे, उसने तत्काल अपने दो लडाकू विमान उनके पीछे लगा दिए।

इधर पूर्वी चीन सागर में चीन का समुद्री विवाद चल रहा है तो उधर दक्षिण चीन सागर में वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया तथा कई अन्य देशों के साथ उसका विवाद नए सिरे से शुरु हो गया है। यह विवाद बीजिंग में हाल में जारी एक मानचित्र के कारण शुरु हुआ, जिसमें चीन ने पूर्वी तथा पश्चिमी चीन सागर के 130 से अधिक द्वीपों को अपना हिस्सा बताया है। कई इन में द्वीप ऐसे है जिन्हें पहली बार चीन के सरकारी मानचित्र में शामिल किया गया है। उसने पहली बार दक्षिण चीन सागर के कई हिस्सों को अपने सरकारी नक्शे में दिखाया है।

चीन के राष्ट्रीय मानचित्र सर्वेक्षण तथा भूसूचना विभाग के अनुसार इस मानचित्र में चीन ने समग्र दक्षिण चीन सागर और ताइवान को अपना हिस्सा बताया है। यह मानचित्र सिनोमैप प्रेस ने छापा गया है जिसमें 130 से अधिक द्वीपों को शामिल किया गया है।

इस मानचित्र मे कई दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस की सीमा उसे ज्यादा परेशान किए हुए है। फिलीपींस चीन के साथ अपने समुद्री विवाद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाना चाहता है लेकिन चीन इसके खिलाफ है। पिछले वर्ष अप्रैल मे फिलीपींस ने अमेरिकी सेना के साथ संयुक्त युद्ध अभ्यास किया था। दो सप्ताह तक चले नौसेना के इस संयुक्त युद्धाभ्यास से चीन की त्योरियां चढ गई थीं जिस पर फिलीपींस ने कहा था कि इस युद्धाभ्यास का मकसद चीन अथवा किसी अन्य देश को धमकाना नहीं है।

ताईवान को भी चीन अपना हिस्सा मानता है। ताईवान डेढ दशक से लोकतांत्रिक सरकार चला रहा है लेकिन संयुक्त राष्ट्र से उसे अब तक अलग देश की मान्यता नहीं मिली है। चीन का कहना है कि ताईवान उसी का हिस्सा है और दोनों को मिलाने की योजना है। उत्तर कोरिया चीन का सहयोगी है। दोनों के बीच 14 सौ किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा है जिसे लेकर उनके बीच विवाद था लेकिन करीब ढाई दशक पहले यह सीमा विवाद सुलझा लिया गया।

ताजिकिस्तान के साथ उसका 130 साल पुराना सीमा विवाद है। दोनों ने 2011 में इस विवाद को सुलझाने का समझौता किया। रूस के साथ उसने 2004 में विवाद सुलझाने का समझौता किया। भूटान के साथ उसके 2012 में पहली बार राजनयिक संपर्क स्थापित हुए।

चीन ने 1951 में तिब्ब्त पर कब्जा किया था और तिब्बत की 470 किलोमीटर सीमा भूटान से लगी है इसलिए दोनों देशों केबीच सीमा विवाद रहा। मंगोलिया से उसकी 4677 किलोमीटर लंबी सीमा है और इस पर भी चीन का उसके साथ सीमा विवाद है।

पाकिस्तान से उसकी 532 किलोमीटर लंबी सीमा है लेकिन वह चीन का मित्र राष्ट्र है और भारत के खिलाफ मंसूबों को पूरा करने वाला खिलौना है।

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