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विटामिन ए जरूरी है, पर ज्यादा नहीं

विटामिन ए वसा में घुलनशील विटामिन है। यह मुख्यतया रेटिनॉयड और कैरोटिनॉयड दो रूपों में पाया जाता...

विटामिन ए जरूरी है, पर ज्यादा नहीं
Thu, 17 Jan 2013 07:07 PM
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हम सभी चाहते हैं कि हमारी त्वचा स्वस्थ और चमकदार रहे, हड्डियां मजबूत रहें, दांत स्वस्थ रहें व आंखों की रोशनी बनी रहे। इन सबके लिए हमारे शरीर को विटामिन ए की जरूरत पड़ती है। हालांकि यह हमारे भोजन में विभिन्न रूपों में पर्याप्त रूप से रहता है, लेकिन अगर इसकी कमी भी हो तो इसकी पूर्ति के लिए प्राकृतिक स्रोतों का ही लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए गोलियां तो बिल्कुल भी न लें, क्योंकि यह नुकसानदेह साबित होती हैं। इसके बारे में बता रही हैं शमीम खान

विटामिन ए वसा में घुलनशील विटामिन है। यह मुख्यतया रेटिनॉयड और कैरोटिनॉयड दो रूपों में पाया जाता है। सब्जियों का रंग जितना गहरा और चमकीला होगा, उनमें कैरोटिनॉयड की मात्र उतनी ही अधिक होगी। यूं तो करीब 600 तरह के कैरोटिनॉयड के बारे में जानकारी है, लेकिन बीटा-कैरोटिन, अल्फा कैरोटिन और बीटा-जैन्थोफिल सबसे महत्वपूर्ण हैं। इन्हें ‘प्रोविटामिन ए’ कहा जाता है। विशेष परिस्थितियों में शरीर इन्हें रेटिनॉयड में परिवर्तित कर लेता है। 

विटामिन ए की उपयोगिता
विटामिन ए को रेटिनल भी कहते हैं, क्योंकि यह आंखों के रेटिना में पिग्मेंट्स उत्पन्न करता है। विटामिन ए हमारी आंखों की रोशनी को बनाए रखता है और कम रोशनी में भी चीजों को देखने में सहायता करता है। यह स्वस्थ त्वचा, दांतों, हड्डियों, मुलायम ऊतकों और म्युकस मेंब्रेन के लिए जरूरी है। यह प्रजनन और स्तनपान के लिए भी आवश्यक है। रेटिनॉयड विटामिन ए का सक्रिय रूप है। शरीर में प्रोटीन की कमी विटामिन ए के रेटिनॉयड रूप की कमी का कारण बन सकती है। विटामिन ए वसा में घुलनशील विटामिन है, इसलिए इसके अवशोषण के लिए उचित मात्र में वसा और जिंक का अवशोषण भी अत्यधिक आवश्यक है। विटामिन ए इम्यून तंत्र को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे हमारी कोशिकाएं अति सक्रिय  होने से बच जाती हैं। इससे कई तरह की फूड एलर्जी का खतरा कम हो जाता है। विटामिन ए कोशिकाओं के सामान्य विकास और कार्यप्रणाली के लिए, प्रजनन तंत्र, पुरुषों में स्पर्म के उचित मात्र में निर्माण के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। विटामिन ए एक एंटीऑक्सीडेंट है। एंटी ऑक्सीडेंट्स वह पदार्थ होते हैं, जो कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स के हानिकारक प्रभावों से बचाते हैं। विटामिन ए हृदय रोगों, अस्थमा, डायबिटीज और कई तरह के कैंसर से भी बचाता है।

विटामिन ए के रूप
विटामिन ए के दो बुनियादी रूप होते हैं। रेटिनॉयड, जो दूध-दही आदि में पाया जाता है और कैरोटिनॉयड, जो पत्तेदार सब्जियों आदि में पाया जाता है। कुछ शारीरिक अवस्थाओं में विटामिन ए के रेटिनॉयड रूप की आवश्यकता होती है। विशेष रूप से प्रजनन, गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान, बच्चों के विकास, रतौंधी से बचने, लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण, संक्रमण से सुरक्षा में इसकी भूमिका अहम होती है। इन समस्याओं से न जूझ रहे हों, तब भी हमें विटामिन ए के कैरोटिनॉयड रूप की आवश्यकता होती है। रेटिनॉयड की तरह कैरोटिनॉयड भी विशेष रूप से हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। विटामिन ए के अधिकतर कैरोटिनॉयड रूप एंटीऑक्सीडेंट की तरह कार्य करते हैं। अलग-अलग कैरोटिनॉयड की हमारे लिए अलग-अलग उपयोगिता होती है। उदाहरण के लिए मानव नेत्र के रेटिना में केवल जेन्थोफिल ल्युटिन और जिएक्सेंथिन होता है। विटामिन ए उम्र संबंधित मैक्युलर डिजनरेशन से बचाता है। इसके लिए पालक का विशेष रूप से सेवन करना चाहिए, क्योंकि इसमें ल्युटिन और जिएक्सेंथिन भरपूर मात्र में होता है।

दोनों हैं जरूरी
स्वस्थ रहने के लिए विटामिन ए के दोनों रूपों का सेवन करना चाहिए। कैरोटिनॉयड रूप विशेष परिस्थितियों में रेटिनॉयड रूप में परिवर्तित हो जाता है। अल्फा कैरोटिन, बीटा कैरोटिन और बीटा क्रिपटोजेंथिन विटामिन ए के तीन रूप हैं, जो हमारे शरीर में निश्चित परिस्थितियों में रेटिनॉयड रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। लेकिन आनुवांशिक कारणों, पाचन संबंधी समस्याओं, पाचन मार्ग में बैक्टीरिया के असंतुलन, शराब के अत्यधिक सेवन और कुछ दवाओं के प्रभाव के कारण इस अवशोषण में समस्या आती है। आप अत्यधिक मात्र में कैरोटिनॉयड रूप ले रहे हैं तो भी इनके रेटिनॉयड रूप में परिवर्तन होने में समस्या आएगी। अगर विटामिन ए के रेटिनॉयड रूप का अधिक मात्र में सेवन किया जाए तो शरीर में विटामिन डी की कमी घातक स्तर तक पहुंच जाती है। रक्त में विटामिन डी की मात्र 50 एनएम/एल (नैनोमोल्स प्रति लीटर) है और प्रतिदिन 2,000 माइक्रो ग्राम विटामिन ए (रेटिनॉयड रूप) का सेवन किया जाए तो विटामिन डी की मात्र और बढ़ जाएगी, जो हड्डियों के लिए अत्यंत हानिकारक होगा। इसलिए विटामिन ए को बिना डॉक्टर के परामर्श के सप्लीमेंट के रूप में न लें।

किसे चाहिए अधिक विटामिन ए
शाकाहारी लोगों और शराब का सेवन करने वालों को इसकी अधिक जरूरत होती है। लिवर की बीमारियों, सिस्टिक फाइब्रोसिस आदि  से पीड़ित लोगों को भी विटामिन ए की आवश्यकता होती है। कई लोग समझते हैं कि विटामिन ए केवल एक विशेष पदार्थ होता है, जबकि इसमें पोषक तत्वों की एक विस्तृत श्रृंखला होती है। हर पोषक पदार्थ के अपने लाभ होते हैं। अधिक मात्र में विटामिन ए का सेवन ‘विटामिन के’ के अवशोषण को प्रभावित करता है। वसा में घुलनशीन विटामिन के रक्त का थक्का बनाने के लिए जरूरी है।

बच्चों के लिए ज्यादा नुकसानदेह
अगर अत्यधिक मात्र में विटामिन ए का सेवन किया जाए तो विटामिन ए जहरीला हो जाता है। नवजात और बच्चों विटामिन ए के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। अगर इन्हें विटामिन ए या ऐसे उत्पाद, जिनमें विटामिन ए
होता है, का अधिक डोज दिया जाए तो वे बीमार हो जाते हैं।

कितनी मात्र है उपयोगी
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस ने विभिन्न आयु वर्ग के लिए इसकी उच्चतम सीमा निर्धारित की है, जिसे अपर इनटेक लेवल (यू ई एल) कहा गया है।
- 0-6 माह 400 माइक्रो ग्राम
- 6-12 माह 500 माइक्रो ग्राम
- 4-8 वर्ष 700 माइक्रो ग्राम
- 9-14 वर्ष 1700 माइक्रो ग्राम
- 14-18 वर्ष 2800 माइक्रो ग्राम
- 19-70 वर्ष 3000 माइक्रो ग्राम
- गर्भवती महिलाएं 2800-3000 माइक्रो ग्राम

विटामिन ए के प्राकृतिक स्रोत
विटामिन ए हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है। यह अंडे, मांस, दूध, पनीर, क्रीम व मछली आदि में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, लेकिन इनमें सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल भी काफी मात्र में पाया जाता है। हरी सब्जियों में पालक, गाजर, कद्दू, ब्रोकली आदि इसके अच्छे स्रोत हैं।

विटामिन ए के बेहतरीन स्त्रोत
पपीता, आम, पत्तागोभी, गाजर, पालक, शकरकंद, कद्दू, दूध, मक्खन, पनीर, अंडा, अंकुरित अनाज इसके बेहतरीन स्रोत हैं।

इसकी कमी से उत्पन्न खतरे
- एक अनुमान के अनुसार विश्व के एक तिहाई बच्चे विटामिन ए की कमी से पीड़ित हैं।
- रतौंधी अर्थात जिन लोगों को कम रोशनी में ठीक से दिखाई नहीं देता, उनमें विशेष रूप से विटामिन ए की कमी पाई जाती है।
- जिन गर्भवती महिलाओं में विटामिन ए की कमी होती है, उनके गर्भावस्था और प्रसव के समय मृत्यु की
आशंका बढ़ जाती है और स्तनपान कराने में भी समस्या आती है।
- बच्चों में विटामिन ए की कमी के कारण पाचन मार्ग और श्वसन मार्ग के ऊपरी भाग में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जो उनकी मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।

 

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