महुआ माजी ने आरोप साबित करने की खुली चुनौती दी, करेंगी मानहानि का दावा
युवा उपन्यासकार महुआ माजी ने उन पर लगे साहित्यिक चोरी के आरोपों को साबित करने के लिए उपन्यासकार श्रवण कुमार गोस्वामी को खुली चुनौती दी...
युवा उपन्यासकार महुआ माजी ने उन पर लगे साहित्यिक चोरी के आरोपों को साबित करने के लिए उपन्यासकार श्रवण कुमार गोस्वामी को खुली चुनौती दी है और आरोप साबित नहीं होने की स्थिति में मानहानि का दावा करने की धमकी दी है।
उल्लेखनीय है कि साहित्य पत्रिका पाखी के दिसंबर अंक में रांची के वरिष्ठ उपन्यासकार श्रवण कुमार गोस्वामी ने एक लेख में महुआ माजी के उपन्यास में बोरिशाइल्ला के कथ्य और विचार चोरी के होने का आरोप लगाया था। उन्होंने अपने लेख 'महान लेखक बनते नहीं, बनाए भी जाते हैं' में इस उपन्सास को बांग्ला भाषा में लिखित रचना का हिन्दी अनुवाद बताया था। इस रचना के मूल लेखक बांग्लादेश के साहित्यकार थे।
महुआ माजी ने कहा कि उपन्यास के चर्चित और प्रशंसित होने के बाद से एक समूह लगातार सोची समझी साजिश के तहत मेरे उपर इस प्रकार के आरोप लगा रहा है। मैं साहित्य चोरी के आरोपों को साबित करने के लिए खुली चुनौती देती हूं। आरोप साबित होने की स्थिति में मैं अभी तक मिले सभी पुरस्कारों को वापस करके साहित्य लेखन को तिलांजलि दे दूंगी।
महुआ ने कहा कि आरोप साबित नहीं होने की स्थिति में मैं मानहानि का दावा करूंगी। उधर गोस्वामी ने कहा कि मैंने किसी साजिश के तहत आरोप नहीं लगाए हैं। मैं चाहता हूं कि चर्चित और पुरस्कार प्राप्त लेखिका को उपन्यास के मूल रचनाकार का नाम भी बताना चाहिए था।