फोटो गैलरी

Hindi NewsBSF शिविर में सजी दुर्गा की प्राचीन मूर्ति

BSF शिविर में सजी दुर्गा की प्राचीन मूर्ति

मेघालय में इस साल के दुर्गा पूजा समारोह के दौरान सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के शिविर में देवी दुर्गा की एक प्राचीन प्रतिमा सजाई...

BSF शिविर में सजी दुर्गा की प्राचीन मूर्ति
Wed, 24 Oct 2012 02:26 PM
ऐप पर पढ़ें

मेघालय में इस साल के दुर्गा पूजा समारोह के दौरान सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के शिविर में देवी दुर्गा की एक प्राचीन प्रतिमा सजाई गई। यह प्रतिमा 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों को एक पाकिस्तानी शस्त्रागार से मिली थी।

अष्टधातु की यह मूर्ति 17 दिसंबर, 1971 को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 83वीं बटालियन की सी कंपनी के एक तत्कालीन जवान शेर बहादुर ठाकुरी को मिली थी। तब से यह मूर्ति इसी यूनिट के पास है।

यह मूर्ति कैसे मिली इस सम्बंध में बताते हुए ठाकुरी ने कहा कि पाकिस्तानी सेना द्वारा नव स्वतंत्र बांग्लादेश में आत्मसमर्पण कर देने के बाद भारतीय सेना वापस लौट रही थी। जब यूनिट ढाका से म्यामेनसिंह लौटी और उसने पाकिस्तानी सेना द्वारा छोड़े जा चुके छावनी क्षेत्र में प्रवेश किया, तो ठाकुरी की नजर शस्त्रागार पर पड़ी।

ठाकुरी ने बताया कि हमने पाकिस्तानियों द्वारा वहां छोड़े गए हथियार व गोलाबारूद इकट्ठे कर लिए। मैंने एक तीन मंजिला इमारत में फिट एक मशीनगन देखी। इसलिए मैं ऊपर चढ़ा, लेकिन मुझे नहीं पता था कि मशीनगन कॉर्क से बंद की गई है।

ठाकुरी ने गलती से मशीनगन का ट्रिगर दबा दिया और उससे गोलियां चल पड़ीं, जिससे इमारत का एक हिस्सा ढह गया। उन्होंने बताया कि मैंने कुछ चमकता हुआ देखा और फिर वहां देखने के लिए पहुंचा, लेकिन मुझे वहां कुछ नहीं मिला।

ठाकुरी ने कहा कि वह अगले दिन दोबारा उस शस्त्रागार में पहुंचे। उन्होंने बताया कि मैं उसी इमारत में दोबारा पहुंचा और सावधानीपूर्वक ढूंढ़ने पर मुझे वहां एक चमकती हुई चीज दिखाई दी। मैंने उसे बाहर निकाला और देखा कि वह दुर्गा मां की मूर्ति है।

करीब 45 किलोग्राम भार की इस अष्टधातु की मूर्ति को ठाकुरी वापस भारत ले आए और उन्होंने उसे शिलांग में अपनी यूनिट के मुख्यालय में रख दिया। तब से यह मूर्ति बीएसएफ की 83वीं बटालियन के दुर्गा मंदिर में सजी हुई है।

इस मूर्ति को बटालियन के साथ जम्मू एवं कश्मीर के तंगधार व अन्य क्षेत्रों में ले जाया गया, लेकिन दुर्गा पूजा के अवसर पर इसे वापस यहां मेवात शिविर स्थित मंदिर में ले आया गया।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें