नई नीति से दवा महंगी नहीं होनी चाहिए: कोर्ट
जनहित की सुरक्षा को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा कि नवम्बर तक नई दवा मूल्य निर्धारण नीति (एनपीपीपी) पर फैसला होने के बाद भी बाजार में वाजिब मूल्य पर दवा उपलब्ध रहना...
जनहित की सुरक्षा को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा कि नवम्बर तक नई दवा मूल्य निर्धारण नीति (एनपीपीपी) पर फैसला होने के बाद भी बाजार में वाजिब मूल्य पर दवा उपलब्ध रहना चाहिए।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को ही सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि वह एनपीपीपी पर फैसला मध्य नवम्बर तक ले लेगी और इसके बाद के सप्ताह में इसकी अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। अदालत ने इस पर कहा कि इसकी वजह से बाजार में मौजूद दवाओं की कीमत बढ़नी नहीं चाहिए।
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत को सरकार के फैसले की जानकारी दी। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति एस.जे. मुखोपाध्याय की पीठ ने सरकार को नई दवा मूल्य निर्धारण नीति के कार्यान्वयन की समय सीमा के बारे में बताने का निर्देश दिया था। पीठ ने सरकार से कहा कि वह 1995 की कीमत निर्धारण फार्मूला को प्रभावित नहीं करे।
पीठ ने कहा कि क्या आप लिखित गारंटी दे सकते हैं कि दवाओं की कीमत वर्तमान कीमत से नहीं बढ़ेगी। पीठ ने कहा, ‘हम कीमत को लेकर अधिक संजीदा हैं। निर्माताओं के गणित को समझा जा सकता है। लेकिन अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा वाजिब मूल्य पर दवाओं की उपलब्धता है।’ अदालत ने कहा, ‘हमने यह कहा है कि सरकार को ऐसी नीतियां लानी चाहिए जो आम आदमी के लिए लाभदायक हो और जिसके कारण कीमत नहीं बढ़े।’
अदालत ने तीन अक्टूबर को जनहित सुरक्षा के लिए सरकार से कहा था कि आवश्यक दवाओं की सूची तैयार करते वक्त मूल्य नियंत्रण निर्देश के तहत दवाओं की मौजूदा कीमत को प्रभावित नहीं करे।