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शुरुआती 6 महीने अपनों के फेर में फंसे रहे अखिलेश

उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लगभग छह महीने पहले जब सत्ता संभाली थी, तब प्रदेश की जनता और खासतौर से युवाओं को उनसे बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन वे अपनों के फेर में फंसे...

शुरुआती 6 महीने अपनों के फेर में फंसे रहे अखिलेश
Sun, 09 Sep 2012 09:39 AM
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उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लगभग छह महीने पहले जब सत्ता संभाली थी, तब प्रदेश की जनता और खासतौर से युवाओं को उनसे बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन वे अपनों के फेर में फंसे रहे।

लगभग छह महीने पहले सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) को प्रंचड बहुमत मिला था। इस बहुमत के बूते ही सपा की सत्ता में वापसी हुई। मुख्यमंत्री का ओहदा संभालने के बाद ही अखिलेश ने कहा था कि चुनाव में जनता से किए गए सभी वादे पूरे किए जाएंगे और छह महीने बाद भी वह मंच से यही कहते नजर आ रहे हैं कि जनता से किए गए वादे पूरे होंगे।

बहरहाल, मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होने के साथ ही उनके पिता और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने भी कहा था कि अखिलेश को छह माह का समय दिया जाना चाहिए लेकिन बीते लगभग छह महीने के दौरान कई ऐसे मौके आए जब अखिलेश को अपनों की वजह से शर्मिदगी उठानी पड़ी।

सपा सरकार के छह महीने पूरे होने पर 15 सितम्बर को कार्यक्रमों के आयोजन की रूपरेखा तैयार की जा रही है, जिसमें अखिलेश की उपलब्धियों का बखान किया जाएगा। इसमें कन्या विद्याधन, बेरोजगारी भत्ता, किसानों की कर्ज माफी, किसानों पर से मुकदमों को वापस लेने और छात्रों को लैपटॉप एवं टैबलेट देने की योजना का गुणगान किए जाने की उम्मीद है।

बीते छह महीनों के दौरान मुलायम के करीबी और नगर विकास मंत्री आजम खान भी कभी अखिलेश तो कभी मुलायम के लिए मुश्किलें पैदा करते रहे। कई मौकों पर उनकी मनमानी के आगे अखिलेश और उनके पिता को भी झुकना पड़ा। नजदीकी मंत्रियों ने अखिलेश से ऐसे फैसलों की घोषणा कराई, जिन्हें फजीहत के बाद बदलने भी पड़े।

विधानसभा के सत्र के दौरान अखिलेश ने विधायकों को अपनी निधि से गाड़ी खरीदने की अनुमति दिए जाने की घोषणा की थी लेकिन अगले ही दिन उन्हें अपने फैसले से पीछे हटना पड़ा था। इसके बाद अखिलेश सरकार के कद्दावर मंत्री आजम ने विधानसभा में घोषणा की कि सूबे में बिजली का संकट है, इसलिए शाम सात बजे के बाद मॉल और रेस्तरां को सरकार बिजली उपलब्ध नहीं कराएगी। लगे हाथ शिवपाल ने भी उनके सुर में सुर मिला दिया। अगले दिन विरोध प्रदर्शन का सिलसिला शुरू हुआ तो सरकार को अपने फैसले से एक बार फिर पीछे हटना पड़ा।

सरकार बनने के साथ ही अखिलेश के सामने यह चुनौती थी कि सूबे में कानून-व्यवस्था का राज स्थापित किया जाए लेकिन पिछले छह माह में समाजवादी कार्यकर्ताओं का उत्पात सबसे ज्यादा बढ़ा है। आए दिन सपाइयों और पुलिस के बीच झड़पें होती रहती हैं। सपाइयों के इसी रवैये को देखते हुए मुलायम को खुद आगे आकर उन्हें अनुशासन में रहने की नसीहत देनी पड़ी।

सपा की सरकार बनने के बाद लगभग छह महीने के भीतर अपराधिक घटनाओं में वृद्धि हुई। हत्या, लूट, अपहरण, बलात्कार के कई मामले सामने आए और हर बार मुख्यमंत्री यही कहते रहे कि कानून-व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। छह माह के शासन के भीतर ही बरेली में दंगे हुए जिसमें कई लोग मारे गए। बाद में इन जिलों में कर्फ्यू लगाया गया। असम हिंसा के मामले में 17 अगस्त को लखनऊ, कानपुर और इलाहाबाद की सड़कों पर जमकर उपद्रव हुआ और पुलिस तमाशबीन बनी रही।

विधानसभा चुनाव से पहले सपा ने घोषणा की थी कि सरकार बनने पर बसपा के शासनकाल में हुए घोटालों की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ। शिवपाल यादव ने मायावती के बंगले में सरकारी धन के इस्तेमाल का आरोप लगाया लेकिन सरकार अगले दिन इसकी जांच कराने से पलट गई।

इसके बाद शिवपाल ने पूर्व सहकारिता मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य पर घोटाले का आरोप लगाया गया लेकिन जब मौर्य ने पलटवार किया तो शिवपाल इस मामले से ही कन्नी काटते नजर आए। इसके अलावा अपने विवादास्पद बयानों से शिवपाल ने सरकार के लिए कई बार मुसीबतें खड़ी की।

आजम खान भी शिवपाल से पीछे नहीं रहे। नगर आयुक्त की नियुक्ति के मामले को लेकर उन्होंने विभाग का कामकाज ही छोड़ दिया। रूठे आजम को मनाने के लिए सरकार को एन.पी. सिंह के खिलाफ  कार्रवाई करनी पड़ी। उसी तरह कई बार आजम ने अपनी हठ के आगे सरकार को झुकाया। सूत्रों की मानें तो इमाम बुखारी से मुलायम की नजदीकी आजम को रास नहीं आ रही है।

अखिलेश सरकार के तीन महीने पूरे होने पर मुलायम ने अपने बेटे को 100 में से 100 नम्बर दिए थे अब देखना दिलचस्प होगा कि 15 सितम्बर को छह महीने पूरा होने पर वह अपने सुपुत्र को कितने नम्बर देते हैं।

इस सम्बंध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता कहते हैं कि छह महीनों के कार्यकाल के दौरान सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है। भ्रष्टाचार के मामले तो उजागर हुए लेकिन बीते छह महीने में बड़े पैमाने पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सरकार छह महीनों के दौरान भ्रष्टाचार से समझौता करती ही नजर आई।

पाठक ने कहा कि कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को मुंह की खानी पड़ी। 17 अगस्त को राजधानी की सड़कों पर उत्पात हुआ लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर पाई और बाकी हिस्सों में जो घटनाएं हुईं उनमें पुलिस ने लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा इससे पुलिस के दो चेहरे सामने आए।

अखिलेश सरकार के छह महीने पूरे होने के सवाल पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर ने कहा कि पहले छह महीने की बात करें तो सरकार हर मुद्दे पर पूरी तरह से फेल हुई है। उपलब्धियां तो कोई है ही नहीं। मुलायम सिंह तो अपने बेटे को कभी 100 नम्बर देते हैं तो कभी जीरो नम्बर, अब इस बार देखते हैं कि वह क्या कहते हैं।

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