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डॉक्टर से न छुपाएं बीमारी

डॉक्टर्स डे (1 जुलाई) पर विशेष राजधानी की जीवनशैली में कुछ बीमारियां बड़ी सहजता से शामिल होती चली जाती हैं। इन बीमारियों में डायबिटीज, हार्ट अटैक व कार्डियक अरेस्ट, ब्रेन स्ट्रोक, डिप्रेशन आदि...

डॉक्टर से न छुपाएं बीमारी
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 27 Jun 2012 01:29 PM
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डॉक्टर्स डे (1 जुलाई) पर विशेष
राजधानी की जीवनशैली में कुछ बीमारियां बड़ी सहजता से शामिल होती चली जाती हैं। इन बीमारियों में डायबिटीज, हार्ट अटैक व कार्डियक अरेस्ट, ब्रेन स्ट्रोक, डिप्रेशन आदि प्रमुख हैं। हम डॉक्टर के साथ इन्हें शेयर करने से हिचकते हैं। आइए, इस डॉक्टर्स डे पर प्रण लें कि इनके लक्षण भी दिखें तो डॉक्टर को दोस्त मान कर उन्हें सब कुछ बताएंगे और उनकी सहायता से समय रहते चेत जाएंगे। शमीम खान का आलेख

दिल्ली की तेज रफ्तार जिंदगी में घड़ी की सुइयों से कदमताल करती दिनचर्या, तनाव, शारीरिक सक्रियता की कमी, समय पर न खाना और पूरी नींद न लेना कई जानलेवा बीमारियों की वजह बनती जा रही है। आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि सफलता की कीमत हम अपने जीवन और स्वास्थ्य को दांव पर लगा कर चुका रहे हैं। आइए कुछ ऐसी बीमारियों के बारे में जानें, जो धीरे-धीरे हमारे करीब आ जाती हैं और जानलेवा साबित होने लगती हैं।

डायबिटीज
दुनिया की करीब 6.40 प्रतिशत आबादी यानी करीब 28.5 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं और दुनिया का हर पाचवां डायबिटीज मरीज भारतीय है। भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत को ‘डायबिटीज की राजधानी’ कहा है। वर्ल्ड डायबिटीज फाउंडेशन ने जो आंकड़े जारी किए थे, उनके अनुसार भारत में 5.08 करोड़ लोगों को डायबिटीज थी। यह भी अनुमान है कि सन 2030 तक भारत में करीब 8.7 करोड़ लोगों को डायबिटीज होगी। डायबिटीज रिसर्च सेंटर के अनुसार पिछले पांच सालों में 16-25 आयु वर्ग के लोगों में यह बीमारी तेजी से फेल रही है।

लक्षण
डायबिटीज को साइलेंट बीमारी कहते हैं, क्योंकि 15-20 प्रतिशत मरीजों में इसके कोई बाहरी लक्षण नजर नहीं आते। जो लोग मोटापे के शिकार हैं या जिनके परिवार में अन्य सदस्यों को यह बीमारी है, वे समय-समय पर अपने शुगर लेवल की जांच कराएं, ताकि इस बीमारी से बचा जा सके। वैसे डायबिटीज बीमारी नहीं, बल्कि मेटाबोलिक सिंड्रोम है, जो कई बीमारियों का घर है। यह बीमारी शरीर के हर अंग को प्रभावित करती है। अगर समय रहते इसका पता नहीं चल पाए और इसे नियंत्रित नहीं किया जाए तो किडनी फेल होने, ब्रेन स्ट्रोक, रेटिनोपेथी, हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। कई लोगों में वजन कम या अधिक होना, घावों का न भर पाना, भूख या प्यास कम या अधिक लगना, मूत्र द्वार पर संक्रमण होना जैसे डायबिटीज के कई लक्षण नजर आते हैं।

हार्ट अटैक व कार्डियक अरेस्ट
पूरी दुनिया में हो रही मौतों का सबसे प्रमुख कारण हार्ट अटैक व कार्डियक अरेस्ट है। कार्डियक अरेस्ट तो हार्ट अटैक से भी ज्यादा घातक होता है। इसकी चपेट में आने के बाद मरीज के बचने की संभावना 10 प्रतिशत ही होती है। 95 प्रतिशत मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। हार्ट अटैक में रक्त नलिकाओं के सिकुड़ने या उनमें ब्लॉकेज होने से रक्त प्रवाह सुचारु रूप से नहीं होता, जबकि कार्डियक अरेस्ट में दिल के बंद होने से रक्त का संचरण पूरी तरह बंद हो जाता है। जो लोग दिल की बीमारियों से पीड़ित हैं या जिनके परिवार में अनुवांशिक रूप से हार्ट अटैक की समस्या है, उनमें कार्डियक अरेस्ट की आशंका अधिक होती है।

लक्षण
दिल की असामान्य धड़कनें, छाती में दर्द, जलन, एसिडिटी, थकान और गैस्ट्रिक की समस्या को हम गंभीरता से नहीं लेते, जबकि कई बार यह हार्ट अटैक के संकेत होते हैं। पहले दिल की बीमारियों को बुजुर्गों की बीमारी समझा जाता था, लेकिन 21वीं सदी में ये युवाओं की बीमारी भी बन गई। आज हृदय रोग से ग्रस्त होने की औसत उम्र 40 से घट कर 30 साल हो गई है। दिल से जुड़ी अधिकतर बीमारियों का सबसे प्रमुख कारण बल्ड प्रेशर का अधिक होना है। दिल को बीमार बनाने में कोलेस्ट्रॉल और रक्त में शुगर का उच्च स्तर भी अहम भूमिका निभाता है।

ब्रेन स्ट्रोक
ब्रेन स्ट्रोक यानी आज के समय की एक जानलेवा बीमारी। उम्रदराज लोग ही नहीं, युवा भी इस बीमारी की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। ब्रेन स्ट्रोक में मस्तिष्क की कोशिकाएं अचानक मृत हो जाती हैं। यह मस्तिष्क में ब्लड क्लॉट बनने, ब्लीडिंग होने या रक्त संचरण के सुचारु रूप से न होने के कारण हो सकता है। रक्त संचरण में रूकावट आने के कुछ ही मिनट में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं, क्योंकि उनको ऑक्सीजन की सप्लाई रूक जाती है। जब मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली नलिकाएं फट जाती हैं तो इसे ब्रेन हैमरेज कहते हैं। इस कारण लकवा, याददाश्त जाने की समस्या, बोलने में असर्मथता जैसी स्थिति आ सकती है। कई बार ब्रेन स्ट्रोक जानलेवा भी हो सकता है। इसे ब्रेन अटैक भी कहते हैं।

डिप्रेशन
दिल्ली के लोगों में डिप्रेशन यानी अवसाद की बीमारी काफी तेजी से बढ़ रही है। यहां की कुल आबादी का 15-17 प्रतिशत अवसाद से ग्रस्त है। आमतौर पर यह बीमारी 13 से 35 वर्ष के आयु वर्ग में अधिक देखने को मिल रही है।

दिल्ली के करीब 50 प्रतिशत लोग पूरी नींद नहीं ले पाते। तेज रफ्तार जिंदगी में मस्तिष्क को आराम नहीं मिल पाता और उस पर हमेशा एक दबाव बना रहता है। तनाव के कारण शरीर में कई हार्मोनों का स्तर बढ़ जाता है, जिनमें एड्रीनलीन और कार्टिसोल प्रमुख हैं। इनकी वजह से दिल का तेजी से धड़कना, पाचन क्रिया का मंद पड़ जाना, रक्त का प्रवाह प्रभावित होना, नर्वस सिस्टम की कार्यप्रणाली गड़बड़ा जाना और इम्यून सिस्टम के कमजोर हो जाने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। लगातार तनाव की स्थिति डिप्रेशन में बदल जाती है।
दुनिया का हर दस में से एक व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी डिप्रेशन का शिकार होता है और हर 10
में से एक व्यक्ति के लिए यह घातक होता है। भारत में प्रतिदिन करीब 95-100 लोग आत्महत्या करते हैं,
जिसमें से 40 प्रतिशत युवा होते हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो के अनुसार युवा लोगों में आत्महत्या मौत
की बड़ी वजह है और आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह डिप्रेशन है।

लक्षण 
इसके लक्षण उम्र, लिंग और अन्य कारणों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। इसका पता लगाने के लिए कोई एक्स-रे या मेडिकल टेस्ट नहीं होता। पीड़ित के व्यवहार को देख कर ही इसका पता लगाया जाता है। यह सिर्फ शारीरिक या मानसिक कमजोरी नहीं, बल्कि एक गंभीर बीमारी है। नींद न आना, लोगों से दूर रहना, आत्महत्या की प्रवृत्ति का बढ़ना, भूलना, चीजों पर फोकस न कर पाना, लगातार नकारात्मक विचार आना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

इन बातों का रखें ध्यान
अपने डॉक्टर से कुछ न छिपाएं। अपनी सभी समस्याओं के बारे में खुल कर बात करें। अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य इतिहास के बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं।
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें और खानपान पर पूरा नियंत्रण रखें।
अपने वजन को नियंत्रित रखें, क्योंकि मोटापा कई जानलेवा बीमारियों का एक प्रमुख कारण है।
ब्लड प्रेशर और डायबिटीज साइलेंट बीमारियां है, इसलिए इनके लक्षण नजर आने का इंतजार न करें। समय-समय पर बीपी और शुगर लेवल चेक कराते रहें।
साल में एक बार अपना हेल्थ चेकअप जरूर कराएं।

इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें
जिंदगी में कोई भी चीज पहली बार हो रही हो या असामान्य हो या जिसका कारण समझ में न आ रहा हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
अगर 40 साल में पहली बार एसिडिटी का अटैक हो रहा है, सांस फूल रही है तो चेकअप करवाने में देर न करें। यह दिल के बंद होने का संकेत हो सकता है। 
छाती में आधे मिनट से ज्यादा समय तक दर्द रहता है तो यह हार्ट अटैक हो सकता है। गंभीरता से लें।  
सांस फूल रही है या सांस छोड़ते समय मुंह से आवाज आ रही है तो अस्थमा की जांच कराएं।
नींद कम-ज्यादा आ रही है, भूख ज्यादा-कम लग रही है, मूड लगातार बदल रहा है तो मनोचिकित्सक से मिलें।

हमारे विशेषज्ञ
डॉ. क़े के. अग्रवाल
अध्यक्ष, हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया

डॉ. विनोद शर्मा
इंटरवेन्शनल कार्डियोलॉजिस्ट, नेशनल हार्ट इंस्टीटय़ूट

डॉ. प्रीतम गुप्ता
विभागाध्यक्ष, मेडिसीन, सुंदर लाल जैन हॉस्पिटल

डॉ. अजय निहलानी
कंसल्टेंट, मनोचिकित्सा विभाग, पुष्पांजलि हॉस्पिटल

डराने वाले आंकड़े
नीचे दिए आंकड़े ये बताने के लिए काफी हैं कि आरामतलबी, खानपान की गलत आदतें, तनाव और आधुनिक जीवनशैली किस तरह से दिल्लीवासियों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही है।
डिप्रेशन: 15-17  प्रतिशत
हाई ब्लड प्रेशर : 35-40 प्रतिशत 
दिल की बीमारियां: 8-12 प्रतिशत
अस्थमा और एलर्जी डिसॉर्डर: 10-20 प्रतिशत
डायबिटीज: 25-30 प्रतिशत
प्री हाइपरटेंशन: 20 प्रतिशत
अनिद्रा: 50 प्रतिशत
हाई कोलेस्ट्रॉल: 20-30 प्रतिशत
मोटापा: 30-40 प्रतिशत
(35-55 प्रतिशत लोगों को पेट का मोटापा)

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