फोटो गैलरी

Hindi Newsतन नारियल, मन कोमल

तन नारियल, मन कोमल

हम सब इस ग्रह पर बच्चों के रूप में आए थे। हम सब मुस्कान, खुशी और अपनापन लेकर आए...

तन नारियल, मन कोमल
Wed, 18 Apr 2012 09:34 PM
ऐप पर पढ़ें

हम सब इस ग्रह पर बच्चों के रूप में आए थे। हम सब मुस्कान, खुशी और अपनापन लेकर आए थे। पर जैसे-जैसे हम बड़े होते गए, हम सबने वह मुस्कान कहीं खो दी, हमने वह मित्रता खो दी और हमने हर एक के लिए वह प्रेम खो दिया।

क्या हुआ? हमें यही पता करने की आवश्यकता है। क्या हम भीतर से फिर से एक बच्चे की तरह बन सकते हैं? जीवन कैसा होना चाहिए, इसके लिए हम प्राय: नारियल का उदाहरण देते हैं। एक नारियल के चारों ओर छिलका होता है, और जब यह ऊंचाई से गिरता है, तो टूटता नहीं। इस पर आघात शोषक या गद्दी जो लगी रहती है। इसलिए यदि हमारा व्यवहार मित्रतापूर्ण, बुद्धिमत्तापूर्ण होता है, और हम ऐसा जीवन जीते हैं, जहां हम तनावमुक्त होते हैं, तो यह आघात शोषक का काम करता है। बुद्धिमत्ता सर्वश्रेष्ठ आघात शोषक है। हमारा तन नारियल के छिलके के समान होना चाहिए- मजबूत और हमारा मन अंदर की गिरी के समान श्वेत और कोमल। हमारी भावनाएं भीतर के पानी की तरह मीठी। यदि इससे उल्टा हो जाता है, तो समस्या खड़ी हो जाती है। यदि तन कोमल और कमजोर होता है, मन छिलके के समान कठोर होता है और उसमें कोई भावना नहीं होती, तो जीवन एक बोझ बन जाता है। यही कारण है कि इतने सारे लोग आत्महत्या कर रहे हैं और लोग अवसादग्रस्त हो रहे हैं। इसलिए हमें अपने में, समाज में और अपने परिवारों में यह परिवर्तन लाने की आवश्यकता है, जहां पर हम मूल्यों से जुड़े रहते हैं। विशेष रूप से पारिवारिक मूल्य बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। व्यक्तिगत सत्यनिष्ठा बहुत महत्वपूर्ण है। हमें उन मूल्यों को बनाए रखने की आवश्यकता है, जो कि हर संस्कृति में बहुत ही अच्छे और उत्कृष्ट हैं। हम यह सब तभी कर सकते हैं, जब हम तनावमुक्त होते हैं और भीतर से पूरी तरह मुक्त हो जाते हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें