एक पुरुष नसबंदी पर खर्च हुए 65 हजार
एनआरएचएम में पुरुष नसबंदी और आरसीएच कैम्प के नाम पर भी काफी गोलमाल हुआ है। दोनों कार्यक्रमों को मिलाकर लगभग 17 लाख का भुगतान किया गया...
एनआरएचएम में पुरुष नसबंदी और आरसीएच कैम्प के नाम पर भी काफी गोलमाल हुआ है। दोनों कार्यक्रमों को मिलाकर लगभग 17 लाख का भुगतान किया गया है। नसबंदी कैम्प की असलियत पुरुष नसबंदी के आंकड़े ही बता रहे हैं। एक साल में मात्र 13 पुरुषों की नसबंदी हुई है जबकि इस पर साढ़े आठ लाख से अधिक का खर्च दिखाया गया है। इसका खुलासा सूचना का अधिकार के तहत मिले जवाब से हुआ है।
जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत पुरुष नसबंदी करने के धन में जमकर बंदबांट हुई है। वित्तीय वर्ष 2010-11 में जिले में नसबंदी का लक्ष्य 15,952 रखा गया, लेकिन सिर्फ 6013 की ही नसबंदी हो सकी। इसमें मात्र 13 पुरुष हैं। इसी तरह से 2011-12 में नसबंदी का लक्ष्य 16181 था जबकि नसबंदी 5737 लोगों की ही हुई। इसमें मात्र पांच पुरुषों ने नसबंदी कराई।
अब जरा वर्ष 2010-11 में नसबंदी कैम्प के नाम पर खर्च धन पर नजर डालें तो बिना टांका-चीरा के पुरुष नसबंदी कैम्प के नाम पर सेवा इण्टप्राइजेज, लखनऊ को चार बार में आठ लाख 54 हजार 804 रुपए का भुगतान किया गया है। चारों बिल फर्म ने एक ही तिथि 12 नवंबर, 2010 को प्रस्तुत किए हैं। सभी बिल का भुगतान भी वित्तीय वर्ष के अंतिम समय 30 मार्च, 2011 को किया गया है। इतना धन खर्च करने के बाद मात्र 13 नसबंदी हुई। एक तरह से प्रति पुरुष नसबंदी पर 65 हजार रुपए से अधिक खर्च किए गए। इससे साबित होता है कि अधिकांश कैम्प कागज में ही लगाकर लाखों का भुगतान कर दिया गया।
आरसीएच कैम्प और प्रचार-प्रसार के नाम पर भी कम खेल नहीं हुआ है। सेवा इण्टरप्राइजेज के 12 नवंबर के दो बिल का आठ लाख 38 हजार 571 रुपए का भुगतान भी 30 मार्च को किया गया है। आरसीएच कैम्प प्रत्येक पीएचसी पर कॉपर टी, गर्भनिरोधक गोलियों के वितरण से लेकर परिवार नियोजन की अन्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए लगाया जाता है। नसबंदी और आरसीएच कैम्प के नाम पर 16 लाख से अधिक के धन की बंदरबाट का खुलासा कांग्रेसी नेता नौशाद अहमद खां को मिली सूचना से हुआ है। सूत्रों की मानें तो तत्कालीन स्वास्थ्य अधिकारियों, कर्मचारियों और फर्म की साठ-गांठ से वित्तीय वर्ष के अंत में फर्जी बिल वाउचर के जरिए लाखों रुपयों भुगतान किया गया है।