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यह कैसी सभ्यता?

यह सभ्य समाज का रवैया नहीं कहा जा सकता। नवजात शिशु का शव कूड़े में मिल रहा है तो कुछ दिनों की बच्ची कहीं पड़ी मिल...

यह कैसी सभ्यता?
Thu, 05 Apr 2012 11:42 PM
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यह सभ्य समाज का रवैया नहीं कहा जा सकता। नवजात शिशु का शव कूड़े में मिल रहा है तो कुछ दिनों की बच्ची कहीं पड़ी मिल रही। बच्ची बड़ी हो गई हो और मर्जी से अपने जीवन के बारे में फैसला लेना चाहे तो उसकी हत्या हो जा रही है। गांव-देहात में ऐसा हो, तो तथाकथित एलिट क्लास अशिक्षा-अंधविश्वास-सामंती सोच वगैरह का बहाना बनाकर ऐसी घटनाओं को टालने की कोशिश कर सकता है। लेकिन यह सब दिल्ली-एनसीआर में हो रहा है जबकि यहां के लोग अपने को सभ्य-शिक्षित-आधुनिक मानकर ऐंठ में रहते हैं। सोच नहीं बदले तो कैसी आधुनिकता?

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