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सीएम के जिले में वनराज की दहाड़

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा में बब्बर शेर की दहाड़ गूंजेगी। ठंडे बस्ते में डाली गयी लायन सफारी परियोजना पर एक बार फिर काम शुरू हो गया...

सीएम के जिले में वनराज की दहाड़
Sun, 01 Apr 2012 12:21 PM
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा में बब्बर शेर की दहाड़ गूंजेगी। पूर्ववर्ती मायावती सरकार के कार्यकाल में ठंडे बस्ते में डाली गयी लायन सफारी परियोजना पर एक बार फिर काम शुरू हो गया है और इसके लिये मास्टर प्लान तैयार करने की कवायद हो रही है।

राज्य के प्रमुख वन्यजीव संरक्षक जेएस अस्थाना ने बताया कि वर्ष 2005 में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में बनाई गयी लायन सफारी की महत्वाकांक्षी परियोजना को परवान चढ़ाने के लिये दोबारा काम शुरू कर दिया गया है।

उन्होंने बताया कि यह परियोजना इटावा के पास फिशर वन क्षेत्र के करीब 50 हेक्टेयर क्षेत्र में लगायी जाएगी। इसके लिये केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) से अनुमति मिल गयी है और उसका मास्टर प्लान तैयार करके उसे अनुमोदित कराया जाना है।

अस्थाना ने बताया कि वर्ष 2005 में इस परियोजना की लागत करीब 20 करोड़ रुपए थी, लेकिन अब इसे पुनरीक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सीजेडए ने लायन सफारी परियोजना को मंजूरी देने के लिये कुछ शर्ते रखी थीं जिन्हें पूरा करने की कार्रवाई की जा रही है।

अस्थाना ने बताया कि सीजेडए ने मुख्य रूप से यह शर्त रखी थी कि लायन सफारी के लिये पहले बब्बर शेरों के लिये प्रजनन केन्द्र स्थापित किया जाए और बाहर से लाये गये शेरों के साथ प्रजनन से पैदा होने वाले शावकों को ही सफारी में छोड़ा जाए ताकि वे वहां की स्थितियों के अनुरूप खुद को ढाल सकें।

अस्थाना ने बताया कि राज्य की पूर्ववर्ती मायावती सरकार के कार्यकाल में लायन सफारी परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था, लेकिन नयी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस परियोजना पर फिर से काम शुरू करने के निर्देश दिए। अब परियोजना से जुड़ी आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान पारित होने के बाद लायन सफारी के लिये भूमि हस्तांतरण की औपचारिकता पूरी करने की कोई जरूरत नहीं होगी।

गौरतलब है कि राज्य में सपा की पिछली सरकार के कार्यकाल में वन विभाग ने करीब 150 हेक्टेयर क्षेत्र में लायन सफारी बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था लेकिन बाद में उसमें संशोधन करके 50 हेक्टेयर जमीन पर लायन सफारी बनाने का फैसला हुआ था।

हालांकि वर्ष 2007 में प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के बाद मायावती की सरकार आ गयी और उसने लायन सफारी संबंधी परियोजना को लगभग खत्म कर दिया।

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