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‘गढ़’ को तवज्जो न मिलने के तलाशे जा रहे निहितार्थ

विधानसभा चुनाव में सपा को इस बार सभी अंचलों में कामयाबी मिली है, लेकिन गढ़ में कामयाबी का रंग कुछ ज्यादा ही गाढ़ा...

‘गढ़’ को तवज्जो न मिलने के तलाशे जा रहे निहितार्थ
Mon, 19 Mar 2012 09:04 PM
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विधानसभा चुनाव में सपा को इस बार सभी अंचलों में कामयाबी मिली है, लेकिन गढ़ में कामयाबी का रंग कुछ ज्यादा ही गाढ़ा रहा। इटावा, औरैया, मैनपुरी, कन्नौज और उन्नाव की 19 में 18 सीटों पर पार्टी जीती। इसके बावजूद शिवपाल सिंह यादव के अलावा किसी और को नए मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। नए नेतृत्व की नीतियों के निहितार्थ सियासी गलियारे में तलाशे जा रहे हैं। हालांकि अखिलेश के तेवर और दिग्गज नेताओं पर हुई कार्रवाई के चलते सभी चुप्पी साधे हैं।

अखिलेश के मंत्रिमंडल में पार्टी के गढ़ का प्रतिनिधित्व न के बराबर है। युवा मुख्यमंत्री ने ऐसा करके आखिर क्या संदेश दिया है? यह किसी के गले नहीं उतर रहा। पार्टी के उदय से लेकर अब तक इटावा, औरैया, मैनपुरी, कन्नौज और उन्नाव ने हमेशा सपा को मजबूती दी है। इटावा मुलायम सिंह यादव का गृह जनपद है और औरैया इटावा का ही हिस्सा था, जबकि मैनपुरी से मुलायम सिंह सांसद हैं और कन्नौज से अखिलेश यादव सांसद रहे।

उन्नाव में कई चुनाव से सपा का परचम लहरा रहा। 2007 में सात सीटों में से छह पर सपा जीती थी। इस बार नए परिसीमन में एक सीट कम हो गई फिर भी पांच सीटें सपा को मिलीं। इन पांच जिलों की 19 सीटों में 18 सपा के खाते में गईं हैं। इसके बावजूद यहां से शिवपाल सिंह के अलावा किसी और को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली, जबकि इन जिलों में उन्नाव के पुरवा से विधायक उदयराज यादव, भगवंतनगर से कुलदीप, सदर से दीपक कुमार, औरैया के प्रदीप यादव, इटावा के रघुराज शाक्य, भरथना की सुखदेवी वर्मा की गिनती पार्टी के दिग्गजों में होती हैं।

पार्टी के प्रति इनकी निष्ठा पर भी कोई सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता। 2007 के विधानसभा चुनाव में जब सपा के खिलाफ हवा चल रही थी और सपा 100 का आंकड़ा भी नहीं छू सकी थी तब भी इन जिलों ने पार्टी की साख बचाई थी। ऐसे में इन जिलों को प्रतिनिधित्व न मिलना किसी के समझ में नहीं आ रहा है। इसको लेकर दिग्गजों को मलाल भी है लेकिन अखिलेश के तेवर व मुलायम सिंह के खासमखास रहे रामनरेश मिनी जैसे नेताओं पर हुई कार्रवाई के चलते चुप्पी साधे हैं।

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