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बोर्ड अध्यक्ष ने सगे भाई-बहन को दे दी नौकरी

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार की हद हो गयी है। अभी तक तो रुपये लेकर शिक्षकों और प्रधानाचार्यो की भर्तियों के आरोप लगते रहे...

बोर्ड अध्यक्ष ने सगे भाई-बहन को दे दी नौकरी
Sat, 17 Mar 2012 10:39 PM
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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार की हद हो गयी है। अभी तक तो रुपये लेकर शिक्षकों और प्रधानाचार्यो की भर्तियों के आरोप लगते रहे हैं लेकिन महज नौ महीने पहले अध्यक्ष का कार्यभार संभालने वाले बोर्ड के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष डॉ. आरपी वर्मा ने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ दिए है।

बात-बात में बसपा के बड़े नेताओं से सीधा संपर्क होने का धौंस दिखाने वाले अध्यक्ष डॉ. वर्मा ने लिखित परीक्षा में फेल अपने सगे भाई-बहन को नौकरी दे दी थी। पिछले महीने अंतिम परिणाम जारी होने पर कुछ प्रतियोगियों ने हंगामा किया तो एक जांच कमेटी बनाई गयी। 29 फरवरी को बुलाई गयी बोर्ड की आपात बैठक में गलत तरीके से चयनित बोर्ड के सदस्य दशरथ चौधरी के बेटे नरेन्द्र चौधरी समेत पांच अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया।

खास यह कि जिन चार अन्य चयनित अभ्यर्थियों को बाहर किया गया था उनमें बोर्ड अध्यक्ष डॉ. आरपी वर्मा के सगे भाई वेदरत्न वर्मा (रोल नम्बर 110400379) और बहन कमल वर्मा (रोल नम्बर 111600287) का नाम शामिल है। कमल वर्मा को डॉ. अनूप लाल बालिका इंटर कालेज (जहांगीराबाद, बुलन्दशहर) और वेदरत्न वर्मा को पं. जवाहर लाल नेहरु इंटर कालेज (खजुराहट, फैजाबाद) में नियुक्ति दे दी गयी थी।

अपने भाई-बहन का नाम छिपाने के लिए बोर्ड अध्यक्ष ने मीडिया को नाम की बजाय अभ्यर्थियों के रोल नम्बर ही जारी किए थे। नियुक्ति में भ्रष्टाचार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये पांचों अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में फेल थे लेकिन अंतिम सूची में सफल करार दिए गए। सूत्रों के मुताबिक सारा खेल केजिंग (साक्षात्कार के लिए बनाई जाने वाली लिस्ट) के दौरान हुआ।

अध्यक्ष ने केजिंग का काम दशरथ चौधरी को दिया था। दशरथ चौधरी ने साक्षात्कार के लिए अपने बेटे का नाम शामिल करने के एवज में अध्यक्ष के भाई-बहन का नाम भी सूची में डाल दिया। बोर्ड अध्यक्ष का कहना है कि कम्प्यूटर की गलती के कारण इन पांच अभ्यर्थियों की नियुक्ति हो गयी थी। वहीं प्रतियोगियों का कहना है कि सारी गलती बोर्ड अध्यक्ष और सदस्य के सगे-संबंधियों के लिए ही कैसे हुई।
 
आखिर कैसे उन लोगों को अंतिम रूप से चयनित कर लिया गया जो लोग लिखित परीक्षा में ही फेल थे। अंतिम रिजल्ट इंटरव्यू का नंबर जोड़ने के बाद बनता है। जो अभ्यर्थी लिखित में फेल थे, इंटरव्यू में शामिल हुए ही नहीं तो उनका रोल नंबर भी आखिर गलती से कैसे लिख लिया गया। अभ्यर्थियों ने बोर्ड अध्यक्ष और भ्रष्ट सदस्यों को हटाने और नियुक्तियों की जांच की मांग की है।

किन लोगों को किया गया बाहर
नाम   रोल नम्बर
कमल वर्मा   111600287
वेदरत्न वर्मा  110400379
नरेन्द्र चौधरी  040900657
सरिता सिंह  030901724
शिवशंकर  081300084

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