वन्यजीव संरक्षक
वन्यजीव संरक्षक (वाइल्डलाइफ कंजरवेशनिस्ट) के रूप में कार्य करते हुए संरक्षक वन्यजीवों, उनके रहने के ठिकानों और उनसे मानव से सम्पर्क पर शोध करता...
वन्यजीव संरक्षक (वाइल्डलाइफ कंजरवेशनिस्ट) के रूप में कार्य करते हुए संरक्षक वन्यजीवों, उनके रहने के ठिकानों और उनसे मानव से सम्पर्क पर शोध करता है। ऐसा करने के लिए आंकड़े एकत्र करना और उनका विश्लेषण करना होता है, जिसके लिए उन्हें क्षेत्र में रह कर ही अपना काफी समय बिताना होता है। उन्हें कई बार नीति निर्माताओं और स्थानीय समुदायों के साथ मिल कर काम करना होता है, ताकि उनमें जागरूकता लाई जा सके, सामाजिक व्यवहार में बदलाव लाया जा सके और वन्यजीव संरक्षण के मामले में कानूनी नीतियां बनाई जा सकें। कुछ लोग विभिन्न विश्वविद्यालयों में वन्यजीव संरक्षण से जुड़े विभिन्न विषयों के अध्यापन का कार्य प्रोफेसर के रूप में करते हैं।
इस क्षेत्र में कुछ शाखाएं हैं- पॉपुलेशन इकोलॉजी, बिहेवियरल इकोलॉजी, इवोल्यूशन बायोलॉजी, कम्युनिटी इकोलॉजी, ईकोसिस्टम सर्विसेज, ग्लोबल चेंज, कंजरवेशन लॉ, कंजरवेशन बायोलॉजी, लैंडस्केप इकोलॉजी, कम्युनिकेशन एंड एडवोकेसी, कंजरवेशन जेनेटिक्स, फील्ड बायोलॉजी, मरीन बायोलॉजी, हरपेटोलॉजी, एंटोमोलॉजी, मैमोलॉजी, ओरनिथोलॉजी, सोशल एस्पेक्ट्स ऑफ कंजरवेशन, कंजरवेशन एजुकेशन इत्यादि।
कार्य का समय
क्षेत्र में संरक्षक का औसत दिन
सुबह 5.30 बजे: फील्ड के लिए तैयार होना
सुबह 6 बजे: साइट पर पहुंच डाटा एकत्र करना। यह विषय रुचि पर निर्भर है, इसी आधार पर यह काम आधे घंटे से कई घंटों के बीच हो सकता है
दोपहर एक बजे: वन्यजीव विशेषज्ञों से वार्ता करना व इसके बाद घर से लाया लंच करना
दोपहर 2 बजे: इलाके का डाटा एकत्र करना
शाम 6 बजे: साइट से लौट कर डाटा की एंट्री करना
रात 9 बजे: शुभ रात्रि
दफ्तर में औसत दिन
सुबह 9 बजे: दफ्तर पहुंचना, रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए एकत्र डाटा का विश्लेषण करना
प्रात: 11 बजे: साइंटिफिक पेपर, टेक्निकल रिपोर्ट या पॉपुलर ऑर्टिकल्स का काम पूरा करना या अनुदान या वित्तीय सहायता के लिए लिखना दोपहर एक बजे: लंच टाइम
दोपहर 2 बजे: अधूरे कामों को पूरा करना।
शाम 7 बजे: घर वापसी
पारिश्रमिक
एंट्री लेवल पर रिसर्चर या जूनियर रिसर्च फैलो को पारिश्रमिक 9 से 12 हजार रुपए प्रतिमाह के बीच मिलता है। पोस्ट डॉक्टोरल छात्रों/सीनियर रिसर्च फैलो को 12 से 15 हजार रुपया मिलता है। असि. रिसर्चर करीब 20,000 रुपये लेता है।
दक्षता
बायोलॉजी, मैथमेटिक्स तथा स्टेटिस्टिक्स में मजबूत पकड़
वन्यजीवन के प्रति आकर्षण
बेहतर कम्युनिकेशन स्किल व आंतरिक दक्षता
कंप्यूटर का बेहतर ज्ञान
कैसे पहुंचें मुकाम पर
किसी भी बायोलॉजिकल क्षेत्र में बैचलर के बाद एनवायरमेंटल साइंस या वाइल्ड लाइफ बायोलॉजी तथा कंजरवेशन या इकोलॉजी में मास्टर्स करना अनिवार्य है।
संस्थान
मास्टर डिग्री कराने वाले दो संस्थान हैं- वाइल्ड लाइफ इंस्टीटय़ूट ऑफ इंडिया तथा नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज। इन्हें वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन सोसायटी तथा सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ स्टडीज का सहयोग प्राप्त है। छात्र इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ साइंस, एनसीबीएस, डब्ल्यूआईआई, नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन जैसे संस्थानों से पीएचडी कर सकते हैं।
फायदे और नुकसान
पर्याप्त संतुष्टि मिलती है, क्योंकि जो पढ़ रहे हैं, वह काम करना काफी रोचक होता है
दुनिया के बेहतरीन इलाकों में जाने का मौका मिलता है
भावी पीढ़ी के लिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हैं और स्वच्छ तथा स्वस्थ पर्यावरण में योगदान देते हैं
कार्य की लंबी अवधि और आईटी जैसे अन्य क्षेत्रों की तुलना में कम वेतन कभी-कभी दुविधा में डाल देता है