बिजली कंपनियों को करंट
बिजली दरों में बढ़ोतरी से राजधानी के बाशिंदों को झटके देने वाली विद्युत कंपनियों को अबनियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की जांच से करंट लग सकता...
बिजली दरों में बढ़ोतरी से राजधानी के बाशिंदों को झटके देने वाली विद्युत कंपनियों को अबनियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की जांच से करंट लग सकता है। दिल्ली सरकार ने तीनों बिजली कंपनियों के खातों की जांच कैग से कराने का फैसला किया है। इस मसले को लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई पर सरकार ने यह जानकारी दी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए.के. सीकरी व न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की पीठ के समक्ष सोमवार को सरकार की ओर से पेश हुए मुख्य अधिवक्ता नज्मी वजीरी ने कैबिनेट के फैसले का नोट पेश किया।
उन्होंने कहा कि सरकार जनभावनाओं का सम्मान करती है, इसलिए तीनों बिजली कंपनियों के खातों की कैग से जांच कराने का फैसला किया गया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने अधिवक्ता वजीरी को कैबिनेट के इस फैसले के संबंध में एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 12 अप्रैल को होगी।
इससे पहले कई मौकों पर सरकार बिजली कंपनियों के खातों की जांच कैग से कराने का विरोध करती रही है। मगर, अब सरकार का कहना है कि लोगों के गुस्से को देखते हुए एक बार तो खातों की जांच कराई जा सकती है, लेकिन नियमित तौर पर यह संभव नहीं है।
हालांकि, पिछले साल नौ नवंबर को दिल्ली सरकार ने हलफनामा दायर कर कैग से बिजली कंपनियों के खातों की जांच कराने से इनकार कर दिया था। तब सरकार ने तर्क दिया था कि ये निजी कंपनियां हैं और इनकी कैग से जांच नहीं कराई जा सकती। इसके जवाब में याचिकाकर्ता संगठन ‘ऊर्जा’ की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण व पियोली स्वतीजा ने कहा था कि दिल्ली में बिजली वितरण का काम देख रही तीनों कंपनियों को सरकार रियायतें देती हैं और इसमें सरकार की भी 49 फीसदी की हिस्सेदार है।