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हर चोंच की अलग है खासियत

पक्षी अपनी चोंच से भोजन तलाशते हैं, उसे खाने लायक बनाते हैं और निगलते हैं। चिड़ियों की चोंच छोटी व मजबूत होती है। इससे वे अनाज के दाने फोड़ सकती...

हर चोंच की अलग है खासियत
Mon, 12 Mar 2012 11:45 AM
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पक्षी अपनी चोंच से भोजन तलाशते हैं, उसे खाने लायक बनाते हैं और निगलते हैं। चिड़ियों की चोंच छोटी व मजबूत होती है। इससे वे अनाज के दाने फोड़ सकती हैं। बाज, उल्लू, गरुड़ जैसे शिकारी पक्षियों की चोंच मजबूत और मुड़ी हुई रहती है, ताकि वे अपने शिकार की चीर-फाड़ कर सकें।

तोते की चोंच गोल, मजबूत मुड़ी हुई होती है। वह अपनी चोंच से फल खाता है और बीजों को फोड़ सकता है। कबूतर, मुर्गी, तीतर की चोंच जमीन से दाना चुगने में काफी समर्थ रहती है। कौओं की चोंच हर तरह काम करने में समर्थ रहती है। वह बीज फोड़ सकती है तथा चूहे जैसे छोटे जानवर को मार सकती है। कठफोड़वा की चोंच टहनी की तरह मजबूत होती है। यह अपनी चोंच से वृक्ष की छाल उखाड़कर, उसमें छेद करके कीड़े-मकोड़े ढूंढ़कर खाता है। इसकी चोंच की टक्कर का वेग 30 किलोमीटर प्रति घंटा रहता है। विश्व के सबसे छोटे पक्षी हमिंग बर्ड की चोंच सुई की तरह लंबी होती है, जिससे यह फूलों के अंदर के परागकण तथा कीड़े-मकोड़े ढूंढ़कर खाता है। किंगफिशर की चोंच कटार जैसी तीखी तथा मजबूत होती है। इससे वह मछलियां तथा मेंढक पकड़ता है। फ्लैमिंगा यानी राजहंस की चोंच बीच से काफी मुड़ी हुई, छलनी की तरह होती है। ये पानी में अपना शिकार खोजते हैं, तब कीड़े- मकोड़े इनकी चोंच में रह जाते हैं तथा कीचड़ रेत छनकर निकल जाता है। पेलिकन की चोंच बड़ी होती और इसकी चोंच का निचला हिस्सा पूरी लंबाई में रबड़ सा लचीला होता है। पफिन की चोंच तिकोनी, तीखी होती है। यह चिड़िया उत्तरी तथा मध्य अटलांटिक के खुले समुद्र की चिड़िया है।

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