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महिलाएं निकलें घर की चहारदीवारी से बाहर

संवाद-सूत्र पटना। समाज में महिलाओं को पुरुषों के लिए मनोरंजन की वस्तु समझा जाता है। आज भी कुछ लोगों की मानसिकता है कि महिलाओं का काम घर की चहारदीवारी के भीतर हीं है। महिला अधिकार के क्षेत्र में अभी...

महिलाएं निकलें घर की चहारदीवारी से बाहर
Thu, 01 Mar 2012 12:19 AM
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संवाद-सूत्र पटना।

समाज में महिलाओं को पुरुषों के लिए मनोरंजन की वस्तु समझा जाता है। आज भी कुछ लोगों की मानसिकता है कि महिलाओं का काम घर की चहारदीवारी के भीतर हीं है। महिला अधिकार के क्षेत्र में अभी भी बहुत काम बाकी है। जब भगवान ने महिला-पुरुष में कोई भेदभाव नहीं किया तो हम क्यों कर रहे हैं।

उक्त बातें ‘महिला अधिकार मानवाधिकार: रोल ऑफ नॉन-स्टेट एक्टर्स’ की भूमिका विषय पर सेमिनार के समापन समारोह में मगध विश्वविद्यालयके राजनीति शास्त्र विभाग के डा. बी के झा ने कही। बीएचयू के डा डी जी ए खान ने कहा कि धर्मो में भी महिलाओं के अधिकारों पर जोर दिया गया है। इसके बावजूद भी महिलाओं के भरण-पोषण, शिक्षा पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है।

इसके साथ हीं इस्लाम में महिलाओं के लिए जो कानून बनाया गया है उसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। ए एन सिन्हा संस्थान के डा. नीलरत्न ने कहा कि हमारे देश में वर्षो से सभी क्षेत्रों में महिलाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है। घर से लेकर दफ्तर तक उनके साथ दोहरा व्यवहार किया जाता है।

महिलाओं को उनका अधिकार तभी मिलेगा जब शहर के साथ ग्रामीण इलाकों में भी शिक्षा अनिवार्य किया जाए। लिंग सलाहकार, ललिता अय्यर ने कहा कि बिहार की छवि बदलने में सरकार की भूमिका अहम है।

सरकार की कोशिशें कामयाब होती दिख रही हैं पर महिलाओं के मामले में अभी भी भेदभाव किया जाता है। परिवार-समाज द्वारा उनका अधिकार छीन लिया जाता है। सेमिनार में डा एल एन शर्मा ने कहा कि सिर्फ भाषण देने से महिलाओं को उनका हक नहीं मिलेगा। सरकार और गैर सरकारी संगठनों को आगे आना होगा। घरेलू हिंसा रोकना होगा और महिलाओं में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता पैदा करनी होगी।

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