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हिन्दी सिनेमा उर्दू के बिना अधूरा: जावेद अख्तर

मशहूर शायर, गीतकार एवं पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने कहा कि आलम आरा से हिन्दी फिल्मों में आवाज की शुरुआत होने से लेकर आज तक फिल्में उर्दू के बिना अधूरी...

हिन्दी सिनेमा उर्दू के बिना अधूरा: जावेद अख्तर
Wed, 29 Feb 2012 08:47 PM
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मशहूर शायर, गीतकार एवं पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने कहा कि आलम आरा से हिन्दी फिल्मों में आवाज की शुरुआत होने से लेकर आज तक फिल्में उर्दू के बिना अधूरी हैं। उन्होंने कहा कि इस भाषा के साथ दिक्कत यह है कि जब यह सरल होती है तो इसे हिन्दी समझा जाता है और जब कठिन होती है तो लोग उसे उर्दू कहने लगते हैं।

अख्तर ने यहां विश्व पुस्तक मेले में लताफ हुसैन काजी की पुस्तक जौहर ए अदाकारी और सुहैल अख्तर की किताब उर्दू और बालीवुड का लोकार्पण करते हुए यह बात कही। उर्दू की दोनों पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में मशहूर अदाकार अमोल पालेकर भी मौजूद थे।

फिल्मों की भाषा का जिक्र करते हुए अख्तर ने कहा कि हम हिन्दुस्तानी को भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि फारसी, अंग्रेजी, तुर्की आदि भाषाओं से लिए गए बावर्ची, बच्चा, बाल्टी, पिस्तौल, रास्ता जैसे शब्दों को यदि हमारी हिन्दुस्तानी से निकाल लिया जाए तो हमारे पास अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए बहुत कम अल्फाज रह जाएंगे।

इस अवसर पर अमोल पालेकर ने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों में नाटक और पढ़ने को लेकर दीवानगी है। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले महाराष्ट्र में एक साहित्यिक कार्यक्रम में एक पुस्तक जारी की गई और उसी दिन पुस्तक की एक लाख प्रतियां बिक गई।

पालेकर ने सिनेमा के बारे में नई पुस्तकें आने का स्वागत करते हुए कहा कि नेशनल बुक ट्रस्ट जैसी संस्थाओं के इस दिशा में प्रयास सराहनीय हैं।

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