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विजेंदर के पास ओलंपिक क्वालीफाई करने का आखिरी मौका

भारतीय मुक्केबाजी के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा चुके विजेंदर सिंह के लिए हालात पिछले ओलंपिक की तरह ही है जब उनके पास क्वालीफाई करने का एकमात्र मौका बचा...

विजेंदर के पास ओलंपिक क्वालीफाई करने का आखिरी मौका
Tue, 14 Feb 2012 03:14 PM
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बीजिंग ओलंपिक 2008 में कांस्य पदक जीतकर भारतीय मुक्केबाजी के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा चुके विजेंदर सिंह के लिए हालात पिछले ओलंपिक की तरह ही है जब उनके पास क्वालीफाई करने का एकमात्र मौका बचा है।
    
विजेंदर ने अभी तक जुलाई अगस्त में होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई नहीं किया है। विजेंदर ने कहा कि यह ऐसा समय है जिसमें मूड हर समय बदलता रहता है। कई बार अच्छा प्रदर्शन करके आलोचकों का मुंह बंद करने की प्रेरणा रहती है तो कई बार मनोबल गिर भी जाता है।
     
मिडिलवेट का यह मुक्केबाज पिछले साल अजरबैजान में विश्व चैम्पियनशिप के पहले ही दौर में हार गया था जो पहला ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट था। इसके बाद उसके पास क्वालीफाई करने का सिर्फ एक मौका बचा है। बीजिंग खेलों से पहले भी विजेंदर पहले दो क्वालीफायर में नाकाम रहा था लेकिन तीसरे और आखिरी क्वालीफायर में उसने स्वर्ण पदक जीता था।
      
अप्रैल में होने वाले क्वालीफायर में मिडिलवेट (75 किलो) वर्ग में चार स्लॉट हैं। उसने कहा कि मुझे पता है कि मेरे पास यह आखिरी मौका है लेकिन मैं विचलित नहीं हूं। मुझे खुद पर भरोसा है। ओलंपिक कोटा पाने के लिए मुझे सेमीफाइनल तक पहुंचना है जो मैं कर लूंगा।
     
जब उसका आत्मविश्वास डोलता है तो वह भगवान का सहारा लेता है। विजेंदर ने कहा कि मुझे बस प्रार्थना के लिए हाथ जोड़ने होते हैं। भगवान ने ही मुझे यहां तक पहुंचाया है और आगे भी ले जाएंगे। मुझे भरोसा है। भगवान की कपा से हालांकि पदक नहीं जीते जाते लिहाजा विश्व चैम्पियनशिप का कांस्य पदक विजेता यह मुक्केबाज एनआईएस पटियाला में खूब मेहनत कर रहा है।
    
उन्होंने कहा कि फिलहाल मेरा फोकस दमखम और सहनशक्ति पर है। ये ऐसे पहलू हैं जिन पर मेहनत करनी होगी। अपने खेल में कोई तकनीकी बदलाव करने की मुझे जरूरत नहीं है। विजेंदर पटियाला में अभ्यास से खुश है और अगले महीने दो विदेश दौरों पर जाने का उसका कोई इरादा नहीं है। भारतीय मुक्केबाज जर्मनी और चेक गणराज्य जाएंगे लेकिन विजेंदर को तैयारी के लिए भारत ही सर्वश्रेष्ठ लगता है।

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