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आशा की किरण ऑप्थेलमोलॉजी

नेत्र रोग विशेषज्ञ का काम नेत्र रोगों की संपूर्ण जांच, रोगों की पहचान, उनकी रोकथाम और इलाज से जुड़ा होता है। इसमें मेडिकल और सजिर्कल, दोनों तरह के इलाज शामिल होते...

आशा की किरण ऑप्थेलमोलॉजी
Tue, 07 Feb 2012 12:52 PM
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नेत्र रोग विशेषज्ञ का काम नेत्र रोगों की संपूर्ण जांच, रोगों की पहचान, उनकी रोकथाम और इलाज से जुड़ा होता है। इसमें मेडिकल और सजिर्कल, दोनों तरह के इलाज शामिल होते हैं। ऑप्थेलमोलॉजी के तहत नेत्र रोग तथा चोट को रोकने की तकनीक का अध्ययन किया जाता है। वे विशेष उपकरणों से नेत्रों की जांच करते हैं और आंखों की कार्यशैली यानी आंखों को देखने की क्षमता की जांच करते हैं। यदि किसी रोगी की देखने की क्षमता सामान्य से कम होती है तो सामान्य रूप से यह पड़ताल की जाती है कि क्या दृष्टि में आई कमी को चश्मे से सही किया जा सकता है। यदि चश्मे से मदद नहीं मिल सकती तो वे जरूरी ऑपरेशन जैसे कैटारेक्ट (आंख के लैंस के ऊपर जमी परत) हटाना इत्यादि करते हैं। वे अन्य तरह के ऑपरेशन भी करते हैं, जिसमें स्ट्राबिसमस (आंखों का भैंगापन) या आंख के अन्य मसल डिसऑर्डर को सही करना शामिल है।

कार्य का समय
सुबह 6.30 बजे: योग व मार्निग वॉक
सुबह 7.30 बजे: नाश्ते का समय
सुबह 8.00 बजे: काम पर जाना
सुबह 8.30 बजे से 10 बजे तक: रोगियों का ऑपरेशन करना
सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक: परामर्श सेवा शुरू, ओपीडी में रोगियों का इलाज
दोपहर 2 बजे: विभिन्न प्रकार के काम, जरूरत के हिसाब से- ओटी/ लेजर/ मीटिंग/ क्लीनिकल सीएमई इत्यादि या बच्चों के साथ समय बिताने के लिए घर जाना
शाम 5 बजे से 8 बजे तक: ओपीडी में रोगियों का इलाज
रात 9 बजे: काम खत्म

पारिश्रमिक
इस प्रोफेशन के प्रारंभ में (एमबीबीएस के बाद जब आप स्पेशलाइजेशन कर रहे होते हैं) आप 50 हजार से 80 हजार के बीच मासिक वेतन की उम्मीद कर सकते हैं, जो आपके द्वारा प्रैक्टिस शुरू किए जाने पर 1 से 2 लाख रुपये तक बढ़ सकता है। सीनियर लेवल पर आप प्राइवेट सेटअप में 5 लाख रुपये प्रतिमाह का वेतन हासिल कर सकते हैं तथा सरकारी नौकरी में 2 लाख रुपये प्रतिमाह तक प्राप्त कर सकते हैं। वेतन आपके एम्पलॉयर और अनुभव के आधार पर मिलता है।

दक्षता
सजर्री करने में रुचि होनी चाहिए
हाथ-आंख का बेहतर तालमेल हो, जो माइक्रो सजर्री के लिए काफी जरूरी है
काम के प्रति समर्पित, शांत और रोगी की मदद के लिए तैयार रहने वाला स्वभाव होना चाहिए
सधे हुए हाथ होने चाहिए

कैसे हासिल करें मुकाम
12वीं कक्षा मे फिजिक्स, कैमिस्ट्री, बायोलॉजी लें। सेंट्रल और स्टेट बॉडीज द्वारा आयोजित प्री-मेडिकल परीक्षा में भाग लें। एमबीबीएस तथा अनिवार्य रेजिडेंट इंटर्नशिप पूरी करने के बाद राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय पोस्ट ग्रेजुएट एंट्रेंस एग्जाम में बैठें। इसके लिए तीन वर्ष की पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री (एमडी, एमएस) तथा दो वर्षीय पीजी डिप्लोमा प्रोग्राम (डीओ, डीओएमएस) होता है। एक तीन वर्षीय कोर्स डिप्लोमा ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी) भी विभिन्न मेडिकल कॉलेजों तथा कुछ प्राइवेट आई इंस्टीट्यूट्स में उपलब्ध है।

संस्थान
डॉ. आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज, एम्स, नई दिल्ली
www.aiims.edu/rpcentre.htm
संकारा नेत्रालय, चेन्नई
www.sankaranethralaya.org  
एल वी प्रसाद आई इंस्टीटय़ूट, हैदराबाद
www.lvpei.org
पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़
www.pgimer.nic.in

फायदे व नुकसान
लोगों की नेत्र ज्योति लौटाने पर आत्म संतुष्टि
काम के घंटों में ज्यादा दबाव नहीं
ज्यादा एमरजेंसी नहीं होतीं
भारत में ज्यादा संस्थान नहीं हैं, जो उच्चकोटि की ट्रेंनिग दे सकें
वेतन पैकेज काफी अच्छा है

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