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छुक-छुक करती आई रेल..

राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में कई तरह के इंजन, शाही सैलून, क्रेन, वैगन, बेंच आदि हैं। यहां देश भर से सैलानी आते हैं। इस संग्रहालय में भारत की पहली रेल का मॉडल और इंजन भी...

छुक-छुक करती आई रेल..
Mon, 06 Feb 2012 03:53 PM
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राष्ट्रीय रेल संग्रहालय में कई तरह के इंजन, शाही सैलून, क्रेन, वैगन, बेंच आदि हैं। यहां देश भर से सैलानी आते हैं। इस संग्रहालय में भारत की पहली रेल का मॉडल और इंजन भी है। इसका निर्माण ब्रिटिश वास्तुकार एम.जी. सेटो ने 1957 में किया था। इसके अलावा पैलेस ऑन व्हील्स, विश्व का सबसे भारी और शक्तिशाली स्टीम लोकोमोटिव, भारत का पहला लोकोमोटिव इंजन आदि दर्शनीय हैं।

रेलगाड़ी भारत में कब शुरू हुई, पहले किस तरह की ट्रेन होती थी, उन्हें कैसे चलाया जाता था? अगर इस तरह के सवाल तुम्हारे दिमाग में हैं तो तुम इस वीकएंड पर मम्मी-पापा के साथ दक्षिणी दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में स्थित राष्ट्रीय रेल संग्रहालय घूमने जाओ। यहां तुम भारतीय रेल के 150 साल के इतिहास की झलक देख सकते हो। 1 फरवरी 1977 को शुरू हुआ ये संग्रहालय बहुत बड़ा है और इसमें एक गैलरी है, जहां कई तरह के रेल के मॉडल, रिकॉर्ड, तस्वीरें, रेलों में इस्तेमाल होने वाली दुर्लभ क्रॉकरी, 100 वास्तविक आकार में प्रदर्शित दस्तावेज आदि हैं, जो तुम्हें भारतीय रेलवे के इतिहास के हर पहलू से वाकिफ कराएंगे।

यहां कई तरह के इंजन, शाही सैलून, क्रेन, वैगन, बेंच हैं। यही कारण है कि यहां देश भर से सैलानी आते हैं। राष्ट्रीय रेल संग्रहालय के निदेशक अतुल सिंह कहते हैं, ‘ये ऐसा अनूठा संग्रहालय है, जहां एक ही छत के नीचे इतिहास, विरासत और मनोरंजन का संग्रह मिलता है। दिल्ली में मॉल कल्चर आने के बावजूद भी जहां लोगों का मोन्यूमेंट्स और म्यूजियम्स की तरफ झुकाव कम हुआ है, वहीं रेल संग्रहालय में आने वाले पर्यटकों में कोई कमी नहीं आई है। रेल संग्रहालय में प्रतिमाह लगभग 25,000 पर्यटक आते हैं।

यहां स्कूलों के बच्चों को पिकनिक मनाने की सुविधा है, साथ ही नि:शुल्क फोटोग्राफी भी कर सकते हैं। यहां के गैलरी-संग्रहालय में एक ऐसी गैलरी है, जहां इंजन और क्रेन के क्रियाशील मॉडल, कोच के पुराने मॉडल, पुराने रेल टिकटों का संग्रह, समय सारणी चिह्न्, राज्य रेल चिह्न्, पुरानी रेलों में इस्तेमाल किए जाने वाले अद्भुत आईने, फर्नीचर, घड़ियां, क्रॉकरी, पानी का मटका, ट्रैक गैलरी, पुराने प्रतीक और दूरसंचार के साधन जैसे टेलीफोन और फैक्स मशीनें, आकर्षक मल्टीमीडिया और बहुत सी ऐसी दिलचस्प चीजे हैं, जो भारतीय रेल विरासत के प्रति लोगों में जोश और उत्साह पैदा करती हैं। इस संग्रहालय में भारत की पहली रेल का मॉडल और इंजन भी है। इसका निर्माण ब्रिटिश वास्तुकार एम.जी. सेटो ने 1957 में किया था। इसके अलावा पैलेस ऑन व्हील्स, विश्व का सबसे भारी और शक्तिशाली स्टीम लोकोमोटिव, भारत का पहला लोकोमोटिव इंजन आदि दर्शनीय हैं।

कुछ खास रेल मॉडल 
फेयरी क्वीन:
1855 में इंग्लैंड में बना ये विश्व का सबसे प्राचीन कार्यशील भाप इंजन है। फेयरी क्वीन का नाम गिनीज रिकॉर्ड में भी दर्ज है। ये हर साल नवम्बर से फरवरी तक दिल्ली से अलवर के बीच चलती है। इसे भारतीय प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार प्राप्त है।

मोनो रेल: ये पटियाला के महाराजा के घूमने के लिए थी। 1907 में इसे बर्लिन और जर्मनी के ऑरेंस्टेन और कोप्पल ने बनाया। इसमें इस्तेमाल दुनिया में अपनी ही तरह का अकेला कार्यशील भाप इंजन है। रविवार के दिन या पहले बुकिंग करने पर ही बाकी के दिनों में इसकी सवारी की जा सकती है।

सैलून: भव्य साज-सज्जा के साथ इस शाही सैलून को 1899 में बनाया गया था। यह कोच ब्रॉड और मीटर गेज दोनों पर दौड़ सकता है। ये शाही कोच महाराजा ऑफ मैसूर, महाराजा गायकवाड़ ऑफ बड़ौदा, वाइस रीगल डायनिंग कार और प्रिंस ऑफ वेल्स के लिए चला। इस सैलून को भीतर से देखने के लिए 50 रुपये का टिकट है।

टॉय ट्रेन की सैर: संग्रहालय में एक टॉय ट्रेन भी चलती है, जिसमें बैठकर पूरे म्यूजियम का चक्कर लगाया जा सकता है। ये टॉय ट्रेन बच्चों को खासी पसंद है। इसके लिए अलग से शुल्क लगता है। बड़ों के लिए 10 रुपये और बच्चों के लिए 5 रुपये का टिकट है।

सोविनियर शॉप
यहां सोविनियर शॉप भी है, जिसमें विभिन्न प्रकार की वस्तुएं मिलती हैं। रेलों के मॉडल, रेल के लोगो वाली टी-शर्ट, शील्ड, स्केल मॉडल, पोस्टकार्ड, किताब, की-रिंग, रेल पजल्स, विभिन्न रेलों के लोगो वाले मग तुम यहां से यादगार के तौर पर खरीद कर ले जा सकते हो। हाल में संग्रहालय ने स्ट्रॉबेरी, रेसिन और बटरस्कॉच तीन फ्लेवर में चॉकलेट भी आकर्षक पैकेजिंग के साथ उपलब्ध कराई है।

ये ध्यान रखना...
संग्रहालय देखने के लिए तुम मम्मी-पापा और दोस्तों के साथ जा सकते हो। लेकिन यहां घूमते हुए तुम किसी चीज को कोई नुकसान मत पहुंचाना। पुरानी रेलगाड़ियों को छूकर देख सकते हो, पर उन पर कोई गंदी चीज मत फेंकना। खाने के खाली पैकेटों को गार्डन में फेंकने की बजाय डस्टबीन का प्रयोग करना। अगर कोई खास जानकारी चाहिए तो वहां मौजूद स्टाफ से पूछ सकते हो। लेकिन शोर-शराबा अधिक मत करना और टॉय ट्रेन में घूमना मत भूलना।

संग्रहालय देखने का समय
अप्रैल से सितम्बर

सुबह 9.30 से शाम 7.30 तक
अक्टूबर से मार्च

सुबह 9.30 से शाम 5.30 तक
प्रवेश शुल्क

वयस्कों के लिए 20 रुपये
बच्चों के लिए 10 रुपये, 3-12 वर्ष तक।

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