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खरगोश का मांस खाना है तो आइये बिहार...

बिहार में अब मांसाहारी व्यक्तियों को खरगोश के मांस का भी स्वाद चखने को मिलेगा। इसके लिए राज्य सरकार ने बाकायदा तैयारी भी कर ली है। अधिक विटामिन और प्रोटीन से युक्त खरगोश के मांस के लिए सरकार ने खरगोश...

खरगोश का मांस खाना है तो आइये बिहार...
एजेंसीWed, 01 Feb 2012 10:09 AM
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बिहार में अब मांसाहारी व्यक्तियों को खरगोश के मांस का भी स्वाद चखने को मिलेगा। इसके लिए राज्य सरकार ने बाकायदा तैयारी भी कर ली है। अधिक विटामिन और प्रोटीन से युक्त खरगोश के मांस के लिए सरकार ने खरगोश पालन पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।

पशुपालन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि सरकार केवल स्वाद और पोषाहार के लिए ही नहीं, बल्कि खरगोश पालन को रोजगार का जरिया भी बनाना चाहती है। बकरी पालन की तर्ज पर ही गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल) परिवार के लोगों को खरगोश पालने की जिम्मदारी दी जाएगी।

पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि खरगोश पालन (रैबिट फार्मिग) के लिए वर्तमान समय में वैशाली, जमुई और लखीसराय जिले में केंद्र बनाए गए हैं। इसके लिए राज्य महिला विकास समिति द्वारा 1500 बीपीएल परिवारों का चयन किया जाएगा।

पहले चरण में वैशाली के 1000 और जमुई और लखीसराय के 250-250 परिवारों को खरगोश पालने की जिम्मेदारी दी जाएगी। इनमें एक परिवार को 10 खरगोश दिए जाएंगे, जिनमें सात मादा और तीन नर होंगे।

इस योजना से एक परिवार को एक वर्ष में 40 से 45 हजार रुपये की आय होने की संभावना है। सरकार का मानना है कि विदेशों में खरगोश के मांस की अच्छी मांग है, जिस कारण इसके मांस बाजार भी आसानी से उपलब्ध होगा।

सरकार खरगोश पालक को प्रतिवर्ष 12 हजार रुपये की सहायता भी देगी। राज्य के पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री गिरिराज सिंह कहते हैं कि भेड़, बकरी, सुअर और मुर्गा पालन योजना के बाद खरगोश पालन का कार्य शुरू किया गया है।

उनका कहना है कि तीन जिलों में इसकी सफलता के बाद राज्य के अन्य जिलों में इसका विस्तार किया जाएगा। तमिलनाडु और कोलकाता की निजी कम्पनी को भी इस योजना से जोड़ा गया है, जबकि कृषि विभाग की संस्था- बिहार एग्रीकल्चर मैनेजमेंट एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (बामेति) खरगोश पालकों को पालन के गुर बताएगी।

अधिकारियों का कहना है कि अगर सब कुछ सामान्य रहा तो एक मादा खरगोश औसतन 45 दिन में कम से कम पांच बच्चों को जन्म देती है। एक किलोग्राम खरगोश की कीमत करीब 130 से 150 रुपये होती है। सरकार यह भी मानती है कि हाल के दिनों में खरगोश के मांस का चलन देश में भी बढ़ा है। खरगोश पालन में खर्च कम होता है और फायदा अधिक।

इस योजना में विशेष ख्याल यह रखा गया है कि मांस बेचने के लिए गरीब पालकों को कहीं नहीं जाना पड़ेगा। केवल खरगोश पालने की जिम्मेदारी उन पर होगी, जबकि उसके मांस को बेचने की जिम्मेदारी विभाग और निजी एजेंसियों की होगी। यह एजेंसी देश-विदेश में मांस पहुंचाएगी।

अधिकारियों का कहना है कि खरगोश पालकों को ऋण उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न बैंकों से भी बात चल रही है।

 

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