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मुगल गार्डन संग फूलों की सैर

तुम सभी को फूल पसंद होंगे। किसी को गुलाब पसंद होगा, तो किसी को मैरीगोल्ड, किसी को गुलदाउदी, तो कोई ट्यूलिप के नाम पर खुशी से झूम उठता है। अगर दुनिया में पाए जाने वाले सभी तरह के फूल एक ही जगह देखने...

मुगल गार्डन संग फूलों की सैर
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 31 Jan 2012 05:23 PM
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तुम सभी को फूल पसंद होंगे। किसी को गुलाब पसंद होगा, तो किसी को मैरीगोल्ड, किसी को गुलदाउदी, तो कोई ट्यूलिप के नाम पर खुशी से झूम उठता है। अगर दुनिया में पाए जाने वाले सभी तरह के फूल एक ही जगह देखने को मिल जाएं तो कैसा रहे। तुम इन्हें मुगल गार्डन में देख सकते हो। प्रसन्न प्रांजल का आलेख

नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में है फूलों का विशाल मुगल गार्डन, जहां देश-विदेश के सभी तरह के फूलों को तुम देख सकते हो और उनके बारे में जानकारी जुटा सकते हो। मुगल गार्डन के नाम से प्रसिद्ध यह फूलों का बाग राष्ट्रपति भवन के पिछले हिस्से में स्थित है। यह देश का एकमात्र ऐसा गार्डन है, जहां विश्वभर के रंग-बिरंगे मनमोहक सुगंधित फूलों और फलों के पेड़ हैं, जिनका आनंद तुम ले सकते हो। 13 एकड़ में फैले इस गार्डन में ब्रिटिश शैली के साथ-साथ मुगल शैली की भी झलक दिखती है। यह चार भागों में बंटा हुआ है। यहां कई छोट-बड़े बगीचे हैं, जैसे पर्ल गार्डन, बटरफ्लाई गार्डन, सर्कुलर गार्डन आदि। इसमें फूलों के अलावा जड़ी-बूटियां भी उगाई जाती हैं।

कैसे बना मुगल गार्डन
100 साल पहले 1911 में जब अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट की, तभी वायसराय के रहने के लिए प्रसिद्ध अंग्रेज आर्किटेक्ट एडवर्ड लुटियन्स ने रायसीना की पहाड़ी को काटकर वायसराय हाउस (राष्ट्रपति भवन का पुराना नाम) बनाया। उसमें फूलों का बाग भी बनाया गया, लेकिन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हार्डिग की पत्नी लेडी हार्डिंग को वह पसंद नहीं आया। उन्होंने भारतीय शैली, खासकर मुगल शैली में गार्डन की बात कही, तब लुटियन्स ने मुगल शैली में गार्डन बनाया। 1928 में यह बनकर तैयार हुआ और इसमें वायसराय और उनकी पत्नी ने कदम रखा। तभी से इसका नाम मुगल गार्डन पड़ गया। देश आजाद होने और गणतंत्र बनने के बाद वायसराय हाउस राष्ट्रपति हाउस बन गया। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने मुगल गार्डन को जन साधारण के दर्शन के लिए खुलवाया। तब से यह प्रतिवर्ष वसंत ऋतु में आम लोगों के लिए खोला जाता है।

फूलों की किस्में
गार्डन में देश-विदेश के कई रंग-बिरंगे और मनमोहक फूलों के पेड़ हैं। यहां तुम विश्व के लगभग सभी तरह के फूलों को देख सकते हो। यहां कई दुर्लभ फूल हैं, अति दुर्लभ काला गुलाब (ओकलहोमा व बोन नट) और हरे गुलाबों से रू-ब-रू हो सकते हो तुम। 125 प्रकार के गुलदाउदी, 50 से अधिक किस्म के बैगनवेलिया और दुनियाभर में पाए जाने वाले सभी तरह के मैरीगोल्ड (गेंदा) को देख सकते हो। कैलेन्डुला एन्टिरहिनम, एलिसम, डिमोरफोथेका, एसोलिझिया, लार्क्सपर, गेरबेरा, गोडेतिया, लाइनेरिया, मेसमब्राइन्थेमम, ब्रासिका, मेतुसेरिया, वेरबेना, विओला, पैन्सी, स्टॉक तथा डहलिया, कारनेशन और स्वीटपी जैसे सर्दियों में खिलने वाले फूल काफी संख्या में हैं। यहां पर कुछ गुलाब के फूलों के नाम काफी रोचक हैं।

अजब-गजब फूलों के नाम
जैसे मदर टेरेसा, अर्जुन, भीम, राजा राम मोहन, जॉन एफ कैनेडी, क्वीन एलिजाबेथ, लिंकन, हैप्पीनेस, फस्र्ट प्राइज, जंतर-मंतर, अमेरिकन हेरिटेज, आइसबर्ग आदि।

कहां-कहां से आए फूल
मुगल गार्डन में लगे विशिष्ट किस्म के इतने सारे फूल देश-विदेश की कई जगहों से लाए गए हैं। कुछ विदेशी मेहमानों ने फूलों के पेड़ गिफ्ट में दिए हैं, तो कुछ राज्यों ने तोहफे में राष्ट्रपति को प्रदान किए हैं। देश-विदेश सभी ने योगदान दिया है इस गार्डन को बेहतर बनाने में। कुछ प्रमुख फूल, जिन्हें भारतीय राज्यों ने और अन्य देशों ने उपहार स्वरूप दिया है।

हर्बल गार्डन
राष्ट्रपति भवन के अन्दर मुगल गार्डन में एक हर्बल गार्डन भी है, जहां देश-विदेश की कई प्रमुख औषधियों के पेड़ हैं। इन दुर्लभ औषधियों को तुम यहां पर आसानी से देख सकते हो और उनकी विशेषताओं के बारे में जान सकते हो। यहां मौजूद सभी औषधियां काफी महत्वपूर्ण हैं, आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में इन औषधियों का खासा इस्तेमाल किया जाता है।

कब जाओगे
मुगल गार्डन प्रतिवर्ष वसंत ऋतु में एक महीने के लिए खुलता है। सामान्यत: 15 फरवरी से 15 मार्च तक खुलने वाले इस गार्डन में वैसे तो पूरे महीने तुम जा सकते हो, लेकिन शुरुआत के 10-15 दिनों में यहां की छटा काफी खूबसूरत होती है। मंगलवार से रविवार तक सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक यह खुला रहता है, लेकिन प्रवेश शाम 4 बजे तक ही है। सोमवार को मुलग गार्डन बंद रहता है। इसमें आने-जाने का रास्ता राष्ट्रपति भवन के गेट नम्बर-35 से है। गेट नम्बर-35 चर्च रोड के पश्चिमी सिरे पर नॉर्थ एवेन्यू के पास है। इसे देखने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है, नि:शुल्क इसका आनंद उठा सकते हो।

किन बातों का रखोगे ध्यान
मुगल गार्डन के अन्दर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर रोक है। इसके अलावा वहां पर किसी भी तरह का खाद्य पदार्थ आदि ले जाने की मनाही है। गार्डन के अन्दर तुम खाली हाथ ही जा सकते हो। अगर तुम्हारे पास कोई सामान है तो उसे गेट नम्बर-35 के पास बने लॉकर रूम में रखवा देना।

इन्हें नहीं ले जा सकते गार्डन में 
पानी की बोतल, खाने-पीने का सामान, ब्रीफकेस, हैंडबैग्स, स्कूल बैग, लेडीज पर्स, कैमरा, वीडियोकैमरा, मोबाइल, आईपैड, आईफोन, रेडियो/ट्रांजिस्टर्स, आर्म्स।

विदेशों द्वारा दिए गए फूल और पेड़
बर्ड ऑफ पैराडाइज: मॉरिशस
ट्यूलिप्स: नीदरलैंड
ऑर्किड्स: ब्राजील
ऑलिव: फ्रांस
वॉटरलिली: चीन
चेरी ब्लॉसम: जापान
एसोर्टड सिजनल्स: जापान
कोनार्ड एडेन्योर: जर्मनी

राज्यों द्वारा दिए गए उपहार
बैगनवेलिया: खजूराहो (मध्य प्रदेश)
हेलिकोनिया: केरल, हैदराबाद, चेन्नई, गोवा
अल्पीनिया: गोवा
स्पैथोडिया कम्पान्यूलेता: चेन्नई
पेल्टोफोरम: चेन्नई
लिची: देहरादून
एसोर्टेड जैसमीन: चेन्नई, हुबली
कन्ना, वॉटर लिली: मुंबई
अम्हेरसीता नोबिलिस: गोवा

दिल्ली के अन्य फ्लावर शो
मुगल गार्डन के अलावा दिल्ली में कई अन्य जगहों पर भी फ्लावर शो का आयोजन किया जाता है, जहां जाकर तुम रंग-बिरंगे मनमोहक फूलों का आनंद ले सकते हो।

गार्डन टूरिज्म फेस्टिवल
दिल्ली टूरिज्म की तरफ से इसका आयोजन तालकटोरा गार्डन में फरवरी में किया जाता है। तीन दिन तक चलने वाले इस फेस्टिवल में कई तरह के रंग-बिरंगे फूल-पौधों की प्रदर्शनी लगाई जाती है। इसके अलावा गार्डनिंग सिखाई जाती है और बिक्री के लिए फूलों के स्टाल भी लगे रहते हैं। तुम्हारे लिए यह बेहद खास है। यहां पर तुम सब के लिए कई तरह के स्पॉट कॉम्पिटीशन, कल्चरल प्रोग्राम, म्यूजिक शो, पपेट शो आदि का आयोजन किया जाता है।

दिल्ली फ्लावर शो
फरवरी के अंतिम सप्ताह में पुराना किला में इसका आयोजन होता है। इसमें राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय सभी तरह के फूलों को प्रदर्शनी के लिए लगाया जाता है। यह देश का प्रमुख फ्लावर शो है। इस शो में जाकर फूलों को देखने के साथ-साथ तुम काफी मजे कर सकते हो, क्योंकि खास तुम्हारे लिए यहां कई तरह के कॉम्पिटीशन का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा दिल्ली रोज शो और क्रिसैंथेमम शो का भी आयोजन फरवरी में किया जाता है।

फूलवालों की सैर
दक्षिणी दिल्ली में स्थित महरौली में अक्तूबर महीने में फूलवालों की सैर फेस्टिवल मनाया जाता है। यह 16वीं सदी से चला आ रहा है। महरौली में 13वीं सदी के सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार साहब की दरगाह और उसके पास में ही पांडवकालीन योगमाया मंदिर है। इन दोनों जगहों पर देश-विदेश से लोग आकर फूलों की चादर चढ़ाते हैं और हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हैं।


विंटर सीजन के अन्य प्रमुख फूल
सांध्य मालती (पेटुनिया)
रजनीगंधा (ट्यूबेरोज)
ग्लैडिओली
कैलेन्डुला एन्टिरहिनम
एलिसम
डिमोरफोथेका
एसोलिझिया
लार्क्सपर
गजेनियां
गेरबेरा
गोडेतिया
लाइनेरिया
मेसमब्राइन्थेमम
ब्रासिका
मेतुसेरिया
वेरबेना
विओला
पैन्सी
कारनेशन
स्वीटपी

मुगल गार्डन की शान

ट्यूलिप
जैसे फलों में राजा आम होता है, वैसे ही फूलों में भी राजा होता है। ठंड के फूलों का राजा ट्यूलिप को कहा जाता है। ट्यूलिप काफी खूबसूरत और मनमोहक होता है। इसे देखकर ऐसा लगता है, मानो यह आर्टिफिशियल फूल है। भारत में कश्मीर में और विदेशों में कई जगहों पर व्यापक पैमाने पर इसकी खेती की जाती है। ट्यूलिप 109 प्रजाति के पाए जाते हैं। साउदर्न यूरोप, नॉर्थ अफ्रीका और ईरान से इस फूल की उत्पत्ति हुई थी। यह लाल, गुलाबी, पीला, नीला, बैगनी जैसे कई रंगों में पाया जाता है।

गेंदा (मैरीगोल्ड)
गेंदा के पेड़ काफी छोटे-छोटे होते हैं और इनमें छोटे और बड़े दोनों तरह के फूल उगते हैं। यह पीला, मैरून, नारंगी जैसे कई रंगों में पाया जाता है। इसका इस्तेमाल साज-सजावट में और धार्मिक स्थानों पर अधिक किया जाता है।

वॉटर लिली
वॉटर लिली ताजे पानी में खिलते हैं। दुनिया भर में करीब 70 तरीके के वॉटर लिली पाए जाते हैं। इन्हें मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है- हार्डी और ट्रॉपिकल। हार्डी केवल दिन के समय में ही खिलता है, लेकिन ट्रॉपिकल दिन या रात में कभी भी खिल सकता है, पर खिलता केवल एक ही बार है। यह नीला भी होता है।

खुशबूदार आर्किड
आर्किड के फूल कई तरह के होते हैं, जिनके खिलने की उम्र भी अलग-अलग होती है। कुछ एक माह तो कुछ तीन से चार माह तक खिले रह सकते हैं। इनकी खुशबू मनमोहक होती है। कुछ आर्किड्स की खुशबू चॉकलेट, नारियल की तरह होती है, तो कुछ फलों जैसी खुशबू देते हैं। मुगल गार्डन में ब्राजील के आर्किड हैं।

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