राष्ट्रपति को संविधान से छूट मिली है: गिलानी
न्यायालय की अवमानना के मामले में गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा कि पाकिस्तान का संविधान राष्ट्रपति को छूट देता...
न्यायालय की अवमानना के मामले में गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा कि पाकिस्तान का संविधान राष्ट्रपति को छूट देता है।
गिलानी को भ्रष्टाचार के मामले में राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश पूरा न करने पर न्यायालय की अवमानना का नोटिस भेजा गया था। गिलानी ने कहा कि उन्होंने जेल में छह साल बिताए हैं और कभी भी अदालत में पेश होने से इंकार नहीं किया है, जो बताता है कि उन्होंने हमेशा अदालत का सम्मान किया है।
उन्हें 16 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने कहा कि जुल्फिकार अली भुट्टो और नुसरत भुट्टो भी अदालत में पेश हुए थे। उन्होंने कहा कि मैं न्यायालय की अवमानना के विषय में सोच भी नहीं सकता और पूरी दुनिया में राष्ट्रपति पद पर आसीन लोगों को छूट मिलती है और पाकिस्तान का संविधान भी राष्ट्रपति को छूट देता है। इसलिए हम स्विस अधिकारियों को नहीं लिख सके।
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को 10 जनवरी, 2012 तक राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश (एनआरओ) पर दिए गए अपने फैसले के लागू न किए जाने पर सरकार के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी। एनआरओ राजनेताओं व अफसरों को भ्रष्टाचार के मामले में छूट देता है।
अदालत एनआरओ के तहत बंद कर दिए गए मामलों को दोबारा खोलना चाहती थी। उसने सरकार को स्विस अधिकारियों को एक पत्र भेजकर राष्ट्रपति के खिलाफ मामले दोबारा शुरू करने के लिए कहने का आदेश दिया था। अदालत ने इसके लिए सात दिन का समय दिया था।
जरदारी भ्रष्टाचार के मामले में अभियुक्त हैं। उन्हें 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने एनआरओ के तहत छूट दे दी थी। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो व उनके पति जरदारी की वापसी को आसान बनाने के लिए माफी दे दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने 2009 में एनआरओ को निरस्त कर दिया था।
नवाज शरीफ के बाद सर्वोच्च न्यायालय में पेश होने वाले गिलानी दूसरे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री हैं। तीन नवंबर, 1997 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सज्जात अली शाह ने नवाज शरीफ को अवमानना का नोटिस जारी किया था।
गिलानी के साथ गठबंधन सहयोगी पीएमएल-क्यू के अध्यक्ष चौधरी शुजात हुसैन, संघीय मंत्री चौधरी परवेज इलाही, एएनपी प्रमुख अस्फंदयार वली खान, एमक्यूएम के संसदीय नेता डॉ. फारुक सत्तार, सिंध के मुख्यमंत्री सईद कईम अली शाह, पंजाब के गवर्नर सरदार लतीफ खोसा, खैबर-पख्तूनख्वा के गवर्नर मसूद कोसर, मंत्रिमंडलीय सदस्य व पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने 1998 में जरदारी और मरहूम बेनजीर भुट्टो को अभियुक्त बनाया था। उन्हें सोसिएट जनरेल सर्विलेंस (एसजीएस) कम्पनी को पूर्व नौवहन निरीक्षण ठेका देने के मामले में अभियुक्त बनाया गया था। पाकिस्तानी सरकार से कम्पनी को मिलने वाली कुल राशि में से छह प्रतिशत कमीशन जरदारी व भुट्टो को दी जानी थी।
अगस्त, 2008 में स्विस न्यायिक अधिकारियों ने पाकिस्तानी सरकार के अनुरोध पर जरदारी के खिलाफ काले धन को वैध बनाने के मामले बंद कर दिए थे और स्विस खातों में रुकी हुई छह करोड़ डॉलर की राशि जारी कर दी थी।