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कभी मिनी दिल्ली कहलाता था बरेली

सुई से लेकर ट्रक और जीरा-हल्दी से लेकर दाल-चावल तक के लिये बरेली मंडी पर निर्भर रहने वाला कुमाऊं आज अपने पांवों का खड़ा हो चुका...

कभी मिनी दिल्ली कहलाता था बरेली
Thu, 12 Jan 2012 01:08 PM
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सुई से लेकर ट्रक और जीरा-हल्दी से लेकर दाल-चावल तक के लिये बरेली मंडी पर निर्भर रहने वाला कुमाऊं आज अपने पांवों का खड़ा हो चुका है। कुमाऊं के व्यापारी जहां सीधे बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और दिल्ली की मंडियों से माल मंगाते हैं, वहीं कुमाऊं का माल भी देश के प्रमुख नगरों और विदेशों में सीधे जा रहा है।

उत्तराखंड बनने से पहले तक बरेली को कारोबार के नजरिए से ‘मिनी दिल्ली’ कहा जाता था। छोटे से लेकर बड़ा तक हर कारोबार बरेली से ही होता था। खासकर शादी-पार्टियों की खरीदारी के लिये लोगों की पहली पसंद बरेली मंडी हुआ करती थी। इन्हीं पुराने और गहरे रिश्तों के चलते कुमाऊं के करीब 80 हजार लोग बरेली में ही रच-बस गये। लेकिन, नया राज्य बनने के बाद कारोबारी रिश्ते न के बराबर रह गए हैं।

प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल उत्तराखंड के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल गुप्ता और किराना व्यापार मंडी के मंडलीय महामंत्री डां. प्रमोद अग्रवाल गोल्डी बताते हैं नया राज्य बनने से पहले तक कुमाऊं का करीब 80 फीसदी कारोबार बरेली पर निर्भर था, जो आज 20 फीसदी से भी कम रह गया है। आज बरेली से सिर्फ लाल मलका की कुमाऊं में डिमांड है। जबकि, हल्द्वानी की गौला नदी से उत्तम क्वालिटी का रेता-बजरी, आरसीसी पत्थर, सोप स्टोर पाउडर, फल, सब्जी, लीसा आदि की बाहरी राज्यों में भारी डिमांड है। उत्तराखंड में चाय पर 5 फीसदी, जबकि यूपी में 12 फीसदी टैक्स है। इसलिये बरेली के कई कारोबारियों ने उत्तराखंड में कारोबार शुरू कर दिया है। यही वजह है कि अलग राज्य बनने के वक्त 162 करोड़ का वाणिज्य कर देने वाला उत्तराखंड में आज करीब 2800 करोड़ रुपये राजस्व दे रहा है। 

उधर, वाणिज्य कर विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर एचएस नबियाल ने बताया कि नया राज्य बनने के बाद प्रदेश के कारोबारी सीधे मुख्य एजेंसियों से माल मंगाते हैं, जिसमें उन्हें एक ही दफा टैक्स देना पड़ता है।

राज्य बनने से पहले बरेली से आने वाला माल
खाद्य तेल
गुड़
दालें
जीरा
धनिया
मिर्च
हल्दी आदि किराने का सामान
प्लास्टिक गुड्स
चाय
वाहन आदि।

इन शहरों से सीधे होता है कारोबार
खाद्य तेल गुजरात, छत्तीसगढ़
दालें मध्य प्रदेश
प्लास्टिक गुड्स  दिल्ली, मुंबई
चाय असम, बंगाल

इस वजह से है कुमाऊं की डिमांड
गौला नदी का उत्तम क्वालिटी का रेता-बजरी, आरसीसी पत्थर, सोप स्टोर पाउडर
पहाड़ी आलू, मौसमी फल ही नहीं टमाटर दिल्ली मंडी के साथ ही पाकिस्तान तक पहुंच रहा
इन दिनों रोज 50-60 ट्रक बंद गोभी एक्सपोर्ट हो रही है
सफल मटर के सबसे अधिक प्लांट उत्तराखंड में हैं, यहीं की मटर देशभर में भेजी जाती है
लीसे की बाहरी राज्यों में बहुत अधिक डिमांड

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