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पूरे साल बरसा धन

ट्रेड पंडित मानते हैं कि ऐसी कामयाबी 13 साल बाद बरसी है। देश में बेशक मंदी छाई रही हो, लोगों ने फिल्में देखना नहीं...

पूरे साल बरसा धन
Sat, 24 Dec 2011 12:51 PM
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ट्रेड पंडित मानते हैं कि ऐसी कामयाबी 13 साल बाद बरसी है। देश में बेशक मंदी छाई रही हो, लोगों ने फिल्में देखना नहीं छोड़ा। मजे की बात तो ये है कि इस साल कमाई के पिछले कई रिकार्ड भी टूटे। खासतौर से पहले दिन की कलेक्शन को लेकर। वर्ष 2011 में बॉलीवुड की पांचों उंगलियां घी में तर दिखाई दीं। बड़ी फिल्मों के साथ-साथ कई छोटे बजट की फिल्मों ने भी आश्चर्यचकित कर देने वाला र्टिन दिया। जाते साल में बॉलीवुड के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर दीपक दुआ की रिपोर्ट।

2011 में कामयाबी न सिर्फ ज्यादा फिल्मों को मिली बल्कि इस साल दो कामयाब फिल्मों के बीच लंबा फासला भी नजर नहीं आया। ऐसा भी कई बार हुआ कि एक फिल्म हिट होकर बाजार में मौजूद थी तो पीछे-पीछे दूसरी फिल्म ने आकर कामयाबी पानी शुरू कर दी। और तो और इस साल कामयाबी के द्वार साल के पहले शुक्रवार को ही खुल गए जबकि उसे अभी तक मनहूस माना जाता रहा है। 2011 के पहले हफ्ते में रिलीज हुई ‘नो वन किल्ड जेसिका’ को मीडिया की तारीफों के साथ-साथ बड़े शहरों की एलीट ऑडियंस का खासा प्यार भी मिला। मॉडल जेसिका लाल हत्याकांड पर बनी इस फिल्म की कामयाबी ने यह मिथ भी तोड़ा कि बॉक्स-ऑफिस पर सच्चे किस्से नहीं चलते। फिर इसके अगले हफ्ते ‘यमला पगला दीवाना’ की सफलता ने सबको चौंका दिया। फिल्म बिजनेस से आउट मान लिए गए धर्मेंद्र, सनी और बॉबी दिओल की वापसी का वाहन बनी इस फिल्म ने इन तीनों के ही करियर को जबर्दस्त उछाल दी। मसाला मनोरंजन के दम पर यह फिल्म खासी पसंद की गई और अब इसका सीक्वल बनने जा रहा है। असली धोबी पछाड़ तो दिया ‘धोबी घाट’ ने। आमिर खान की पत्नी किरण राव के निर्देशन में बनी ये फिल्म बेशक एक खास वर्ग को ही पसंद आयी, लेकिन जबर्दस्त प्रचार के चलती उपजी उत्सुकता ने इस फिल्म को बॉक्स-ऑफिस की नैया पार करा ही डाली।

फरवरी में कम बजट और कम बिकाऊ स्टारकास्ट वाली ‘तनु वैड्स मनु’ ने मौके का फायदा उठाते हुए दर्शकों को जम कर लुभाया और सुपरहिट का खिताब पा गई। उम्दा स्क्रिप्ट, शानदार एक्टिंग और लुभावने म्यूजिक के दम पर यह फिल्म अपनी लागत से कहीं ज्यादा कमा गई। फिल्म ट्रेड विश्लेषक विनोद मिरानी कहते हैं कि यह एक समझदारी भरा कदम था क्योंकि न तो हर कोई क्रिकेट देखता है और न ही क्रिकेट हर समय मौजूद रहता है, तो ऐसे में अगर कोई अच्छी फिल्म बाजार में हो तो उसे फायदा पहुंचता ही है।’ मार्च के पूरे महीने में एक भी ऐसी फिल्म नहीं आई जो क्रिकेट मैचों को टक्कर देकर सफलता की सीढ़िया चढ़ती। हां, ‘फालतू’ ने अक्लमंदी दिखाई। बहुत ही हल्की होने के बावजूद वर्ल्ड कप मैच खत्म होने से एक दिन पहले रिलीज होने का इसे काफी फायदा पहुंचा। ‘थैंक यू’ ने भी मल्टीस्टारर होने के चलते ही कमाई की। बड़ी फिल्मों की भीड़ में लारा दत्ता की होम-प्रोडक्शन ‘चलो दिल्ली’ ने भी लारा और विनय पाठक की कैमिस्ट्री के चलते अपने लिए रास्ता बना ही लिया।

इस साल कई ऐसी फिल्मों ने भी कामयाबी का अमृत पिया जिनके बारें में फिल्मी हलकों में यह माना जा रहा था कि ये आते ही बैठ जाएंगी। पहली मिसाल मई में आई विक्रम भट्ट की ‘हॉन्टेड’ की है। एकता कपूर की ‘रागिनी एमएमएस’ के साथ भी ऐसा ही हुआ, जिसने वादा तो किया था उत्तेजकता परोसने का लेकिन इसके अंदर से हॉरर का मसाला भी निकल आया। इस सरप्राइज के चलते यह फिल्म अपने छोटे-से बजट से काफी ज्यादा बटोर ले गई। ‘प्यार का पंचनामा’ अपने उम्दा कंटैंट के दम पर युवाओं को यह फिल्म खासी पसंद आई और अच्छा खा कमा गयी। बड़ी फिल्में बनाने वालों को मालूम है कि अगर अपने प्रोडक्ट को धमाकेदार पब्लिसिटी के साथ बाजार में उतारा जाए तो उसे जबर्दस्त ओपनिंग तो मिलती ही है। ‘रेडी’ ने यही मिसाल कायम की। नतीजा यह रहा कि इस फिल्म ने आते ही लाखों-करोड़ों की बातें शुरू कर दीं। अनुराग कश्यप के यहां से आई ‘शैतान’ काफी कॉम्प्लेक्स होने के बावजूद संजीदा दर्शकों की सराहना पाकर सेफ रही। ‘डबल धमाल’ काफी हल्की होने पर भी अपने ‘धमाल’ ब्रांड और हल्के-फुल्केपन के चलते हिट का दर्जा पा गई। प्रचार किसे कहते हैं, यह तो कोई आमिर खान से सीखे। ‘डेल्ही बेली’ आने से पहले इस फिल्म के निर्माता आमिर खान ने खूब शोर मचाया कि यह फिल्म सबके लिए नहीं बल्कि ‘ओनली फोर एडल्ट’ है। समीक्षकों ने भी इसके बारे में यह लिखा कि ‘अगर आपको कभी कुछ गंदा देख कर मजा आता है तो यह फिल्म आपके लिए है।’ और ‘मर्डर 2’ तो अपने म्यूजिक और ‘मर्डर ब्रांड’ के बूते पर खासी हिट हो गई। ‘सिंहम’ ने बताया कि अच्छे माल को अच्छी पब्लिसिटी के साथ लाकर कैसे कामयाबी पाई जाती है। और उस ‘जिंदगी मिलेगी ना दोबारा’ को ही देखिए जिसे सिर्फ बड़े शहरों की क्लास ऑडियंस की फिल्म कहा गया था पर इसने कमाना शुरू किया तो फिर रुकी ही नहीं।

सितंबर की शुरुआत में ‘बॉडीगार्ड’ को दमदार प्रचार और ईद के मौके पर लाने की प्लानिंग हिट रही। साल की सबसे ज्यादा कलैक्शन करने वाली फिल्म यही रही। यशराज की ‘मेरे ब्रदर की दुल्हन’ को अच्छे म्यूजिक, इमरान-कैटरीना के ग्लैमर और पब्लिसिटी का अच्छा सहारा मिला। तो उधर, जॉन अब्राहम की ‘फोर्स’ ने जॉन के प्रशंसकों और छोटे सैंटर्स में ठीक-ठाक सी कमाई कर ली। तिग्मांशु धूलिया की ‘साहब बीवी और गैंग्स्टर’ अलग मिजाज की होने के बावजूद पसंद की गई और अच्छा मुनाफा कमा गयी। शाहरुख खान ने ‘रा.वन’ की रिलीज के लिए दीवाली जैसा वह मौका चुना जब कमजोर फिल्में भी अपनी क्षमता से ज्यादा दर्शक खींच लेती हैं। स्पेशल इफेक्ट्स, शाहरुख, करीना, छम्मक छल्लो, जबर्दस्त पब्लिसिटी, 3-डी, दीवाली की छुट्टियों के दिन और सामने कोई प्रतिद्वंद्वी भी नहीं। ऐसे में रा.वन ने भी कलेक्शन के नए रिकॉर्ड बना डाले।

नवंबर में इम्तियाज अली की इमेज, रणबीर कपूर की जबर्दस्त एक्टिंग और ए़आऱ रहमान के म्यूजिक के दम पर ‘रॉकस्टार’ ने गाते हुए टिकट-खिड़की पर अपना हक हासिल कर ही लिया। चौंकाने वाला काम तो हुआ दिसंबर के शुरू में। ‘दि डर्टी पिक्चर’ ने अपनी स्क्रिप्ट, डायरेक्शन, एक्टिंग, संवादों, संगीत के बूते ऐसी ओपनिंग ली कि फिल्मी पंडित पोथे ही बांचते रह गए। साल के आखिर में आई शाहरुख खान व फरहान अख्तर की ‘डॉन 2’ के बारे में रिपोर्ट है कि इसे भी टनाटन ओपनिंग मिली है। संभावना है कि ये जबरदस्त वीकेंड हासिल करेगी। बॉक्स-ऑफिस पर 13 साल बाद कामयाबी का जो जश्न नजर आया है वह फिल्मी कारोबारियों के लिए काफी है। संजीवनी जहां से भी आए, जीवनदान तो वह देती ही है।

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