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जरा इधर भी

सरकारी नौकरी मिले और फिर मकान भी सरकारी मिल जाए, तब तो बल्ले-बल्ले समझिए।

जरा इधर भी
Mon, 19 Dec 2011 11:10 PM
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सरकारी नौकरी मिले और फिर मकान भी सरकारी मिल जाए, तब तो बल्ले-बल्ले समझिए। इसीलिए कई कर्मचारी इसका नॉमिनल किराया तो छोड़िए, बिजली-पानी के बिलों का भुगतान भी नहीं करते। अब हाईकोर्ट ने ऐसे लोगों के पेंशन से इसकी वसूली का सरकार को निर्देश दिया है। यह उचित ही है। सर्विस के दौरान जो गलती की, उसका खामियाजा तो भुगतना ही होगा! पर ऐसे में यह बात भी उचित लगती है कि इस तरह की व्यवस्था नेताओं पर भी लागू होनी चाहिए। कई पर पानी-बिजली -फोन के लाखों रुपये बकाया जो हैं।

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