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फ्लैगप्रदेश सरकार के 1177 कर्मियों ने 6943 गांवों में किया सर्वेमेनरुहेलखंड में बढ़े 7.66 लाख किसानबरेली। निज संवाददातारुहेलखंड में आबादी के साथ-साथ किसानों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई है।...


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Mon, 19 Dec 2011 01:40 AM
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फ्लैगप्रदेश सरकार के 1177 कर्मियों ने 6943 गांवों में किया सर्वेमेनरुहेलखंड में बढ़े 7.66 लाख किसानबरेली। निज संवाददातारुहेलखंड में आबादी के साथ-साथ किसानों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई है। चारों जिलों में 2001 में किसानों की संख्या करीब आठ लाख थी जो अब बढ़कर 15.66 लाख हो गई है। इनको सरकारी योजनाओं का लाभ और केसीसी मुहैया कराने की तैयारी की जा रही है। शासन के निर्देश पर बरेली, पीलीभीत, बदायूं और शाहजहांपुर के किसानों की संख्या का सर्वे कराया गया था। इस कार्य के लिए चारों जिलों के 6943 गांवों में कृषि विभाग के 258 , ग्राम्य विकास विभाग के 337, पंचायती राज विभाग के 287, गन्ना विभाग के 181 और अन्य महकमों के 114 कर्मियों को लगाया गया था। इस सर्वे में किसानों की संख्या दोगुनी होने का खुलासा हुआ है। -वर्ष 2001 में यह थी संख्या कृषि विभाग के तहत वर्ष 2001 में बरेली में 239035, बदायूं में 212114, शाहजहांपुर में 215141 और पीलीभीत में 221983 किसान थे। इस तरह मंडल में मात्र 795245 किसान ही थे।-7.66 लाख बढ़े किसान10 वर्षो में 766165 किसान बढ़े है। इसमें बरेली 212396 , बदायूं 127586 ,शाहजहांपुर 183061 और पीलीभीत में 153094 किसान बढ़ चुके है।-रुहेलखंड में किसानों की वर्तमान स्थितिजिला किसान संख्याबरेली 451431बदायूं 339700शाहजहांपुर 398202पीलीभीत 375077-क्या मिलेंगे फायदेकृषि विभाग की योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा। केसीसी का लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा। किसानों की संख्या को देखकर मंडल में योजनाओं का लक्ष्य मिलेगा। इसके साथ ही शासन स्तर पर नई योजनाओं को शुरू भी करने की तैयारी है।-कैसे बढ़े किसानरुहेलखंड की आबादी के साथ ही किसानों की संख्या भी बढ़ी है, तो वही बंजर भूमि को भी उपजाऊ बनाया गया है। नए किसानों को यह भूमि फसल के लिए वितरित करने से भी संख्या में इजाफा हुआ है।-मनरेगा की मुख्य भूमिकागांवों के छोटे-छोटे किसान रोजगार की तलाश में कृषि भूमि को बेचकर शहर की तरफ दौड़ रहे थे। लेकिन, केंद्र की मनरेगा योजना से किसानों को गांव में ही कुछ वर्षों से रोजगार मिल रहा है। इस कारण अब किसान गांव छोड़कर नहीं जा रहे है और फसल के साथ ही ग्राम पंचायतों में कार्य करते है।-मिलने लगा लागत मूल्यकिसान नेता शेरसिंह गंगवार ने बताया कि किसानों को अब फसलों का लागत मूल्य मिलने लगा है। इसके साथ ही सरकारी योजनाओं का लाभ भी कुछ हद तक मिलने लगा है। इस कारण किसान खुशहाल होने के साथ ही संख्या बढ़ी है।

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