सुधार के साथ नया बिल
सीबीआई को लोकपाल के अधीन रखने के मसले पर टीम अन्ना और सरकार में ठनना तय है।
सीबीआई को लोकपाल के अधीन रखने के मसले पर टीम अन्ना और सरकार में ठनना तय है। सोमवार को कैबिनेट के सामने विचार के लिए रखे जाने वाले ड्राफ्ट विधेयक के अनुसार, लोकपाल केवल भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों को सीबीआई के पास भेज सकेगा। उसके पास सीबीआई को निर्देशित करने या जांच की दिशा तय करने जैसे अधिकार नहीं होंगे। एक दिलचस्प प्रावधान यह भी है कि लोकपाल सदस्यों की नियुक्ति सीवीसी की संस्तुति के बाद ही होगी। टीम अन्ना सीवीसी को भी लोकपाल के अधीन लाने के पक्ष में है, जबकि उसका मानना है कि सीबीआई के बिना लोकपाल का कोई मतलब नहीं है।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की निगरानी में विधेयक को अंतिम रूप दे रहे वरिष्ठ मंत्रियों के समूह को उम्मीद है कि मंगलवार को विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया जाएगा। सर्वदलीय बैठक में मिले सुझावों को ज्यादा से ज्यादा समायोजित करने की कोशिश कर रही सरकार ने संसदीय समिति से उसे मिले विधेयक का पूरा खाका ही बदल दिया है। सूत्रों के अनुसार, संसद में अब विधेयक में संशोधन पेश करने के बजाय नया विधेयक लाने की तैयारी है।
एक वरिष्ठ मंत्री का कहना था कि दो दजर्न से अधिक संशोधन इसमें थे। इसलिए यह तय किया गया कि बजाय संशोधन पेश करने के विधेयक को ही नए सिरे से तैयार करना चाहिए। सरकार की कोशिश है कि सर्वदलीय बैठक में जो सुझाव आए हैं उन पर गौर करते हुए विधेयक तैयार हो, ताकि संसद में विधेयक पारित कराने में दिक्कत न हो। सरकार गैर-भाजपा दलों का समर्थन लेकर इसे पास कराना चाहती है।
विधेयक तैयार करने में शामिल एक मंत्री के मुताबिक सरकार को पता है कि विधेयक चाहे जितना अच्छा हो भाजपा और अन्य दल इसका विरोध करेंगे ही।