बीत गया मेरी जिंदगी का सबसे बुरा साल
क्रिकेट के लिहाज से 2010 खराब दौर था। और जब वह खत्म हुआ तो मुङो लगा चलो इसके साथ ही मेरा बुरा वक्त भी गुजर गया। मगर 2011 तो मेरी जिंदगी का सबसे बुरा साल...
क्रिकेट के लिहाज से 2010 खराब दौर था। और जब वह खत्म हुआ तो मुङो लगा चलो इसके साथ ही मेरा बुरा वक्त भी गुजर गया। मगर 2011 तो मेरी जिंदगी का सबसे बुरा साल रहा। मुझे पता चला कि मेरे फेफड़े में ट्यूमर है हालांकि उससे मेरी जिंदगी को खतरा नहीं था। यह सब किसी नरक से कम नहीं था। हाल ही में मैंने ट्यूमर का ऑपरेशन कराया है और फिलहाल आराम कर रहा हूं। मैंने अपनी सारी ऊर्जा खुद को दोबारा पूरी तरह ठीक और फिट होने में लगा दी है। मेरी पहले की ताकत लौट आए, इसके लिए मैं खूब योग कर रहा हूं। मैं हालांकि मानता हूं कि मानसिक और शारीरिक रूप से पहले जैसा होना आसान नहीं होगा। मगर मुझे ऐसा करना ही होगा। मेरे सामने असली चुनौती पहले की तरह 100 प्रतिशत फिट होने की है। मैं जानता हूं कि अगले पांच या छह साल क्रिकेट के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ होंगे और मैंने अपना पूरा ध्यान इसी तरफ लगा रखा है। मैं उम्मीद कर रहा हूं कि ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए मुझे टीम में चुना जाएगा। पिछले कुछ दिनों में मैंने महसूस किया कि मौत के एहसास के साथ जीना कितना मुश्किल होता है। तब समझ में आता है कि आप अपने परिवार और दोस्तों के लिए कितना महत्व रखते हैं। उन्हें सचमुच आपकी कितनी चिंता होती है। इस बीमारी के बाद मैं अपनी मां के और भी करीब हो गया। मैं कह सकता हूं कि अब मैं पहले से कहीं अधिक मजबूत बन चुका हूं।
जहां तक तड़क-भड़क वाली जीवनशैली और प्ले ब्वाय इमेज का सवाल है, तो यह सब मीडिया का बनाया हुआ है। मैं आज भी दिल से एक सिंपल लड़का हूं।
(रोशेल पिंटो से बातचीत पर आधारित)