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महिला केंद्रित फिल्मों को मिल रही नई पहचान

महिला केंद्रित फिल्मों को कभी समानांतर सिनेमा के बराबर नहीं रखा जाता था लेकिन अब ऐसी फिल्में भी व्यावसायिक सिनेमा जैसी सफलता हासिल कर रही...

महिला केंद्रित फिल्मों को मिल रही नई पहचान
Sat, 10 Dec 2011 04:38 PM
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महिला केंद्रित फिल्मों को कभी समानांतर सिनेमा के बराबर नहीं रखा जाता था लेकिन अब ऐसी फिल्में भी व्यावसायिक सिनेमा जैसी सफलता हासिल कर रही हैं। इसका प्रमाण हाल ही में प्रदर्शित हुई एकता कपूर की 'द डर्टी पिक्चर' है जिसकी पूरी कहानी अभिनेत्री विद्या बालन के किरदार के इर्द-गिर्द बुनी गई है।

बड़े पर्दे पर महिलाएं अक्सर असहाय मां, विनम्र पत्नी, समर्पित प्रेमिका और उपेक्षित बहन के किरदार में नजर आती रही हैं लेकिन बीते एक दशक के दौरान ये किरदार बदले हैं। संजय लीला भंसाली, श्याम बेनेगल, विशाल भारद्वाज जैसे फिल्मकारों ने महिला किरदारों की पुरानी छवि को तोड़ने की कोशिश की है। यही वजह है कि इन फिल्मकारों की नायिकाएं ज्यादा वास्तविक नजर आती हैं। इस तरह की फिल्में सफल भी हो रही हैं।

बीते दशक के दौरान प्रदर्शित हुईं 'द डर्टी पिक्चर', '7 खून माफ', 'नो वन किल्ड जेसिका', 'फैशन', 'डोर' जैसी फिल्में महिला-केंद्रित फिल्मों के उदाहरण पेश करती हैं।

कुछ दिन पहले ही प्रदर्शित हुई 'द डर्टी पिक्चर' अपने प्रदर्शन के पहले से ही चर्चाओं में थी। फिल्म में विद्या बालन अपनी छवि से अलग एक साहसी किरदार में नजर आती हैं। माना जा रहा है कि यह फिल्म दक्षिण भारतीय अभिनेत्री सिल्क स्मिता पर आधारित है।

इसी साल प्रदर्शित हुई '7 खून माफ' में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के अभिनय को काफी सराहना मिली। फिल्म में प्रियंका का किरदार थोड़ा नकारात्मक नजर आता है लेकिन साथ ही वह किसी महिला के दिल और आत्म पर अंतर्दृष्टि डालता है।

'नो वन किल्ड जेसिका' (2011) हत्या की वास्तविक घटना पर आधारित फिल्म है। यह 1999 के मॉडल जेसिका लाल हत्याकांड पर आधारित है। फिल्म में विद्या ने जेसिका की बहन सबरीना की भूमिका निभाई तो अभिनेत्री रानी मुखर्जी एक पत्रकार के रूप में नजर आईं। विद्या और रानी दोनों के ही अभिनय के लिए उन्हें काफी प्रशंसा मिली थी।

मधुर भंडारकर के निर्देशन में बनी 'फैशन' (2008) फैशन की दुनिया की वास्तविकताओं को उजागर करती है। फिल्म में प्रियंका व कंगना रानाउत ने मुख्य भूमिका निभाई है। इन दोनों ही अभिनेत्रियों को उनके बेहतरीन अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था।

साल 2006 में आई नागेश कुकनूर की 'डोर' भी दो महिलाओं की कहानी पेश करती है। आयशा टाकिया व गुल पनाग ने इसमें महत्वपूर्ण अभिनय किया है। संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी 'ब्लैक' (2005) रानी मुखर्जी के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है। फिल्म में उन्होंने बधिर व दृष्टिहीन लड़की का किरदार किया है। अमिताभ बच्चान ने भी इसमें बेहतरीन अभिनय किया है।

करीना कपूर अभिनीत 'चमेली' (2003), श्याम बेनेगल की करिश्मा कपूर अभिनीत 'जुबैदा' (2001), राजकुमार संतोषी के निर्देशन में बनी 'लज्जा' (2001) और मधुर भंडारकर की 'चांदनी बार' (2001) ऐसी ही कुछ फिल्में हैं।

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