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दर्द सहन करने की आदत कर रही हड्डियों को कमजोर

 नोएडा। कार्यालय संवाददाता। कई मायने में सहनशीलता सकारात्मक पहलू को दर्शाती है, लेकिन हड्डी से संबंधित रोगों के बारे में बात करें तो इसका नकारात्मक पहलू निकलकर सामने आया है। हड्डी और मांसपेशियों...

दर्द सहन करने की आदत कर रही हड्डियों को कमजोर
Fri, 09 Dec 2011 01:17 AM
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 नोएडा। कार्यालय संवाददाता। कई मायने में सहनशीलता सकारात्मक पहलू को दर्शाती है, लेकिन हड्डी से संबंधित रोगों के बारे में बात करें तो इसका नकारात्मक पहलू निकलकर सामने आया है। हड्डी और मांसपेशियों में होने वाले दर्द को सहने की आदत मर्ज बढ़ा देती है।

भारत में 50 प्रतिशत ऐसे मरीज हैं जिन्हें दर्द को सहने की आदत हो जाती है और जब वह डॉक्टर के पास पहुंचते हैं तो बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। इस बात की पुष्टि इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने आए देशभर के डॉक्टरों ने की। भारतीय हड्डी से संबंधित बीमारियों से होने वाले दर्द से निजात पाने के लिए इलाज कराने के बजाय दर्द को सहने पर ज्यादा विश्वास करते हैं। बीमारियों से होने वाले दर्द को सहने में पुरुषों की संख्या 50 है।

जबकि 70 महिलाएं बीमारी होने के बाद दर्द उस समय तक सहती हैं, जब तक दर्द असहनीय न हो जाए। विदेशों में अमेरिकी व यूरोपियन देशों में 5-10 मरीज ही ऐसे हैं, जो बीमारी काफी बढ़ जाने के बाद डॉक्टर से संपर्क करते हैं। ऑल इंडिया मेडिकल साइंसेज (आर्थोपेडिक) के पूर्व निदेशक डॉ. पीके दवे बताते हैं कि बीमारी से होने वाले दर्द को सहना और लापरवाही के कारण 50 प्रतिशत मरीजों का मर्ज काफी बढ़ जाता है। गांवों में यह स्थिति और भी गंभीर है। लिहाजा बीमारी के इलाज में समय लगने के साथ ही भारी राशि भी खर्च करनी पड़ती है। अगर शरीर में होने वाले दर्द का इलाज जल्द से जल्द किया जाए तो ऐसी बीमारियों को 40-50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।

मैंगलोर से आए हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. एम. अजीत कुमार बताते हैं कि काश भारतीयों में दर्द को सहने की क्षमता कम होती, तो सभी लोग समय से इलाज कराते। इससे हड्डी से संबंधित बीमारियों का इलाज आसानी से हो सकता है। देश में आर्थराइटिस व जीवनशैली में बदलाव से होने वाली बीमारियों को कम किया जा सकता है। रांची के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. पवन कुमार बताते हैं कि झारखंड व बिहार के ग्रामीणों में 70 प्रतिशत तक ऐसे मरीज हैं, जो ऐसे समय में इलाज कराने आते हैं जिनकी बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है। शहरों से आने वाले मरीजों की स्थिति कुछ हद तक ठीक है।

किन बीमारियों में दर्द करते हैं सहन.आर्थराइटिस.स्पोंडेलाइटिस.

चोट लगने के बाद होने वाले दर्द.किसी चोट के बाद नियमित रूप से रहने वाला दर्द.

पोश्चर में होने वाले बदलाव से होने वाला दर्द

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