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वेदव्यास का बहाना, राजनीति पर निशाना

वाराणसी। कार्यालय संवाददाता प्रदेश के संस्कृति मंत्री सुभाष पांडेय ने वर्तमान राजनीतिक माहौल पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि राजनीति में लगातार गिरावट आ रही है। उसका कारण है कि राजनेता गीता के संदेशों...

वेदव्यास का बहाना, राजनीति पर निशाना
Wed, 07 Dec 2011 01:06 AM
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वाराणसी। कार्यालय संवाददाता प्रदेश के संस्कृति मंत्री सुभाष पांडेय ने वर्तमान राजनीतिक माहौल पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि राजनीति में लगातार गिरावट आ रही है। उसका कारण है कि राजनेता गीता के संदेशों का अनुकरण नहीं कर रहे हैं। अगर लोग महाभारत और गीता के संदेशों के ध्यान में रखते तो राजनीति में इतनी गिरावट नहीं आती। वह अस्सी घाट पर पांचवें अखिल भारतीय व्यास महोत्सव का मंगलवार को उद्घाटन करने आए थे।

उन्होंने कहा कि राजनीति से ‘नीति’ गायब हो गई। जबकि सारे ग्रन्थों में नीति भरी पड़ी है। सबसे पहले राजनेताओं को सुधरना होगा। अधिकारी और अन्य लोग अपने आप सुधर जायेंगे। वेदव्यास को याद करें। नैतिक पतन को रोंके। मौके पर उन्होंने व्यास मंदिर को पर्यटन के मानचित्र पर लाने, परिसर के विकास और सौन्दर्यीकरण के लिए भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र (मुंगरा बादशाहपुर) की ओर से दो लाख रुपये का चेक पयर्टन विभाग को सौंपा।प्रो.कमलेशदत्त त्रिपाठी ने व्यास महोत्सव के महत्व को बताया।

उन्होंने कहा कि महर्षि वेदव्यास सिर्फ भारत के ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण एशियाई संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। विशिष्ट अतिथि पीठाधीश्वर शीतालनंद महाराज ने कहा कि आज विश्व में जो कुछ नाटक, साहित्य और काव्य आदि की रचनाएं हो रही हैं, सब महर्षि वेदव्यास की जूठन हैं। पहले उर्वशी व उनके साथियों ने गणेश वंदना पर नृत्य प्रस्तुत कर स्वागत किया। इसके बाद नवसाधना कला केंद्र की छात्राओं ने गुरुवंदना की। इसी संस्थान की छात्राओं की भरतनाट्यम और कथक की प्रस्तुति भी प्रभावशाली रही मुमताज हुसैन के शहनाई वादन का लोगों ने आनंद उठाया।

उन्होंने शास्त्रीय रागों के अलावा मिर्जापुर की कजरी और गंगा बधइया की धुन सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। आलोक पांडेय के निर्देशन में प्रस्तुत नृत्य-नाटिका ‘गीत गोविंदम्’ में राधा-कृष्ण के प्रेम-प्रसंग की भावपूर्ण अभिव्यक्ति देखने को मिली। अंतिम प्रस्तुति रही भजन गायक सुशील बावेजा की। उन्होंने भजनों ‘तीर्थो में विख्यात काशी विश्वनाथ..’ और ‘श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारे’ आदि से देर तक दर्शकों को बांधे रखा।

अतिथियों का स्वागत उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के निदेशक सत्येंद्र सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डा.रेखा वाजपेयी ने किया। मौके प्रो.युगुल किशोर मिश्र, प्रो.मंजुला चतुर्वेदी, प्रो.मनुलता शर्मा, चन्द्रकला शाक्य क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र प्रमुख लवकुश द्विवेदी आदि मौजूद थे। संचालन डा.चन्द्रकांता राय ने किया।

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