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मसल्स मजबूत चाहो तो डाइट में प्रोटीन लो

मसल्स हमारे शरीर की तमाम गतिविधियों के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए मसल्स यानी मांसपेशियों का फिट रहना बहुत जरूरी है और इसके लिए जरूरी है प्रोटीन युक्त आहार। मृदुला भारद्वाज का...

मसल्स मजबूत चाहो तो डाइट में प्रोटीन लो
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 16 Nov 2011 11:06 AM
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मसल्स हमारे शरीर की तमाम गतिविधियों के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए मसल्स यानी मांसपेशियों का फिट रहना बहुत जरूरी है और इसके लिए जरूरी है प्रोटीन युक्त आहार। मृदुला भारद्वाज का आलेख

प्रोटीन हमारे शरीर की मांसपेशियों के निर्माण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। ये न सिर्फ मांसपेशियों का निर्माण करता है, बल्कि हमारे शरीर की टूट-फूट की मरम्मत भी करता है। मसल्स के साथ-साथ त्वचा, बाल आदि भी प्रोटीन के ही बने होते हैं। मांसपेशियों और ऊत्तकों की मरम्मत के लिए प्रोटीन अति आवश्यक होता है। इसलिए मसल्स बिल्डिंग के लिए जरूरी है कि आहार में प्रोटीन युक्त भोजन को उचित मात्र में शामिल किया जाए। बॉडी बिल्डिंग के लिए आमतौर पर लोग व्यायाम या शारीरिक गतिविधियों का चुनाव करते हैं। लेकिन इस बॉडी बिल्डिंग के कारण अधिकतर लोग अपने खान-पान पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाते। इस कारण उनके मसल्स बनने की बजाय शरीर का और नुकसान हो जाता है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (हैदराबाद) के अनुसार, अलग-अलग देश के लोगों का वातावरण, खान-पान, बॉडी स्ट्रक्चर अलग-अलग होता है। इसलिए उनकी क्षमताएं भी एक-दूसरे से भिन्न होती हैं। अगर आप बॉडी फिटनेस के लिए वर्कआउट करते हैं तो आपकी डाइट कुछ खास होनी चाहिए।

ऐसी हो डाइट

अगर आप वर्कआउट के साथ अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं तो आपको हाई प्रोटीन डाइट लेनी चाहिए।
अगर आप अपनी बॉडी को मेनटेन रखना चाहते हैं यानी न अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं और न ही घटाना, तो आपको बैलेंस डाइट लेनी चाहिए। इसके लिए आपकी डाइट में 50 से 60 प्रतिशत काबरेहाइड्रेट, 10 से 15 प्रतिशत प्रोटीन और 25 से 30 प्रतिशत वसा होना चाहिए।
वजन कम करना हैं, तो कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट लेनी चाहिए।

संतुलित आहार
मांसपेशियों के सही ढंग से काम करते रहने के लिए प्रोटीन की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। लेकिन प्रोटीन के साथ-साथ मिनरल, विटामिन्स और कार्बोहाइड्रेट्स का भी अपना महत्व होता है। वजन कम करना या वजन घटाना हो, सभी के लिए डाइट अलग-अलग होती है। फिटनेस ट्रेनर राजकिशोर कहते हैं, फिट रहने के लिए न्यूट्रिशंस से भरपूर डाइट लें। वर्कआउट करने वाले लोगों को खासतौर पर प्रोटीन काम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट युक्त डाइट लेनी चाहिए। वर्कआउट करने और मसल्स बनाने के लिए शरीर को संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है। लेकिन खासतौर पर बॉडी बिल्डिंग और मसल्स बनाने के लिए प्रोटीन की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। इसके लिए प्रोटीन शेक या सप्लीमेंट्स का सहारा न लें क्योंकि इसके नुकसान अधिक हैं।

प्रोटीन के प्राकृतिक स्त्रोत

हरी सब्जियां
पालक और अन्य हरी सब्जियां मसल्स के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं। सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट्स भारी मात्र में पाए जाते हैं, इसलिए मसल्स के लिए सब्जियां बहुत जरूरी हैं। भारी वर्कआउट करने के बाद मसल्स को आराम की जरूरत होती है। ये सब्जियां मसल्स को रिलेक्स करने में भी मदद करती हैं।

साबुत अनाज
यदि उचित मात्र में कार्बोहाइड्रेट्स न मिले, तो ऊर्जा के लिए मांसपेशियों का टूटना शुरू हो जाता है। इसलिए हमारे शरीर को कार्बोहाइड्रेट्स की आवश्यकता होती है, जो सभी तरह के अनाज जैसे चावल, गेंहू, बाजरा, दलिया आदि से मिलता है। अगर आपके पास ऊर्जा अधिक होगी तो ही आप ज्यादा व्यायाम कर पाएंगे।

फल
फल हमारे शरीर के लिए बेहद आवश्यक होते हैं। संतरा और सेब मांसपेशियों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण फल हैं। संतरे में विटामिन बी और सेब में पेक्टिन पाया जाता है जो मांसपेशियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।  

सूखे मेवे
सूखे मेवों मे प्रोटीन अधिक मात्र में होता है। हालांकि इनमें फैट भी अच्छी मात्र में होता है, लेकिन ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होता। सप्ताह में लगभग 15-20 बादाम, काजू, अखरोट आदि का सेवन करना काफी है।

मांस
मांस, चिकन और टर्की लीन मीट प्रोटीन के सबसे अच्छे स्रोत हैं। इनमें प्रोटीन के साथ-साथ अमीनो एसिड भी प्रचुर मात्र में उपलब्ध होता है जो हमारे शरीर के मसल्स को बनाने में मदद करते हैं।

पांच सालों में जिम जाने वालों की तादाद दोगुनी हुई

जिम की मांग इतनी बढ़ गई है कि बड़ी से लेकर छोटी कालोनियों, मॉल्स से लेकर पार्क तक और अब तो तमाम बड़े दफ्तरों में भी जिम उपलब्ध है।
मसल्स बनाने की चाह में जिम पहुंचने वाले युवाओं में 18 से 25 वर्ष के युवाओं की संख्या अधिक है। कुछ ही समय बाद वे एक्सरसाइज को गंभीरता से लेने लगते हैं।
40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग जरूरत के हिसाब से जुड़ते हैं क्योंकि थायराइड, स्लिप डिस्क, ज्वाइंट पेन, फ्रैक्चर आदि समस्याओं में जिम की एक्सरसाइज काफी लाभकारी साबित होती है।
टीन एज ग्रुप के बच्चे भी इसका लाभ उठाने के लिए आते हैं। बच्चों में चुस्ती-फुर्ती बढ़ाने और मोटे बच्चों का वजन कम करने के लिए अभिभावक बच्चों को जिम ला रहे हैं जिन्हें फिजिशियन, डायटिशियन और ट्रेनर बड़ी सावधानी से एरोबिक्स आदि तरीके से एक्सरसाइज करवाते हैं। इस उम्र के बच्चों को वेट लिफ्टिंग की इजाजत बिल्कुल भी नहीं दी जाती है।
जिम जाने वाले किसी भी व्यक्ति को एडिशनल डाइट के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए बल्कि उन्हें डायटिशियन के निर्देश में नेचुरल डाइट पर ही पूरा ध्यान देना चाहिए। डाइट में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर फ्रूट्स, मिनिरल्स, विटामिन आदि को प्रमुखता से शामिल करना चाहिए।
मनोज चौधरी
द्रोणाचार्य हेल्थ एंड  फिटनेस सेंटर

पानी भी है जरूरी
पानी हमारे जोड़ों, मांसपेशियों आदि में नमी बनाए रखता है। इसकी कमी से जोड़ों व मांसपेशियों में जकड़न, दर्द आदि हो सकता है जो वर्कआउट के दौरान बाधा बन सकता है। इसके अलावा पानी शरीर से रासायनिक विषैले पदार्थों को निकालने में भी मदद करता है। पर्याप्त मात्र में पानी का सेवन करने से त्वचा भी कोमल बनी रहती है।

आराम और मनोरंजन
काम और वर्क आउट के साथ अपने शरीर और मन को आराम देने का टाइम निकालें। स्वस्थ जीवन के लिए तन और मन दोनों का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। अपने ऑफिस की थकान और भाग-दौड़ के काम से कुछ देर अवश्य आराम करें। संगीत या कोई मनपसंद हॉबी अपनाएं।

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