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मर्जी है आपकी, आखिर कान हैं आपके

अपने आसपास की मार्केट या गार्डेन में आपने ऐसे युवाओं को तो जरूर देखा होगा, जो लगातार कानों में ईयरफोन लगाये रहते हैं। ऐसा लगता है कि वे किसी दूसरी दुनिया में हैं। चाहे मोबाइल फोन के इस्तेमाल की बात...

मर्जी है आपकी, आखिर कान हैं आपके
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 09 Nov 2011 11:41 AM
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अपने आसपास की मार्केट या गार्डेन में आपने ऐसे युवाओं को तो जरूर देखा होगा, जो लगातार कानों में ईयरफोन लगाये रहते हैं। ऐसा लगता है कि वे किसी दूसरी दुनिया में हैं। चाहे मोबाइल फोन के इस्तेमाल की बात हो या आई पॉड पर गाने सुनने की, ऐसे उपकरण आज युवाओं की जरूरत बन गये हैं। इसके नुकसान के बारे में बता रही हैं जया शुक्ला

अगर आपके पास मोबाइल फोन या आई पॉड है, तो आप बस यात्रा के दौरान, रेल यात्रा के दौरान या जॉगिंग के समय बोर होने से बच सकते हैं। खाली समय में भी रेडियो, एफएम के स्टेशन बदलकर आप अपनी पसंद के गाने सुन सकते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ईयरफोन्स की कुछ पल की सुविधा और आनंद आपके कानों के लिए कितना नुकसानदायक है! इतना ही नहीं, ईयरफोन के बढ़ते प्रयोग के कारण आज कितनी ही दुर्घटनाएं होने लगी हैं। लोग ड्राइव करते हुए, सड़क पार करते हुए, बाइक चलाते हुए या रोजमर्रा के काम करते हुए भी ईयरफोन्स लगाये रखते हैं और दुर्घटनाएं होती रहती हैं।

हम इस बात से अनजान हैं कि युवाओं का यह शौक कुछ ही सालों में गंभीर परेशानी के रूप में सामने आ सकता है। ईयरफोन्स के अतिरिक्त प्रयोग से कानों में सिर्फ छोटी-मोटी समस्याएं ही नहीं होतीं, बल्कि इससे बहरापन तक हो सकता है। ईयरफोन्स, हेडफोन्स के बढ़ते प्रयोग का एक बड़ा कारण कॉल सेंटर जैसी नौकरियां भी हैं, जहां घंटों हेडफोन्स का प्रयोग आपकी मजबूरी बन जाता है। आप चाह कर भी अपने कानों को आराम नहीं दे सकते। अपने शौक, सुविधा, मनोरंजन या जरूरत के लिए आज हम ईयरफोन्स पर निर्भर होते जा रहे हैं।

जा सकती है सुनने की क्षमता
नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ. एस. पी. जैन के अनुसार ईयरफोन्स के लगातार प्रयोग से सुनने की क्षमता 40 से 50 डेसीबेल तक कम हो जाती है। कान का पर्दा वाइब्रेट होने लगता है। दूर की आवाज सुनने में परेशानी होने लगती है। यहां तक कि इससे बहरापन भी हो सकता है। डॉ. जैन का मानना है कि आज लगभग पचास प्रतिशत युवाओं में कान की समस्या का कारण है ईयरफोन्स का अत्यधिक प्रयोग। ईयरफोन्स के अत्यधिक प्रयोग से कान में दर्द, सिर दर्द या नींद न आने जैसी सामान्य समस्याएं हो सकती हैं और लंबे समय तक इनके प्रयोग से वर्टिगो, बहरापन और लैबिरिंथिस जैसी बीमारियां भी हो अपनी गिरफ्त में ले लें तो कोई आश्चर्य नहीं।

यूं दिखते हैं लक्षण

अक्‍सर सिरदर्द रहना या सिर भारी होना।
दूर की आवाज का कम सुनाई देना या प्राकृतिक आवाजों को न सुन पाना।
कान से पस जैसे तरल पदार्थ का स्नव।
ग्रुप डिस्कशन या ग्रुप में लोगों को सुन पाने में असमर्थ होना।
कान का बंद हो जाना या कान में घंटी जैसी आवाजें सुनाई देना।
कानों में लगातार दर्द रहना और व्यवहार में झुंझलाहट होना।

ऐसे करें बचाव
ईयरफोन का इस्तेमाल कम से कम करने की आदत डालें। अगर आपको घंटों ईयरफोन लगाकर काम करना है, तो हर एक घंटे पर कम से कम 5 मिनट का ब्रेक लें।
अच्छी क्वालिटी के ही हेडफोन्स या ईयरफोन्स का प्रयोग करें और ईयरबड की बजाय ईयरफोन्स का प्रयोग करें क्योंकि यह बाहरी कान में लगे होते हैं।
बहुत से लोग ईयरफोन्स लगाये-लगाये सो जाते हैं। ऐसे लोगों को कम आवाज में ही गाने सुनने चाहिए।
तेज आवाज में गाने सुनना है तो स्पीकर पर सुनें क्योंकि यह सीधा हमारे कान के पर्दे को प्रभावित नहीं करता। हेलमेट के साथ ईयरफोन्स का प्रयोग बिलकुल ना करें। इससे कान की समस्याएं होने के साथ-साथ दुर्घटना की आशंका भी बढ़ जाती है।

कानों का यूं रखें खयाल
एमपी थ्री प्लेयर, आई पॉड, मोबाईल फोन जैसे उपकरण हमारे कानों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। ईयरफोन के अत्यधिक प्रयोग से 40 से 50 वर्ष में ही सुनने की क्षमता कम होने लगती है और दिन भर में 5 घंटों तक लगातार तेज आवाज में गाने सुनने से हृदय की समस्याएं भी हो सकती हैं। वे लोग जिन्हें 8 से 10 घंटे फोन पर बात करनी होती हैं, उनमें कान की समस्याओं का अधिक जोखिम रहता है। ऐसे में अपनी आदतों में थोडा़ बदलाव लाकर और नियमित जांच कराकर आप ऐसी समस्याओं से बच सकते हैं। कान की समस्याएं आज सिर्फ युवाओं में ही नहीं, बल्कि अधिक उम्र के लोगों में भी हो रही हैं। लगभग 50 वर्ष के बाद हमारे कान की नसें कमजोर हो जाती हैं। अगर आपकी उम्र अधिक है और कानों में दिक्कत महसूस हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

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