रेशा आर्टिजन बुनें भविष्य का ताना-बाना
रेशा आर्टिजन यानी रेशा कारीगर का काम तैयार रेशे से विभिन्न आइटम्स बनाना है। एक समय था जब सनई, पटसन से महिलाएं टोकरी, थैला और बच्चों के लिए खिलौने आदि बनाया करती...
रेशा आर्टिजन यानी रेशा कारीगर का काम तैयार रेशे से विभिन्न आइटम्स बनाना है। एक समय था जब सनई, पटसन से ग्रामीण महिलाएं घर के उपयोग के लिए छींका, टोकरी, थैला और बच्चों के लिए खिलौने आदि बनाया करती थीं। लेकिन आज रेशे से न सिर्फ टोकरी, थैला यानी बैग, चटाई, मेजपोश, थालपोश, सजावट का सामान, पैरदान, लेडीज पर्स, कालीन, कोस्टर, शोपीस, रस्सी, सुतली और खिलौने आदि बनते हैं, बल्कि इनकी डिमांड शहरों में विभिन्न सजावटी व जरूरत के सामान के लिए काफी बढ़ रही है। दरअसल यह काम हस्तशिल्प कला के अंतर्गत आता है। अत: रेशे के जितने भी आइटम होते हैं, वे सभी हाथ से ही तैयार किए जाते हैं। लेकिन आप इनमें से कोई एक या एक से अधिक आइटम बना कर अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, रेशे से बनी चीजों की मांग अब भारतीय गांवों में कम, शहरों और विदेशों में अधिक होने लगी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेशे से बने सामान की डिमांड हर साल बढ़ती जा रही है, जबकि कारीगरों और इसका प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों की कमी है। रेशे से उपयोगी सामान बनाने का काम हर खेती वाली जगह पर किया जा सकता है, मगर सूखाग्रस्त इलाकों के लोगों के लिए यह एक अहम और रोजी-रोटी का अच्छा साधन बन सकता है। अगर रिपोर्ट की मानें तो हर इलाके में इस काम में करियर के अच्छे चांस हैं। वैसे तो यह काम आप रेशा आर्टिजन की ट्रेनिंग लिए हुए कर्मचारियों या इस इंडस्ट्री के अनुभवी कारीगरों और जानकारों से भी करा सकते हैं, लेकिन अगर खुद ट्रेनिंग लेकर शुरू करें तो ज्यादा बेहतर रहेगा।
जगह का चुनाव
जैसा कि हम बता चुके हैं कि रेशा आर्टिजन का सारा काम कुछ उपकरणों की सहायता से हाथ द्वारा किया जाता है, इसलिए इस काम को करने के लिए एक छोटा-सा कमरा भी पर्याप्त है। इसके साथ ही इस काम को आप कहीं भी यानी घर पर ही कर सकते हैं। बस आपको रेशा मिलने की सुविधा को देखते हुए काम शुरू करना होगा। अगर आप खुद से रेशा निकाल कर यह काम शुरू करना चाहते हैं तो आपको रेशा निकालने के लिए कच्चे माल की प्राप्ति को ध्यान में रखते हुए काम शुरू करना चाहिए, क्योंकि रेशा निकालने के लिए कच्चा माल गांवों में आसानी से मिल सकता है। खुद से रेशा निकाल कर काम करने के लिए आपको करीब बीस वर्ग फुट जगह की जरूरत पड़ेगी।
जरूरी उपकरण व मशीनें
रेशा आर्टिजन का काम करने के लिए आपको किरौंची, कैंची और एक अनेक सुराख वाली काठ की मोटी पट्टी की जरूरत पड़ेगी। अगर आप खुद से रेशा निकाल कर यह काम करते हैं तो इसके लिए आपको रासपोडर मशीन की आवश्यकता पड़ेगी।
कहां मिलेंगे उपकरण
अगर आप तैयार रेशे से विभिन्न आइटम्स बनाते हैं तो सभी उपकरण आपको रेशा मिलने की जगह पर मिल जाएंगे। अगर ये उपकरण कहीं न मिलें तो आप गांव में बढ़ई से भी काठ की किरौंची और काठ की मोटी पट्टी बनवा सकते हैं। अगर आप खुद से रेशा निकाल कर विभिन्न आइटम्स बनाना चाहते हैं तो रेशा उपलब्ध कराने वाली फसलों को कूट कर भी रेशा निकाल सकते हैं और अगर मशीन लेना चाहते हैं तो यह मशीन आप केरल, भोपाल या मुंबई से मंगा सकते हैं।
लागत
इस काम को करने के लिए आपको अधिक खर्च की जरूरत नहीं पड़ेगी। बस तैयार रेशा खरीदने और औजार के लिए कुछ सौ रुपए खर्च करने की जरूरत पड़ेगी। अगर आप जगह भी किराये पर लेते हैं तो उसका खर्च और जोड़ लें। मोटे तौर पर बात करें तो यह काम एक-दो हजार रुपए में भी शुरू किया जा सकता है। अगर आप रेशा निकालने की मशीन लगाना चाहते हैं तो आपको एक-डेढ़ लाख रुपए खर्च करने पड़ेंगे। बड़े स्तर पर काम शुरू करने के लिए आप और अधिक पैसा भी खर्च कर सकते हैं।
कच्चे माल की प्राप्ति
जैसा कि हमने बताया कि माल बनाने के लिए रेशा जुटाने के लिए आपको रेशे के कुछ खास बाजारों तक जाना पड़ेगा। दिल्ली में रेशे की कमी है। यहां रेशे का कोई बाजार भी नहीं है। हां, भोपाल, मध्य प्रदेश, केरल और उत्तर व दक्षिण भारत में कुछ स्थानों पर इसके बाजार हैं। अगर आप खुद से रेशा निकाल कर काम करेंगे तो आपको रेशा निकालने के लिए कच्चा माल जुटाना होगा, जिसके लिए आपको गांवों में ऐसे किसानों से संपर्क करना पड़ेगा, जो केला, सनई, पटसन, जूट और कुछ रेशे वाली फसलें उगाते हैं।
बिक्री
आपको रेशे से उपयोगी सामान बनाने के लिए कच्च माल भले ही आसानी से न मिले, लेकिन तैयार माल आप भारत के हर शहर और कस्बे में सेल कर सकते हैं। फर्क इतना है कि रेशे से बना हुआ सामान आप जितने बड़े बाजार या पैसे वाले शहरों में करेंगे, उतनी ज्यादा और अच्छे दामों में बिक्री होगी।
लोन
चाहे आप केवल रेशा आर्टिजन का काम शुरू करें या फिर रेशा उद्योग स्थापित करके यह काम करें, आप किसी भी नजदीकी बैंक में लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। आप अपने स्तर पर यह लोन लेना चाहते हैं तो आपको बैंक द्वारा मांगे गए कागजात पूरे करते हुए उसकी कुछ शर्तो पर अमल करना होगा।
इसके अलावा अगर आपने खादी ग्रामोद्योग से प्रशिक्षण प्राप्त किया है तो आपको प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत खादी से प्राप्त प्रशिक्षण सर्टीफिकेट पर भी लोन मिल सकता है, जिसके लिए प्रशिक्षण पूरा होने के बाद आप अप्लाई कर सकते हैं। इस योजना के तहत एससी/ एसटी/ महिलाओं/ शारीरिक विकलांग/ मायनॉरिटीज को ग्रामीण क्षेत्र के लिए 35 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र के लिए 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी, जबकि अन्य को ग्रामीण क्षेत्र में 25 प्रतिशत व शहरी क्षेत्र में 15 प्रतिशत की छूट मिलेगी। इस योजना के अंतर्गत अधिकतम लोन की सीमा पच्चीस लाख रुपए है।
आमदनी
वैसे तो रेशा आर्टिजन के काम से होने वाली आमदनी आपकी उत्पादकता और तैयार माल की बिक्री पर निर्भर करती है, लेकिन फिर भी इस काम से आप प्रति दिन सौ से दो सौ रुपए तक कमा सकते हैं, जब आप घर बैठे सेल्समैन को या शोरूम पर माल की सप्लाई करते हैं। अगर आप अपने घर में अन्य सदस्यों के साथ मिल कर काम करते हैं तो कमाई और अधिक हो सकती है। इसके अलावा अगर आप खुद से रेशा निकाल कर काम करते हैं तो मशीन द्वारा रेशा निकाल कर काम करने पर एक दिन में ढाई से तीन हजार रुपए तक का रेशा निकाल सकते हैं। अगर हाथ से रेशा निकालते हैं तो भी एक दिन में चार-पांच सौ रुपए का रेशा निकाल सकते हैं। ऐसा करने से आप कोई आइटम आधी से भी कम लागत में बना सकते हैं, तब आपकी आमदनी तकरीबन दोगुनी हो जाएगी।
फैक्ट फाइल
प्रमुख संस्थान
आंचलिक बहु-उद्देशीय प्रशिक्षण केंद्र, खादी और ग्रामोद्योग आयोग, गांधी दर्शन, राजघाट, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.kvic.org.in
अर्दी गुड्स एंड सर्विसेज प्रा़ लि़
एफ-322 ए, लाडो सराय, नई दिल्ली
वेबसाइट- www.earthygoods.co.in
भारतीय शिल्प संस्थान
जे-8, झालान इंडस्ट्रियल एरिया, जयपुर
वेबसाइट- www.iicd.ac.in
डायरेक्टर ऑफ हैंडमेड पेपर एंड फाइबर इंडस्ट्री, खादी और ग्रामोद्योग इंडस्ट्रीज आयोग, 3 इरला रोड, विले पार्ले वैस्ट
वेबसाइट-www.handmadepaper-kvic.com
प्रशिक्षण
रेशा आर्टिजन या रेशा उद्योग का प्रशिक्षण लेने के लिए आप सरकारी या प्राइवेट किसी भी प्रशिक्षण संस्थान में प्रवेश ले सकते हैं। खादी ग्रामोद्योग के केंद्रों से प्रशिक्षण लेने के लिए आप वहां के नियमों और शर्तो का पालन करते हुए प्रवेश ले सकते हैं।
प्रशिक्षण अवधि
रेशा आर्टिजन के प्रशिक्षण की अवधि सभी संस्थानों में अलग-अलग है। इसकी प्रशिक्षण अवधि इस बात पर भी निर्भर करती है कि संस्थान आपको क्या-क्या सिखाता है। आमतौर पर इसकी प्रशिक्षण अवधि पंद्रह दिन से एक साल तक की है। खादी के प्रशिक्षण केंद्रों में 15 दिन से लेकर तीन महीने तक का प्रशिक्षण दिया जाता है।
योग्यता
दरअसल इस काम के बढ़ाने की कोई सीमा नहीं है, इसलिए आप जितने अधिक पढ़े-लिखे होंगे, स्वरोजगार में उतनी ही अधिक सफलता हासिल करेंगे। लेकिन अगर आप केवल हिंदी पढ़ना-लिखना जानते हैं तो भी आप इस काम में महारत हासिल कर सकते हैं। कुछ संस्थान इसके लिए दसवीं पास अभ्यर्थियों को प्रवेश देते हैं, लेकिन खादी ग्रामोद्योग के प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए स्कूली शिक्षा जरूरी नहीं है।
शुल्क
रेशा आर्टिजन का प्रशिक्षण शुल्क भी सभी संस्थानों में अलग-अलग निर्धारित है। प्राइवेट प्रशिक्षण केंद्रों में इस काम को सिखाने के लिए एक हजार से पांच हजार रुपए तक लिए जाते हैं।
अगर प्रशिक्षण में रेशा निकालने का भी हुनर सिखाया जाता है तो और अधिक शुल्क निर्धारित है। खादी ग्रामोद्योग के संस्थानों में एससी/एसटी/महिलाओं/शारीरिक विकलांग/मायनॉरिटीज को कोई शुल्क नहीं देना पड़ता तथा अन्य के लिए दो सौ रुपए शुल्क निर्धारित है। जिन संस्थानों में एक महीने से अधिक का प्रशिक्षण दिया जाता है, उनमें दो सौ रुपए प्रतिमाह शुल्क निर्धारित है, लेकिन यहां प्रवेश के लिए एक सौ रुपए की विवरणिका सभी को खरीदनी होगी। साथ ही खादी प्रशिक्षण केंद्रों में कच्चा माल सभी प्रशिक्षणार्थियों को खुद जुटाना होगा।
प्रवेश
रेशा आर्टिजन के प्रशिक्षण के लिए आप किसी भी संस्थान में जाकर, उसमें प्रवेश प्रक्रिया के अनुसार सभी शर्ते पूरी करते हुए प्रवेश ले सकते हैं। खादी ग्रामोद्योग के संस्थानों में प्रवेश के लिए आप विवरणिका में दिए गए फॉर्म को पूर्ण रूप से भर कर, उसके साथ स्कूल की मार्कशीट/निवास प्रमाण पत्र/ग्राम प्रधान या ग्राम पंचायत अधिकारी द्वारा जारी किया गया प्रमाण पत्र, दो फोटो और यदि आप शुल्क सूची में आते हैं तो निर्धारित शुल्क के साथ जमा करें।