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इंस्टीटय़ूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (इरमा), सामाजिक मुद्दों की जानकारी भी जरूरी

ग्रामीण बाजार अब मल्टीनेशनल कंपनियों के टारगेट पर है, इसलिए इस बाजार को प्रबंधन की जरूरत पड़ रही है। अगर आप प्रबंधन में रुचि रखते हैं और गांव के विकास को भी तरजीह देते हैं तो इरमा के कोर्स कर स्वयं...

इंस्टीटय़ूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (इरमा), सामाजिक मुद्दों की जानकारी भी जरूरी
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 18 Oct 2011 12:36 PM
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ग्रामीण बाजार अब मल्टीनेशनल कंपनियों के टारगेट पर है, इसलिए इस बाजार को प्रबंधन की जरूरत पड़ रही है। अगर आप प्रबंधन में रुचि रखते हैं और गांव के विकास को भी तरजीह देते हैं तो इरमा के कोर्स कर स्वयं को इस क्षेत्र में आजमा सकते हैं।

आज ग्रामीण क्षेत्र में मध्यवर्ग की आय उसी तरह बढ़ रही है, जैसे शहरी क्षेत्रों में, इसलिए ग्रामीण बाजार का विकास हो रहा है। बिजनेस वर्ल्ड इस बदलाव पर पैनी निगाह बनाए हुए है। ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में ग्रामीण विकास एक चुनौती बना हुआ है, इसीलिए विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों द्वारा इससे संबंधित पाठय़क्रमों की शुरुआत की गई है। यह कोर्स न केवल मैनेजमेंट प्रोग्रामर बनाता है, बल्कि ऐसी कुशलता भी देता है, जो मार्केट में अन्य प्रबंधकों से रूरल मैनेजरों को अलग रखती है। ग्रामीण विकास और प्रबंधन में दिलचस्पी रखने वाले अभ्यर्थियों के लिए इरमा के पाठय़क्रम महत्वपूर्ण हैं। इंस्टीटय़ूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (इरमा) द्वारा कराए जा रहे कोर्स करियर और विकास, दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। ग्रामीण बाजार को प्रबंधन की आवश्यकता है। मल्टीनेशनल कंपनियां ग्रामीण बाजार को देख कर ही रणनीति बना रही हैं।

कैसे-कैसे कोर्स
इरमा द्वारा दो तरह के कोर्स कराए जाते हैं - एक पीजी प्रोग्राम इन रूरल मैनेजमेंट (पीआरएम), जो दो वर्षीय पाठय़क्रम है और दूसरा फैलो प्रोग्राम इन रूरल मैनेजमेंट (एफपीआरएम), जो तीन साल का कोर्स है। फैलो प्रोग्राम के लिए एग्रीबिजनेस, नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट, डेवलपमेंट मैनेजमेंट आदि फील्ड हैं। दोनों तरह के पाठय़क्रमों के लिए अभ्यर्थियों का चयन लिखित परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू के आधार पर किया जाता है। एफपीआरएम के अभ्यर्थियों को निबंध भी प्रस्तुत करना होगा। इसके लिए 13 नवंबर, 2011 को देश के 27 सेंटर्स पर लिखित परीक्षा ली जा रही है। इस लिहाज से यह समय सबसे ज्यादा क्रूशल है, इसलिए इस समय तैयारी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

कैसे करें तैयारी
मैनेजमेंट एक्सपर्ट पंकज रजवार कहते हैं कि परीक्षा में कुल 200 सवाल पूछे जाते हैं, जिनमें कुछ सवाल मल्टीपल चॉयस और कुछ ऑब्जेक्टिव होते हैं। सही जवाब के लिए 1 नम्बर दिया जाएगा, जबकि जवाब गलत होने पर 1/4 नम्बर काट दिया जाएगा। इस पेपर को चार भागों में बांटा गया है। पहला भाग एनालिटिकल रीजनिंग का होगा, जिसमें 50 सवालों के जवाब देने होंगे। दूसरा भाग इंग्लिश कॉम्प्रिहेंशन, जिसमें 40 सवाल पूछे जाएंगे। तीसरा क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड का होगा, जिसमें 50 सवाल पूछे जाएंगे। चौथे और अंतिम भाग में सामाजिक मुद्दों से जुड़े 60 सवाल पूछे जाएंगे। परीक्षा के लिए कुल दो घंटे का समय तय है। इस पेपर की तैयारी के लिए अंग्रेजी की तैयारी पर विशेष ध्यान दें, उसके अलावा सामाजिक मुद्दों का भी अध्ययन करें। सामान्य ज्ञान पर भी ध्यान दें।

सामान्य ज्ञान
क्योंकि अब समय काफी कम बचा है, इसलिए सामान्य ज्ञान के लिए अखबारों को ध्यान से पढ़ना चाहिए और बीते एक साल की बड़ी-बड़ी घटनाओं और समाचारों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। लेकिन इसके साथ-साथ ऐतिहासिक चीजों का अध्ययन भी जरूरी है।

सामाजिक मुद्दे
सामाजिक मुद्दों की समझ बढ़ाने के लिए अखबारों के संपादकीय पेज को ध्यान से पढ़ना चाहिए। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सरकारी नीति -नियम और आदेशों की भी अच्छी जानकारी होनी चाहिए।

एनालिटिकल रीजनिंग और इंग्लिश कॉम्प्रिहेंशन
अंग्रेजी सेक्शन की तैयारी के लिए दसवीं स्तर की किताबें उपयोगी साबित हो सकती हैं। ग्रामर पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि ज्यादातर सवाल अंग्रेजी ग्रामर से ही जुड़े होते हैं। क्योंकि अब काफी काम समय बचा है, इसलिए आपने कोचिंग या पढ़ाई के दौरान जो नोट्स बनाए हैं, उन्हीं का अध्ययन करें।

रेफरेंस बुक की तरफ ज्यादा ध्यान देने से आप कन्फ्यूज हो सकते हैं, इसलिए कन्फ्यूजन से बचिए और बिल्कुल कूल होकर तैयारी कीजिए। यह समय अपनी एबिलिटी को जांचने का है, इसलिए मैट/कैट और इरमा के पुराने प्रश्न पत्रों को हल करके देखें, ताकि आपको अनुमान लग जाए कि किस सेक्शन को कितना समय देना है। पेपर पूरा करने के लिए टाइम मेनेजमेंट जरूरी है। 

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