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मारन ने जताई थी आपत्ति

पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन ने 2006 में तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह को विचार के लिए दिए गए मुद्दों को लेकर आपत्ति जतायी...

मारन ने जताई थी आपत्ति
Sun, 25 Sep 2011 11:53 AM
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पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन ने 2006 में तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह को विचार के लिए दिए गए मुद्दों को लेकर आपत्ति जतायी थी। उन्होंने यह इच्छा जतायी थी कि समूह केवल रक्षा मंत्रालय द्वारा छोड़े गए स्पेक्ट्रम के मुद्दे पर ही विचार करे। 

मारन ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 28 फरवरी 2006 को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति जताई थी। पूर्व दूरसंचार मंत्री सीबीआई जांच के घेरे में है। उन पर एयरसेल के अधिग्रहण में मलेशियाई कंपनी का पक्ष लेने का आरोप है। मारन का मानना था कि मंत्री समूह को जिन मामलों पर विचार का अधिकार दिया गया है, वह मंत्रालय के कामकाज में दखल है।

मारन ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा था, आपने मुझे आश्वस्त किया था कि मंत्री समूह उन्हीं मुद्दों पर विचार करेगा, जो हम चाहते हैं। इसके तहत समूह को केवल खाली हुए स्पेक्ट्रम पर ही विचार करना था। हालांकि मैं इससे अचंभित हूं कि मामले पर गठित मंत्री समूह को व्यापक अधिकार दिये गये हैं और मेरा मानना है कि यह मंत्रालय के कामकाज में दखल है।

उन्होंने सुझाव दिया था कि मंत्री समूह को केवल रक्षा मंत्रालय द्वारा छोड़े गये स्पेक्ट्रम से संबंधित बिंदुओं पर ही विचार करना चाहिए। रक्षा मंत्रालय द्वारा खाली किये गये स्पेक्ट्रम के मामले पर विचार के लिये मंत्री समूह के गठन का निर्णय 2006 में किया गया था।

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