नए अध्ययन से मिलेगी दमे से मुक्ति!
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने दो डीएनए क्षेत्रों में भिन्नता की पहचान की है जो दमा के खतरे को बढ़ाता...
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने दो डीएनए क्षेत्रों में भिन्नता की पहचान की है जो दमा के खतरे को बढ़ाता है। वैज्ञानिकों के इस निष्कर्ष को अस्थमा के असरदार इलाज के लिए अहम माना जा रहा है।
द लैंसेट पत्रिका में छपे अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में ऑस्ट्रेलिया में चिकित्सक से इलाज कराने वाले 2669 दमा रोगी और 4528 अन्य रोगियों पर विश्लेषण किया गया। इस अध्ययन के प्रमुख और पश्चिम ऑस्ट्रेलिया के लंग इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर फिलिप थामसन का कहना है कि इस अध्ययन में दमा के हजारों मरीजों के डीएनए की तुलना की गई और इसके नतीजों को अन्य अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों के साथ रखकर देखा गया।
उन्होंने कहा कि दमा वाले रोगियों और अन्य रोगियों के बीच डीएनए के दो क्षेत्रों (पहला क्रोमोसोम वन पर इंटरलेउकिन 6 रिसेप्टर टीन और दूसरा क्रोमोसोम 11 पर जीएआरपी जीन पर) में निरंतर अंतर पाया गया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अध्ययन के निष्कर्षों से दमा के इलाज के लिए नई दवाओं के विकास की संभावना बढ़ी है।