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कैसे समझें सफलता और असफलता का भेद

सफल व्यक्ति, उचित कार्यों में समय लगाकर ऊंचाइयों तक जा पहुंचते हैं। इसी तरह असफल व्यक्ति समय नष्ट करते हुए, अपनी परेशानियां बढ़ा लेते हैं। सफल होने के लिए जरूरी है कि आप सफलता को एक मापदंड बनाते हुए...

कैसे समझें सफलता और असफलता का भेद
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 23 Aug 2011 01:19 PM
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सफल व्यक्ति, उचित कार्यों में समय लगाकर ऊंचाइयों तक जा पहुंचते हैं। इसी तरह असफल व्यक्ति समय नष्ट करते हुए, अपनी परेशानियां बढ़ा लेते हैं। सफल होने के लिए जरूरी है कि आप सफलता को एक मापदंड बनाते हुए यह जानने का प्रयास करें कि पहले असफल क्यों रहे और इस बार हमें सफलता कैसे मिली। सफलता पानी है तो एकाग्र भाव से लक्ष्यपूर्ति करनी होगी।

जब भी असफल हों, तो स्वयं से पूछें कि आपने कितनी बार प्रयास किया और कितनी बार निराश हुए। इससे आप अपनी दृढ़ता परख सकते हैं। यह एक कड़वी सच्चाई है कि सफलता का हमारी दृढ़ता से गहरा नाता है। इसे थामे रहेंगे तो दुनिया में बड़े-से-बड़ा काम कर सकते हैं।

वास्तविकता तो यही है कि असफलता से हम निरुत्साहित होते हैं, किंतु यह भी हकीकत है कि विरले ही पहले प्रयास में सफल हो पाते हैं। सफल होने तक, गिरने व बार-बार उठ कर प्रयास करने में ही सच्ची कीर्ति छिपी है।

यदि आप अपनी ओर से बेहतर करेंगे, तो चिंतित होने के लिए समय ही नहीं बचेगा। सफलता के इच्छुक व्यक्ति अपनी अपूर्णता व कमजोरियों से ऊपर उठने की कोशिश करते हैं।

जब एडीसन से ग्रामोफोन व बल्ब जैसे आविष्कारों से जुड़ी असफलता के बारे में पूछा तो उसने उत्तर दिया, ‘अब मैं जान गया हूं कि कौन-से 10,000 तरीकों से बल्ब नहीं बन सकता।’

पहली ही बाधा से हार का मुंह मोड़ने में ही हमारी असफलता का राज छिपा है। यह भी एक प्रश्न है कि आप असफलता किसे कहते हैं? मेरी तो परिभाषा है कि आप जब तक जिस कार्य में सफल नहीं हुए, वही असफलता है। केवल एक या दो पराजय को, अंतिम पराजय मान लेने की गलती न करें। असफलता आपको अपनी कमियों से ऊपर उठा कर, दोबारा कोशिश करने का अवसर देती है।

आप कह सकते हैं कि आप छ: बार असफल रहे, किंतु स्वयं को कभी भी आत्म-परामर्श न दें कि आप एक असफल व्यक्ति हैं। जब तक आप में दोबारा कोशिश करने की ताकत है, तब तक आप स्वयं को असफल नहीं मान सकते। लोग असफलताओं से ऊपर उठ कर ही तो सफल होते हैं।

असफलताएं हमारी गलतियों को पहचानने व सुधारने का मौका देती हैं। गलतियां सुधारते वक्त हमें कुछ नया सीखने का मौका मिलता है। केवल कुछ सीखने की ललक से ही हम अपने हुनर को निखार सकते हैं, अपनी जानकारी व योग्यताओं का विस्तार कर सकते हैं। हमारा हुनर व क्षमताएं ही हमारे जीवन को नए मायने देते हैं। हमारी क्षमताओं व विशेषताओं के बल पर ही बेहतर अवसर सामने आते हैं।

यदि पहली बाधा ही से घबरा गए तो आगे के रास्ते वहीं बंद हो जाएंगे। यह ध्यान रहे कि आप बात को कहां खत्म करते हैं? सफलता इतनी आसानी से हाथ नहीं आती। व्यक्ति को अपनी भूलों से सबक लेकर आगे बढ़ना होता है। अपने ऊपर भरोसा रखने की ताकत को भी नजरअंदाज न करें।

यहां तक कि परीक्षा में मिली असफलता से भी दुनिया नहीं मिटती। आप अगली बार या अगले साल फिर से परीक्षा दे सकते हैं, किंतु इस बार पूरी मेहनत व लगन से तैयारी करनी होगी। हमें असफलता के भय का खुल कर सामना करना चाहिए, तभी उससे पार पा सकते हैं। नि:संदेह असफलता से मिलने वाला अनुभव बहुत महत्त्वपूर्ण पाठ पढ़ाता है, किंतु यह पहले परीक्षा भी लेता है। असफलता का कोई-न-कोई कारण होता है, जो हमारे ही भीतर छिपा है। अपर्याप्त नियोजन, तैयारी में कमी, समस्या से निपटने की उचित तकनीक का पता न लग पाने, जैसा कोई भी कारण हो सकता है। अपनी असफलताओं से सीखने की क्षमता भी हमारे ही भीतर छिपी है।

कोई भी असफल नहीं होना चाहता। यदि आप कभी असफल हो भी जाएं, तो अपनी गलतियों से सबक अवश्य लें, ताकि ऐसी गलती दोबारा न हो। पछतावे में समय व जीवन नष्ट न करें। क्या व क्यों हुआ, इससे सबक लेने के बाद आगे बढ़ जाएं।

हमें बदलावों को खुले मन से स्वीकरते हुए एक नई और अलग तरह की रणनीति अपनानी चाहिए। अनुभव भी उन्हें ही सिखा सकता है, जो वास्तव में कुछ सीखना चाहते हैं। यद्यपि मनुष्य में दूसरों की भूलों से सबक लेने की योग्यता छिपी है, इसके बावजूद वह स्वयं गलतियां करके, सबक लेने को ही बेहतर मानता है।

हमें इन दोनों के बीच की विभाजक रेखा पहचाननी होगी, अपना पूरा जोर लगाए बिना, हम पूरी तरह सफलता का आनंद भी नहीं ले पाएंगे। याद रखें कि सफलता कभी भी आपके लिए अपना मानदंड नहीं घटाती। हमें ऊपर उठना होता है। काल्पनिक परेशानियों व चिंताओं पर समय नष्ट न करें, उनसे कभी सामना नहीं होने वाला। अपने पूरे समय को अपने उद्देश्य के लिए समर्पित करें। परिस्थितियां चाहें जो भी हों, उनका पूरे साहस से सामना करें।
(पूर्व सीबीआई निदेशक जोगिन्दर सिंह की पुस्तक ‘हार के बाद ही जीत है’ से साभार)

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