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डिजाइन जर्नलिस्ट, खबर पर नजर

एक जर्नलिस्ट के लिए कहानी पर पकड़ जितनी जरूरी है, उतना ही डिजाइन या विजुअल जर्नलिस्ट के लिए उस कहानी को तस्वीरों, ग्राफ, चार्ट, चित्रों आदि के साथ रोचक तरीके से पेश करना भी अहम...

डिजाइन जर्नलिस्ट, खबर पर नजर
Tue, 23 Aug 2011 11:58 AM
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एक जर्नलिस्ट के लिए कहानी पर पकड़ जितनी जरूरी है, उतना ही डिजाइन या विजुअल जर्नलिस्ट के लिए उस कहानी को तस्वीरों, ग्राफ, चार्ट, चित्रों आदि के साथ रोचक तरीके से पेश करना भी अहम है। विजुअल्स के साथ कम से कम शब्दों में कहानी और चित्रों के माध्यम से अपनी बात पाठकों के सामने रखी जा सकती है। यह भी माना जाता है कि ऐसे इन्फोग्राफिक्स के साथ किसी लेख की जरूरत नहीं है। वे अपने आप में पूर्ण है।

योग्यताएं
आप बारहवीं कक्षा में किसी भी विषय का चुनाव कर सकते हैं, हालांकि फाइन आर्ट्स और सामाजिक विज्ञान हो तो बेहतर है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड छात्रों को ग्राफिक डिजाइन की शिक्षा भी देता है। बारहवीं के बाद भारत में फाइन आर्ट्स या डिजाइन में स्नातक या विदेश में विजुअल जर्नलिज्म का कोर्स किया जा सकता है। कई प्राइवेट संस्थान भी इस क्षेत्र से संबंधित विभिन्न सॉफ्टवेयर्स में प्रशिक्षण मुहैया करा रहे हैं।

दिनचर्या
समाचार पत्रों में लोग अलग-अलग भूमिकाएं निभाते हैं। राजनीति या कारोबारी खबरों के सेक्शन में काम करने का तरीका लाइफ स्टाइल के सेक्शन से अलग होता है। एक डिजाइनर की दिनचर्या कुछ इस तरह से होती है:
दोपहर 2 बजे: ऑफिस पहुंचना। संपादकीय टीम की ओर से ग्राफिक्स या चार्ट के लिए दिए जाने वाले लेखों पर एक नजर डालना। इनके लिए रिपोर्टर या संपादकीय को-ऑर्डिनेटर के साथ डिजाइन पर चर्चा करना।
दोपहर 2.30 बजे: संपादकीय को-ऑर्डिनेटर, फोटो सेक्शन, फोटो लाइब्रेरी या एजेंसी से तस्वीरें लेना। उनका चयन करना। एक अस्पताल सर्वेक्षण के लिए इन्फोग्राफिक्स का खाका तैयार करना और एक बिजनेस रिपोर्ट के लिए पाई चार्ट बनाना।
शाम 5.30 बजे: ब्रेक
शाम 6 बजे: रिपोर्ट्स या संपादकीय को-ऑर्डिनेटर या डिजाइन टीम के प्रमुख को इन्फोग्राफिक या पाई चार्ट का खाका दिखाना।
शाम 7 बजे: पेज को अंतिम रूप देना। तस्वीरों को कलर करेक्शन के लिए क्वॉलिटी डिपार्टमेंट में भेजना।
रात 10.30 बजे: पेजों को पिंट्रिंग के लिए छोड़ना। ऑफिस की दिनचर्या समाप्त।

कौशल

सूचनाओं को जल्द समझने और उनसे संबंधित ग्राफिक तैयार करने की क्षमता होनी चाहिए।
खबर की समझ होना जरूरी है, ताकि यह स्पष्ट रहे कि किसे प्रमुखता देनी चाहिए।
इन्फोग्राफिक्स के लिए ड्रॉइंग कौशल।
टीम वर्क और को-ऑर्डिनेशन में अच्छा होना चाहिए।
कंप्यूटर एप्लीकेशंस को जल्दी से जल्दी सीखने की क्षमता होनी चाहिए।

वेतन
नामी-गिरामी मीडिया हाउस में एक इन्टर्न या प्रशिक्षण लेने आए व्यक्ति को 3 हजार रुपये से लेकर 5 हजार रुपये तक का वेतन मिल सकता है। कुछ कंपनियों की पॉलिसी प्रशिक्षुओं को वेतन न देना भी हो सकती है, ऐसे में हैरान न हों। आप अपना प्रशिक्षण या इन्टर्न खत्म होने पर उनसे प्रमाणपत्र जरूर मांगें। कुछ कंपनियां अपने इंटर्न्स को ही प्रशिक्षण के बाद कंपनी में नौकरी दे देती हैं। शुरुआती तौर पर 10 हजार रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक वेतन मिल सकता है। एक विजुअलाइजर के तौर पर वेतन 20 हजार रुपये मासिक हो सकता है। इसके बाद से वेतन में वृद्धि आपके प्रदर्शन और कॉन्ट्रेक्ट पर निर्भर करती है। एक आर्ट डायरेक्टर एक लाख रुपये मासिक से भी अधिक वेतन प्राप्त कर सकता है।

संस्थान व वेबसाइट

कॉलेज ऑफ आर्ट्स, दिल्ली
वेबसाइट
: www.colart.delhigovt.nic.in

राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद
वेबसाइट
: www.nid.edu

जेवियर इंस्टीटय़ूट ऑफ कम्युनिकेशंस
वेबसाइट:
www.xaviercomm.org

जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली
वेबसाइट
: www.jmi.nic.in

सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट एंड सर जेजे स्कूल ऑफ अप्लाइड आर्ट, मुंबई
वेबसाइट
: www.mu.ac.in/colleges/finearts/  mumbai.html

एमएस यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा
वेबसाइट
: www.msubaroda.ac.in

तेजी से फैलते और नई-नई तकनीकों को अपनाती दुनिया में अगर आपका उत्पाद लोगों को आकर्षित नहीं कर पाता तो आप कहीं दिखाई नहीं देते। सभी कामयाब प्रिंट और डिजिटल मीडिया दूसरों से एक कदम आगे दिखाई देने के लिए डिजाइन का इस्तेमाल करते हैं।
अनिता बाबू
एक प्रमुख कंपनी में असोसिएट डिजाइनर

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